नारायण सरोवर
नारायण सरोवर गुजरात के कच्छ जिले के लखपत तालुका में स्थित[1] हिन्दुओं का एक तीर्थस्थान है। प्राचीन कोटेश्वर मन्दिर यहाँ से ४ किमी की दूरी पर है। श्रीमद्भागवत में वर्णित पाँच पवित्र सरोवरों में से एक है।[2][3][4] 'नारायण सरोवर' का अर्थ है - 'विष्णु का सरोवर'।[3][5][6]
नारायण सरोवर | |
— गाँव — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | गुजरात |
ज़िला | कच्छ |
निर्देशांक: 23°40′30″N 68°32′19″E / 23.675086°N 68.538627°E
यहां सिंधु नदी का सागर से संगम होता है[7][8][9]। इसी संगम के तट पर पवित्र नारायण सरोवर है। यह सनातन-धर्मियों के पांच पवित्र सरोवरों में से एक है।[10] अन्य सरोवर हैं- मानसरोवर, विन्दु सरोवर, पुष्कर सरोवर और पंपा सरोवर। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु इन पवित्र सरोवरों में डुबकी लगाते हैं।
नारायण सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा से तीन दिन का भव्य मेला आयोजित होता है। इसमें उत्तर भारत के सभी सम्प्रदायों के साधु-संन्यासी और अन्य भक्त शामिल होते हैं।
इस पवित्र सरोवर में अनेक प्राचीन सन्त-महात्माओं के आने के प्रसंग मिलते हैं। आद्य शंकराचार्य भी यहां आए थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इस सरोवर की चर्चा अपनी पुस्तक 'सीयूकी' में की है।
इतिहास और परिचय
संपादित करेंपवित्र नारायण सरोवर की चर्चा श्रीमद्भागवत में मिलती है। इस ग्रंथ के चतुर्थ स्कंध में कहा गया है कि महाराजा पृथु की तीसरी पीढ़ी में राजा बर्हिष हुए। उनके पुत्र दसपचेतस् ने पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या करने का निर्णय लिया और वे नारायण सरोवर पहुंचे। यहां भगवान रुद्र ने प्रगट होकर दसपचेतस् को रुद्रगान सुनाया और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद भी दिया। इसके बाद दसपचेतस् जल में खड़े होकर रुद्र जाप करने लगे। कहा जाता है कि उन्होंने 10 हजार वर्ष तक तप किया। इसके बाद भगवान प्रसन्न हुए और उनकी कामना पूरी हुई। कालक्रम में उनके घर दक्ष प्रजापति नाम से पुत्र का पदार्पण हुआ।
नारायण सरोवर में श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध भी करते हैं। इसलिए पितृपक्ष में यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। पवित्र नारायण सरोवर के तट पर भगवान आदिनारायण का प्राचीन और भव्य मन्दिर है। नारायण सरोवर से ४ किलोमीटर दूर कोटेश्वर शिव मन्दिर है। नारायण सरोवर में त्रिकम जी, लक्ष्मीनारायण, गोवर्धननाथ जी, द्वारकानाथ जी, आद्य नारायण, रणछोड़राय जी, लक्ष्मी जी इत्यादि के मन्दिर हैं। कच्छ के महाराओ देशल जी तृतिय की रानीने इन मन्दिरों का निर्माण करवाया था। पूरे भारतवर्ष से श्रद्धालु यहाँ दर्शन हेतु आते हैं। तालाब और मन्दिर प्राचीन स्थाप्त्यों एवम् कला-कारीगरी से भरे हैं।[4][3] लक्ष्मीनारायण और त्रिकमराय जी के मन्दिर का निर्माण द्वारका के सुविख्यात जगत मन्दिर की तरह-उसी शैली में किया गया हैं।[2] अन्य ५ मन्दिर १७८०-९० में महाराव देशल जी की राने के द्वारा बनवायें गए थे। [2] यहाँ यात्रीओं के लिए रहने और खाने की सवलत है।[5]
कैसे पहुँचें?
संपादित करेंनारायण सरोवर पहुंचने के लिए सबसे पहले भुज पहुंचें। दिल्ली, मुम्बई और अहमदाबाद से भुज तक रेल मार्ग से आ सकते हैं। मुम्बई और भुज के बीच दैनिक विमान सेवा भी है। अमदाबाद से भुज की दूरी 350 कि॰मी॰ है। यहां से भुज पहुंचने के अनेक साधन हैं। भुज से नारायण सरोवर जाते समय 36 किलोमीटर की दूरी पर 1100 वर्ष पुराना पुअरेश्वर महादेव का मन्दिर है। इसके बाद 95 किलोमीटर की दूरी पर कच्छ की कुल देवी माता आशापुरा की पीठ है। शारदीय नवरात्रों में यहां श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है। नारायण सरोवर-कोटेश्वर से 30 किलोमीटर आगे भारत-पाकिस्तान की सीमा है।
पहले नारायण सरोवर में ठहरने, भोजन आदि की व्यवस्था नहीं थी। इस कारण श्रद्धालुओं को बड़ी कठिनाई होती थी। पूरा इलाका वीरान होता था। किन्तु अब स्वयंसेवी संगठनों ने यहां ठहरने और खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था कर दी है। आवागमन भी अब सुगम हो गया है।
पीठाधीश
संपादित करेंनारायण सरोवर संस्थान के वर्तमान पीठाधीश आनंदलाल जी महाराज हैं, जो विक्रम संवत २०४७[11] से पीठासन संभाल रहे हैं। इससे पूर्व के पीठाधीशों की सूची निम्नलिखित हैं[12]:-
क्रम | पीठाधीश | पीठस्थ (विक्रम संवत) |
निधन (विक्रम संवत) |
---|---|---|---|
१ | श्यामदास जी | - | १८१६ |
२ | बालकृष्णदास जी | १८१६ | १८२८ |
३ | इश्वरदास जी | १८२८ | १८४६ |
४ | कृपादास जी | १८४६ | १८५१ |
५ | देवादास जी | १८५१ | १८८९ |
६ | सेवादास जी | १८८९ | १९१७ |
७ | राधाकृष्णदास जी | १९१७ | १९३७ |
८ | कृष्णदास जी | १९३७ | १९४३ |
९ | वल्लभदास जी | १९४३ | १९७५ |
१० | द्वारकादास जी | १९८३ | १९९८ (निवृत्ति) |
११ | मधुसुदनलाल जी | १९९९ | २०४५ |
चित्रदीर्घा
संपादित करें-
अन्य पाँच मन्दिर।
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प्राचीन प्रवेशद्वार।
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मुख्य मन्दिर गर्भगृह।
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गढ़ के उपर जाने का रास्ता।
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अतिथिगृह और भोजनालय।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ ज़िला पंचायत, कच्छ. "कच्छ ज़िला पंचायत जालस्थल पर गाँव के नाम की सूची". kutchdp.gujarat.gov.in. गुजरात सरकार. मूल से 25 मार्च 2016 को पुरालेखित.
- ↑ अ आ इ [1] Archived 2013-10-01 at the वेबैक मशीन Encyclopaedia of tourism resources in India, Volume 2 By Manohar Sajnani
- ↑ अ आ इ "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2017.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2017.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
- ↑ Ward, Philip (1998). Gujarat, Daman, Diu : a travel guide [नारायण सरोवर] (अंग्रेज़ी में). New Delhi: Orient Longman Ltd. पृ॰ ३३३. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 8125013830. मूल से 25 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जुलाई 2017.
- ↑ "Indus River Map" [सिंधु नदी का मानचित्र]. maps of india (अंग्रेज़ी में). मूल से 1 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 फरवरी 2017.
- ↑ "जानिये भारत के पांच पवित्र सरोवर के बारे में". हिन्दूत्व डोट इन्फो. मूल से 26 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 फरवरी 2017.
- ↑ मिश्र, गोविन्द. परतों के बीच/भारत का पश्विमी कोना-गुजरात. पृ॰ ५३. मूल से 26 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 फरवरी 2017.
- ↑ "One outlet of the Saraswati into the sea was at Lokpat which was also a major seat of learning and a port. Further downstream was Narayan Sarovar which is mentioned in the Mahabharta as a holy place". मूल से 29 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2017.
- ↑ गुजराती पंचांग अनुसार वर्ष गणना।
- ↑ नारायण सरोवर संस्थान के कार्यालय में दर्ज सूची के अनुसार।