संख्यात्मक विश्लेषण में न्यूटन विधि किसी वास्तविक मान वाले फलन के मूल निकालने की एक पुनरावृत्‍तिमूलक विधि (इटरेटिव प्रॉसेस) है जिसके द्वारा मूल के सन्निकट मान से आरम्भ करके क्रमशः अधिक यथार्थ मूल प्राप्त किया जाता है। इसको 'न्यूटन-रैप्सन विधि' (Newton–Raphson method) भी कहते हैं।

न्यूटन की विधि को बारबार लगाने से क्रमशः अधिक शुद्ध मूल प्राप्त होते हैं।

एक चर वाले फलनों के लिए इस विधि का वर्णन इस प्रकार है:

माना वास्तविक x के लिए फलन ƒ और इसका अवकलज ƒ ', दिया हुआ है। फलन f का मूल निकालने के लिए सबसे पहले मूल का प्रथम अनुमान x0 लेकर यह विधि शुरू होतीहै। अब निम्नलिखित सूत्र से मूल का अधिक यथार्थ मान (better approximation) x1 निकाला जाता है:

इसी प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता है जब तक मूल का पर्याप्त रूप से यथार्थ मान न प्राप्त हो जाय।

विधि का चलित-चित्रण

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इस विधि को ज्यामितीय रूप से निम्नलिखित चलित-चित्र (एनिमेशन) द्वारा समझा जा सकता है:

 
नीले रंग में - फलन , लाल रंग में - स्पर्शरेखा

व्यावहारिक समस्याएँ

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न्यूटन की विधि अत्यन्त शक्तिशाली तकनीक है। इसकी अभिसारिता (convergence) द्विघाती होती है। किन्तु इस विधि की कुछ समस्याएँ भी हैं-

  • (१) फलन का अवकलज निकालना कठिन या हो सकता है।
  • (२) कुछ स्थितियों में यह विधि अभिसरित (कन्वर्ज) नहीं होती।
  • (क) ओवरशूट (Overshoot) की समस्या
  • (ख) स्थिर बिन्दु (स्टेशनरी पॉइंट) मिल जाय तो वहाँ अवकलज शून्य होने से भाग नहीं दे सकते।
  • (ग) मूल का आरम्भिक मान, वास्तविक मान से बहुत दूर हो तो हो सकता है कि यह विधि कन्वर्ज न करे।
  • (घ) १ से अधिक मूलों के लिये भी धीमा कन्वर्जेंस होता है। (Slow convergence for roots of multiplicity > 1)

इस विधि की कार्यप्रणाली समझने के लिए इस उदाहरण का सहारा लिया गया है। माना समीकरण   का एक धनात्मक मूल निकालना है। अब इस समीकरण का रूप इस प्रकार बदलते हैं:

 . इसका अवकलज
 .

चूँकि x के सभी मानों के लिए   तथा x>1 के लिए x3>1 अतः इस समीकरण का मूल 0 और 1 के बीच होगा। माना मूल   है।

 

इस मूल के प्रथम 7 अंक वास्तविक मूल के प्रथम 7 अंकों के बराबर हैं। यदि इससे अधिक यथार्थता की आवश्यकता नहीं है तो मूल का यही मान लेकर गणना कार्य समाप्त कर सकते हैं।

अभिसरण (convergence)

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इन्हें भी देखें

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