धर्म (पंथ)

सम्प्रदाय , पंथ , रिलीजिन
(पंथ से अनुप्रेषित)

यह लेख धर्म (पन्थ) के विषय में है। भारतीय दर्शन धर्म के लिए धर्म देखें।

अनेक धर्म का चिह्न
संसार के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख धर्म.
प्रमुख धर्मों के अनुयायीयों का प्रतिशत
प्रमुख धर्मों के अनुयायीयों का प्रतिशत

धर्म या पन्थ किसी एक या अधिक परलौकिक शक्ति में विश्वास और इसके साथ-साथ उसके साथ जुड़ी रीति, रिवाज, परम्परा, पूजा-पद्धति और दर्शन का समूह है।

धर्म की अवधारणा

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हिन्दू धर्म

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हिन्दू धर्म समूह का मानना है कि सारे संसार में धर्म केवल एक ही है , शाश्वत सनातन धर्म। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से जो धर्म चला आ रहा है , उसी का नाम सनातन धर्म है। इसके अतिरिक्त सब पन्थ , मजहब , रिलीजन मात्र है।हिन्दुओं की धार्मिक पुस्तक वेद,अरण्यक,उपनिषद,श्रीमदभगवत गीता,रामायण,पुराण, महाभारत आदि हैं।[1]

इस्लाम पंथ

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ईसाई पन्थ

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बौद्ध धर्म

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पन्थ और संप्रदाय

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पन्थ और सम्प्रदाय में अन्तर करते हुए आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र मानते हैं कि पन्थ वह है जिसमें विचार भले ही प्राचीन हों किन्तु आचार नया हो। भक्तिकालीन सन्तों की शिक्षाओं को आचार से जोड़ते हुए पन्थ निर्माण की आरम्भिक अवस्था का वर्णन करते हुए वे लिखते हैं कि, "ये सन्त बातें तो वे ही कहते थे जो प्राचीन शास्त्रों में पहले ही कही जा चुकीं हैं, किन्तु पद्धति अवश्य विलक्षण थी। केवल आचार की नूतनता के कारण ही ये पन्थ कहलाते हैं, सम्प्रदाय नहीं।"[2] पंथ की स्थापना के लिए कुछ नियम उपनियम बनाये जाने भी आवश्यक होते हैं।[3]

इन्हें भी देखें

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  1. https://www.bhaskar.com/mp/mandsour/news/mp-news-ramayana-the-mahabharata-is-the-main-religious-texts-of-history-veda-purana-and-shrimad-bhagwat-geeta-are-educative-texts-034028-3695186.html
  2. वाङ्मय विमर्श, विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, वाणी प्रकाशन, संवत २0३५, पृष्ठ- २४२-४३
  3. कबीर और कबीर पंथ, डॉ॰ केदार नाथ द्विवेदी, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, प्रथम संस्करण, १९६५, पृष्ठ- १६१

बाहरी कड़ियाँ

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