नकारात्मक और सकारात्मक नास्तिकता

सकारात्मक नास्तिकता, जिसे तीव्र नास्तिकता और कठोर नास्तिकता भी कहते हैं, नास्तिकता का एक प्रकार है, जो यह कहता है कि देवों का कोई अस्तित्व नहीं; नकारात्मक नास्तिकता, जिसे कमज़ोर नास्तिकता और कोमल नास्तिकता भी कहते हैं, नास्तिकता का अन्य कोई भी प्रकार है, अर्थात्, जहाँ व्यक्ति देवों के अस्तित्व को नहीं मानता और सुस्पष्ट रूप से यह भी नहीं कहता कि कोई देव हैं ही नहीं।[1][2][3]

इन्हें भी देखें

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  1. Flew, Antony (1976). "The Presumption of Atheism". The Presumption of Atheism, and other Philosophical Essays on God, Freedom, and Immortality. New York: Barnes and Noble. पपृ॰ 14ff. मूल से 12 अक्तूबर 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2011-12-10. In this interpretation an atheist becomes: not someone who positively asserts the non-existence of God; but someone who is simply not a theist. Let us, for future ready reference, introduce the labels 'positive atheist' for the former and 'negative atheist' for the latter.
  2. Martin, Michael (2006). The Cambridge Companion to Atheism. Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-521-84270-0. मूल से 2 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 दिसंबर 2016.
  3. "Definitions of the term "Atheism"". Ontario Consultants on Religious Tolerance. 2007. मूल से 6 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-06-01.