नाहरगढ़ दुर्ग
नाहरगढ़ का किला जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमाला के ऊपर बना हुआ है। आरावली की पर्वत श्रृंखला के छोर पर आमेर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले को सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन १७३४ में बनवाया था। यहाँ एक किंवदंती है कि कोई एक नाहर सिंह नामके राजपूत की प्रेतात्मा वहां भटका करती थी। किले के निर्माण में व्यावधान भी उपस्थित किया करती थी। अतः तांत्रिकों से सलाह ली गयी और उस किले को उस प्रेतात्मा के नाम पर नाहरगढ़ रखने से प्रेतबाधा दूर हो गयी थी।[1]
नाहरगढ़ दुर्ग | |
---|---|
कछवाहा जयपुर राज्य का भाग | |
जयपुर, राजस्थान | |
निर्देशांक | निर्देशांक: 26°56′20″N 75°49′01″E / 26.939°N 75.817°E |
प्रकार | रक्षा किला |
कोड | ४५८ ५५८ |
स्थल जानकारी | |
नियंत्रक | जयपुर राजघराना |
जनप्रवेश | हां |
दशा | स्मारक |
स्थल इतिहास | |
निर्मित | १७३४ |
निर्माता | जयसिंह द्वितीय |
प्रयोगाधीन | नहीं |
सामग्री | पत्थर, बलुआ पत्थर |
१९ वीं शताब्दी में सवाई राम सिंह और सवाई माधो सिंह के द्वारा भी किले के अन्दर भवनों का निर्माण कराया गया था जिनकी हालत ठीक ठाक है जब कि पुराने निर्माण जीर्ण शीर्ण हो चले हैं। यहाँ के राजा सवाई राम सिंह के नौ रानियों के लिए अलग अलग आवास खंड बनवाए गए हैं जो सबसे सुन्दर भी हैं। इनमे शौच आदि के लिए आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गयी थी। किले के पश्चिम भाग में “पड़ाव” नामका एक रेस्तरां भी है जहाँ खान पान की पूरी व्यवस्र्था है। यहाँ से सूर्यास्त बहुत ही सुन्दर दिखता है।[2] [3]
सन्दर्भ
- ↑ "नाहरगढ़ दुर्ग". जयपुर- द पिंक सिटी. अभिगमन तिथि ६ अगस्त २००९.
|access-date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "नाहरगढ़ दुर्ग - जयपुर". जयपुर हब. कॉम. अभिगमन तिथि ६ अगस्त २००९.
|access-date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ] - ↑ "जयपुर हब". मूल से 24 अक्तूबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जुलाई 2009.
दीर्घा
-
नाहरगढ़ दुर्ग परिसर
-
नाहरगढ़ दुर्ग परिसर
-
नाहरगढ़ दुर्ग परिसर
-
नाहरगढ़ किले के चारों और बनी विशाल व भव्य सैन्य चौकियां
बाहरी कड़ियाँ
- नाहरगढ़ दुर्ग के लिए जालस्थल Archived 2008-04-15 at the वेबैक मशीन - किले की जानकारी
- मल्हार वर्ल्डप्रेस पर नाहरढ़ का किला