पउमचरिउ
रामकथा पर आधारित जैन रामायण
पउमचरिउ रामकथा पर आधारित अपभ्रंश का एक महाकाव्य है। इसके रचयिता जैन कवि स्वयंभू हैं। इसमें बारह हजार पद हैं।
जैन धर्म में राजा राम के लिए 'पद्म' शब्द का प्रयोग होता है, इसलिए स्वयंभू की रामायण को 'पद्म चरित' (पउम चरिउ) कहा गया। इसकी रचना छह वर्ष तीन मास ग्यारह दिन में पूरी हुई। मूलरूप से इस रामायण में कुल 92 सर्ग थे, जिनमें स्वयंभू के पुत्र त्रिभुवन ने अपनी ओर से 16 सर्ग और जोड़े। गोस्वामी तुलसीदास के 'रामचरित मानस' पर महाकवि स्वयंभू रचित 'पउम चरिउ' का प्रभाव स्पष्ट दिखलाई पड़ता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- पमउ चरिउ (हिन्दी अर्थ सहित)
- पमउ चरिउ (हिन्दी अर्थ सहित)
- पमउ चरिउ (पद्मचरित) (भाग १ ; सम्पादक- एच सी भवानी)
- पमउ चरिउ (पद्मचरित) (भाग २ ; सम्पादक- एच सी भवानी)
- पउमचरिउ (देवनागरी में)
- Svayambhu: Paumacariu (Padmacarita) (the Rama story in Apabhramsa)
- जैन रामायणों का साहित्य में योगदान (डॉ. अनुपमा छाजेड़)