नवशास्त्रीय वास्तुकला
नवशास्त्रीय वास्तुकला जिसे कभी-कभी शास्त्रीय पुनरुद्धार वास्तुकला के रूप में भी जाना जाता है नवशास्त्रीय आंदोलन द्वारा निर्मित एक वास्तुशिल्प शैली है जो 18वीं शताब्दी के मध्य में इटली, फ्रांस और जर्मनी में शुरू हुई थी।[1] यह पश्चिमी दुनिया में सबसे प्रमुख स्थापत्य शैलियों में से एक बन गयी।[2]
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पुरातत्व का विकास और जीवित शास्त्रीय इमारतों के सटीक अभिलेखों का प्रकाशन नवशास्त्रीय वास्तुकला के उद्भव में महत्वपूर्ण था। कई देशों में प्रारंभिक लहर मूलतः रोमन वास्तुकला पर आधारित थी जिसके बाद 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ से ग्रीक पुनरुद्धार वास्तुकला की दूसरी लहर आई। नवशास्त्रीय वास्तुकला में प्रकाश की बजाय दीवार पर अधिक जोर दिया जाता है तथा इसके प्रत्येक भाग की अलग पहचान बनी रहती है।
इतिहास
संपादित करेंनवशास्त्रीय वास्तुकला 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी के प्रारंभ में एक विशिष्ट शैली और क्षण है जो विशेष रूप से ज्ञानोदय, अनुभववाद और प्रारंभिक पुरातत्वविदों द्वारा स्थलों के अध्ययन से जुड़ा था।[3] लगभग 1840 के बाद की शास्त्रीय वास्तुकला को पुनरुत्थान शैलियों की श्रृंखला जैसे कि ग्रीक, पुनर्जागरण या इटालियन में से एक के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। 19वीं सदी के विभिन्न इतिहासकारों ने 1970 के दशक से ही यह बात स्पष्ट कर दी है। 20वीं शताब्दी के दौरान शास्त्रीय वास्तुकला को पुनरुद्धार के रूप में कम बल्कि उस शैली की वापसी के रूप में अधिक वर्गीकृत किया जाता है जो आधुनिकतावाद के आगमन के साथ धीमी पड़ गई थी।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "वेस्टर्न आर्किटेक्चर - जर्मन गोथिक, बोरोक्यू, रेनेसां". ब्रिटानिका (अंग्रेज़ी में). 9 दिसम्बर 2024. अभिगमन तिथि 25 जनवरी 2025.
- ↑ "नियोक्लासिकल आर्किटेक्चर". इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 25 जनवरी 2025.
- ↑ रिकवर्ट, जोशेफ (1980). "द फर्स्ट मॉडर्न्स : द आर्किटेक्ट्स ऑफ द ऐंठतींत सेंचुरी". कैम्ब्रिज, एमआईटी प्रेस. अभिगमन तिथि 25 जनवरी 2025.