पित्ताशय
पित्ताशय एक लघु ग़ैर-महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन क्रिया में सहायता करता है और यकृत में उत्पन्न पित्त का भंडारण करता है।
पित्ताशय | |
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उदर का रेखाचित्र | |
लैटिन | वेसिका फ़ेलिया |
ग्रे की शरीरिकी | subject #250 1197 |
तंत्र | पाचन प्रणाली (जठरांत्रीय मार्ग) |
धमनी | पित्ताशय धमनी |
शिरा | पित्ताशय नस |
तंत्रिका | सिलियक गैंग्लिया, वेगस[1] |
पूर्वगामी | अग्रांत्र |
मानव शरीर रचना
संपादित करेंपित्ताशय एक खोखला अंग है जो यकृत के अवतल में पित्ताशय खात नामक जगह पर स्थित होता है। वयस्कों में पूर्णतः खिंचे होने पर पित्ताशय लंबाई में लगभग ८ से.मी. व व्यास में ४ से.मी. होता है।[2] इसके तीन भाग होते हैं - बुध्न, काया व कंठ। कंठ पतला हो के पित्ताशय वाहिनी के जरिए पित्तीय वृक्ष जुड़ता है और फिर आम यकृत वाहिनी से जुड़ कर आम पित्तीय वाहिनी में जाता है।
अनुवीक्षण यंत्र संबंधी शरीर रचना
संपादित करेंपित्ताशय की विभिन्न परतें इस प्रकार हैं::[3]
- पित्ताशय में सरल स्तंभीय त्वचा कवचीय अस्तर होता है जिनमें "खाँचे" होते हैं, ये खाँचे एस्चोफ़ के खाँचे कहलाते हैं, जो कि अस्तर के अंदर जेबों की तरह होते हैं।
- त्वचा कवच वाली परत के ऊपर संयोजी ऊतक (लामिना प्रोप्रिया) होता है।
- संयोजी ऊतक के ऊपर चिकनी पेशी (मस्कुलारिस एक्स्टर्ना) की एक भित्ति होती है जो लघ्वांत्राग्र द्वारा रिसे गए पेप्टाइड हॉर्मोन, कोलेसिस्टोकाइनिन की प्रतिक्रियास्वरूप सिकुड़ जाती है।
- मूलतः इसमें संयोजी ऊतक को सेरोसा व एड्वेंटीशिया से भिन्नित करने वाला कोई सबम्यूकोसा नहीं होता है, लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए माँसपेशियों के ऊतकों का एक पतला अस्तर होता है।
कार्यसमूह
संपादित करेंवयस्क मानव के पित्ताशय में करीब ५० मि.ली. (१.७ अमरीकी तरल आउंस/ १.८ साम्राज्यीय तरल आउंस) की मात्रा में पित्त होता है और जब चर्बी युक्त भोजन पाचन मार्ग में प्रविष्ट होता है तो कोलीसिस्टोकाइनिन का रिसाव होता है, जिससे यह पित्त स्रवित होता है। यकृत में उत्पन्न पित्त, अर्ध-पचित भोजन में मौजूद वसा को पायस बनाता है।
यकृत छोड़ने के बाद पित्ताशय में संचित होने पर पित्त और अधिक गाढ़ा हो जाता है, जिससे इसका वसा पर असर और प्रभावी हो जाता है। अधिकतर पाचन लघ्वांत्राग्न में होता है।
अधिकतर रीढ़ की हड्डी वाले पशुओं के पित्ताशय होते हैं (कुछ अपवादों में अश्व, हरिण और मूषक शामिल हैं) और बिना रीढ़ की हड्डी वाले पशुओं में पित्ताशय नहीं होते हैं।
असाधरण स्थितियाँ
संपादित करेंपित्तपथरियाँ पित्ताशय में व पित्त पथ में अन्यत्र उत्पन्न हो सकती हैं। अगर पित्ताशय की पित्तपथरियाँ लक्षणात्मक हों और उन्हें दवा द्वारा घुलाया या अल्ट्रासोनिक तरंगों द्वारा छोटे टुकड़ों में तोड़ा नहीं जा पाता तो शल्य चिकित्सा द्वारा पित्ताशय को निकाला जा सकता है, इसे कोलीसिस्टेक्टोमी कहते हैं।
चीनीमिट्टी पित्ताशय या पित्ताशय का कर्कट रोग होने पर भी ऐसा किया जा सकता है। मनुष्य के पित्ताशय का आकार नाशपाती जैसा होता है और इस अवयव का आकार और कार्यकलाप अन्य स्तनपायी प्राणियों में काफ़ी भिन्न भिन्न है। कई प्रजातियों, जैसे कि लामा प्रजाति में पित्ताशय होता ही नहीं है।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ जिंसबर्ग, पीएच.डी, जे.एन. (२००५-०८-२२). "जठरांत्रीय कार्यकलाप नियंत्रण". प्रकाशित थॉमस एम. नोसेक, पीएच.डी. (संपा॰). जठरांत्रीय शरीर क्रिया विज्ञान. मूलभूत शरीर क्रिया विज्ञान. ऑगस्ता, जॉर्जिया, संयुक्त राज्य अमरीका: जॉर्जिया आयुर्विज्ञान महाविद्यालय. पपृ॰ पृ. ३०. मूल से 1 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २००७-०६-२९.
- ↑ जॉन डब्ल्यू. मएइल्स्ट्रुप (१९९४). आम पित्ताशय व उसके भिन्न रूपों के छायाचित्रण का नक़्शा. बोका रेटोन: सीआरसी मुद्रणालय. पपृ॰ ४. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ ०-८४९३-४७८८-२
|isbn=
के मान की जाँच करें: invalid character (मदद). - ↑ "स्लाइड ५: पित्ताशय". जेडॉक हिस्टोवेब. कांसास विश्वविद्यालय. मूल से 6 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २००७-०६-२९.
- ↑ सी. माइकेल होगन, २००८। गुआनको: लामा गुआनिको, ग्लोबलट्विचर.कॉम, सं. एन. स्ट्रोंबर्ग Archived 2011-03-04 at the वेबैक मशीन
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- मनुष्य के आमाशय व पित्ताशय का चित्र – मान शरीर रचना ऑन्लाइन, माईहेल्थस्कोर.कॉम.