धनुष (तोप)

धानुष, एक हौवित्ज़र (बंदूक) है जो भारतीय सेना की सेवा में हैं। बंदूक का डिज़ाइन बोफोर्स पर आधारित ह

धनुष भारतीय सेना की १५५ मिमी टोड होवित्जर तोप है। यह पूरी तरह से देश में ही बनी तोप है किन्तु डिजाइन बोफोर्स हौबित्स एफएच७७ पर आधारित है जिसे १९८० के दशक में भारत ने खरीदा था। जबलपुर गन कैरेज फैक्ट्री ने 155 एमएम की इस तोप को बनाया है तथा इसका डिजाइन गन कैरेज बोर्ड ने तैयार किया है।[6]

धनुष
प्रकार Towed howitzer
उत्पत्ति का मूल स्थान भारत
सेवा इतिहास
सेवा में India
द्वारा प्रयोग किया भारतीय सेना
उत्पादन इतिहास
डिज़ाइनर Ordnance Factories Board
डिज़ाइन किया 2010
निर्माता Ordnance Factories Board
इकाई लागत US$ 2.11 million (₹ 14 crore)[2]
उत्पादन तिथि 2015 onwards
निर्माणित संख्या 6[1]
निर्दिष्टीकरण
लंबाई 45 Caliber
कर्मीदल 6-8

कैलिबर 155 mm
कार्रवाई Auto gun alignment and positioning
ब्रीच Screw type
पल्टा खाना Electro-rheological/Magneto-rheological
ऊंचाई -3 to 70 degree
पार जाना ±30[5]
आग की दर Burst:3 rounds in 15sec Intense: 15 rounds in 3 minutes Sustained: 60 rounds in 60 min
अधिकतम सीमा 38[3] Km[4]
आकर्षण Thermal sight. Gunners display

इस तोप के विकास परीक्षण सन २०१८ में समाप्त हुए तथा २०१९ से इसका शृंखला-उत्पादन आरम्भ हुआ। भारतीय सेना ने ११४ धनुष तोपों का ऑर्डर दिया है जो कुल ४१४ तक बढ़ सकता है।

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; sw नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. "Indian Army to induct indigenous artillery gun Dhanush, first since the Bofors scandal". मूल से 14 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मई 2019.
  3. N C Bipindra (2014-06-21). "'Dhanush' Ready after Final Trials in Pokhran". The New Indian Express. मूल से 29 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-06-23.
  4. "Indian artillery guns make a splash at DefExpo". मूल से 7 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मई 2019.
  5. Bedi, Rahul (9 April 2019). "Indian Army receives first six of 114 Dhanush howitzers". Jane's Defence Weekly. Jane's Information Group. मूल से 10 April 2019 को पुरालेखित.
  6. आर्मी को मिलीं पूरी तरह स्वदेसी 'धनुष' , बोफोर्स तोप से ज्यादा है फायरिंग रेंज Archived 2017-01-09 at the वेबैक मशीन - दैनिक भास्कर - 19 जुलाई 2016