द्विज(English:secondary) शब्द 'द्वि' और 'ज' से बना है। द्वि का अर्थ होता है दो और ज (जायते) का अर्थ होता है जन्म होना अर्थात् जिसका दो बार जन्म हो उसे द्विज कहते हैं। द्विज शब्द का प्रयोग हर उस मानव के लिये किया जाता है जो एक बार पशु के रुपमे माता के गर्भ से जन्म लेते है और फिर बड़ा होने के वाद अच्छी संस्कार से मानव कल्याण हेतु कार्य करने का संकल्प लेता है। द्विज शब्द का प्रयोग किसी एक प्रजाती या केवल कोइ जाती विशेष के लिये नहि किया जाता हैं। मानव जब पैदा होता है तो वो केवल पशु समान होता है परन्तु जब वह संस्कारवान और ज्ञानी होता है तव ही उसका जन्म दुवारा अर्थात असली रुपमे होता है।

वशिष्ठ धर्मसूत्र

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वशिष्ठ धर्मसूत्र के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रियवैश्य को द्विज कहा जाता है।[1] जो द्विज वेदों का अध्ययन नही करता, वह और उसके वंशज शीघ्र ही शूद्र की स्थिति में आ जाते हैं।[a] उस द्विज को ब्राह्मण नही कह सकते जिसे वेदों का ज्ञान नही, जो व्यापारी, अभिनेता या चिकित्सक है, जो शूद्र के आदेश का पालन करता है या जो दूसरे की संपत्ति लेता है। [b]

  • "दूसरा जन्म होना(शिक्षा व ज्ञान की दृष्टि से) मातृ की कोख से जन्म के पश्चात अर्थात जन्म के पश्चात कर्मणा वर्ण को प्राप्त करने वाला" यह अर्थ है द्विज़ का। द्वि+ज अर्थात द्वि=दो,ज=जायते, यानि जो संसार मे जन्म लेने के पश्चात अपने संस्कार व विद्या के अनुसार जिस वर्ण को प्राप्त करता है,वही द्विज कहलाता है!

मूलतः यह संस्कृत शब्द है।

अन्य अर्थ

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  • विद्वान, वह विद्वान जो ज्ञान का दान करे!
  • दो बार जन्म लेने वाला
  • अंडे से जन्म लेने वाला
  • विप्र
  • भूसुर
  • ब्राह्मण
  • खग
  • पक्षी
  • अंडज
  • साँप

संबंधित शब्द

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हिंदी में

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  • अंडज
  • सर्प

अन्य भारतीय भाषाओं में निकटतम शब्द

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  1. 2. And they quote a verse of Manu on this (subject), 'A twice-born man, who not having studied the Veda applies himself to other (and worldly study), soon falls, even while living, to the condition of a Śūdra, and his descendants after him.'[2]
  2. 3. '(A twice-born man) who does not know the[3] Veda (can)not be (called) a Brāhmaṇa, nor he who lives by trade, nor he who (lives as) an actor, nor he who obeys a Śūdra's commands, nor (he who like) a thief (takes the property of others), nor he who makes his living by the practice of medicine.'[2]
  1. "Vasistha Dharmasutra, Chapter 2". WisdomLib. Three castes, Brāhmaṇas, Kṣatriyas, and Vaiśyas, (are called) twice-born.
  2. "Vasistha Dharmasutra, Chapter III". Wisdom Library.