पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में स्थित विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना १९६४ में हुई थी। इसका नामकरण अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं॰ रविशंकर शुक्ल के नाम पर किया गया है। यह एक मई १९६४ को अस्तित्व में आया और १ जून १९६४ से ४६ संबद्ध महाविद्यालयों, ५ विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग (यूटीडी) और ३४ हजार छात्रों के साथ काम करना शुरू किया। तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने २ जून १९६४ को विश्चविद्यालय के पांच स्नातकोत्तर विभागों का शुभारंभ किया।
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय | |
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आदर्श वाक्य: | अग्ने नय सुपथा राये (संस्कृत) |
स्थापित | १९६४ |
प्रकार: | सार्वजनिक |
कुलपति: | प्रो॰ केसरी लाल वर्मा |
अवस्थिति: | रायपुर, छत्तीसगढ़, भारत |
परिसर: | शहरी |
सम्बन्धन: | यूजीसी |
जालपृष्ठ: | www.prsu.ac.in |
दुर्ग में दुर्ग विश्वविद्यालय के नाम से नए विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में पांच जिले-रायपुर, बलौदाबाजार-भाटापारा, धमतरी, महासमुंद और गरियाबंद के ४० सरकारी तथा ८४ गैर सरकारी कॉलेज शामिल रह गए हैं, इस तरह से संबद्ध महाविद्यालयों की संख्या घटकर १२४ रह गई है।[1]
विश्वविद्यालय का कुलचिन्ह
संपादित करेंपं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलचिह्न के मध्य भाग में रायपुर जिले में स्थित राजिम के विख्यात राजीवलोचन मंदिर का संपूर्ण शिखर है जो छत्तीसगढ़ (प्राचीन दक्षिण कोसल) की वैभवपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर को द्योतित करता है।
उगता हुआ सूर्य वेदांती विचारधारा की प्रजापति-विद्या तथा संवत्सर-विद्या के उत्कृष्ट ज्ञान का प्रतीक है। शिखर के दोनों ओर तरंगित रेखाओं का अंकन छत्तीसगढ़ की गंगा-महानदी (प्राचीन चित्रोत्पला) का प्रतीकात्मक चित्रण है।
शिखर के निम्नार्ध भाग में बाईं और दाईं ओर अर्धवृत्ताकार रूप में फैली हुई गेहूं और धान की बालियां कृषि को छत्तीसगढ़वासियों के आर्थिक जीवन का आधार सिद्ध करती हैं तथा उनसे इस क्षेत्र की सभ्यता का ग्राम्य प्रकृति का होना प्रकट होता है। ये सभी प्रतीक एक बड़े वृत से घिरे हुए हैं, जो भूमंडल का चिन्ह है। इस वृत में विश्वविद्यालय का नाम नागरी और रोमन वर्णों में लिखा हुआ है, जो बाई से दाई ओर बढ़ता हुआ केंद्रीय वृत्त को चारों ओर से घेरे हुए है।
बड़ा वृत पंखाकृति के कोनों वाले एक अर्धवृत्ताकार पादपीठ पर आधारित है। इस पादपीठ की अभिरचना हंस की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है, जो भारतीय चिंतन में उत्कृष्ट ज्ञान के लिए प्रयुक्त होता है। इस पर विश्वविद्यालय की आदर्शोक्ति नागरी वर्णों में अभिलिखत है, जिसका चयन ऋग्वेद के अग्निसूक्त से किया गया है।
यह उक्ति है “अग्ने नय सुपथा राये”, जिसका अनुवाद इस प्रकार है - “हे अग्नि! हमें अच्छे मार्ग से समृद्धि की ओर ले चलो।”
दीक्षांत समारोह
संपादित करेंपं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का २१वां दीक्षांत समारोह २१ फरवरी २०१५ को आयोजित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि नेशनल रिसर्च प्रोफेसर, स्कूल अॉफ केमेस्ट्री, हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रो. गोवर्धन मेहता थे। अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने की। समारोह में डॉक्टर ऑफ फिलासफी और वर्ष २०१३-१४ में प्रथम श्रेणी से उर्त्तीण प्रावीण्य सूची में शामिल छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।