द इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स
सिगमंड फ्रायड द्वारा 1899 की पुस्तक
द इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स सिग्मंड फ्रायड की रचना है। इस पुस्तक में फ्रायड ने अपने मनोवैज्ञानिक अध्ययन के द्वारा सपनों के आने के कारणों का विस्तृत विवेचन किया है । उन्होंने सपने क्यों आते हैं तथा वे अर्थपूर्ण होते हैं या नहीं इत्यादि प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया है। इस पुस्तक ने मनोविज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इसका हिंदी अनुवाद अचलेश चन्द्र शर्मा द्वारा ' सपनों का मनोविज्ञान ' नाम से किया गया है।
अध्याय विभाजन
संपादित करें- स्वप्न-समस्याओं का वैज्ञानिक साहित्य[1]
- सपनों की व्याख्या करने की पद्धति
- इच्छा-पूर्ति के रूप में स्वप्न
- सपनों में विद्रूपण
- सपनों के स्रोत व सामग्री
- स्वप्न-क्रिया
- स्वप्न-प्रक्रिया का मनोविज्ञान
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसंदर्भ
संपादित करें- ↑ अचलेश चन्द्र (अनु.), शर्मा (2017). सपनों का मनोविज्ञान. नयी दिल्ली: नया साहित्य. पृ॰ 9. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789380300283.
बाहरी कड़ियाँ
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