देवास भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मालवा क्षेत्र में एक शहर है। देवास पहले जूनियर (छोटी पाति) और सीनियर (बड़ी पाती) दो 15-तोपो की सलामी रियासत की सीट थी, जो पवार राजपूत वंश द्वारा शासित थे। यहाँ की माता की टेकरी पर चामुंडा माता और तुलजा भवानी माता के प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिसके दर्शन के लिये लोग दूर-दूर से आते हैं।[2] देवास एक औद्योगिक नगर है।

देवास
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य मध्य प्रदेश
महापौर श्रीमती गीता दुर्गेश अग्रवाल
विधायक
सांसद महेन्द्र सोलंकी [1]
जनसंख्या ३,४५००० (२०११ के अनुसार )
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)

• ५३५ मीटर
आधिकारिक जालस्थल: http://dmcdewas.org:89/index.php

निर्देशांक: 22°35′N 76°04′E / 22.58°N 76.06°E / 22.58; 76.06

लोक मान्यता है कि यहाँ देवी माँ के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी माँ और बड़ी माँ के नाम से जाना जाता है। बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी माँ को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है। यहाँ के पुजारी बताते हैं कि बड़ी माँ और छोटी माँ के मध्य बहन का रिश्ता था। एक बार दोनों में किसी बात पर विवाद हो गया। विवाद से क्षुब्द दोनों ही माताएँ अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं। बड़ी माँ पाताल में समाने लगीं और छोटी माँ अपने स्थान से उठ खड़ी हो गईं और टेकरी छोड़कर जाने लगीं।

माताओं को कुपित देख माताओं के साथी (माना जाता है कि बजरंगबली माता का ध्वज लेकर आगे और भेरूबाबा माँ का कवच बन दोनों माताओं के पीछे चलते हैं) हनुमानजी और भेरूबाबा ने उनसे क्रोध शांत कर रुकने की विनती की। इस समय तक बड़ी माँ का आधा धड़ पाताल में समा चुका था। वे वैसी ही स्थिति में टेकरी में रुक गईं। वहीं छोटी माता टेकरी से नीचे उतर रही थीं। वे मार्ग अवरुद्ध होने से और भी कुपित हो गईं और जिस अवस्था में नीचे उतर रही थीं, उसी अवस्था में टेकरी पर रुक गईं।[3]

इस तरह आज भी माताएँ अपने इन्हीं स्वरूपों में विराजमान हैं। यहाँ के लोगों का मानना है कि माताओं की ये मूर्तियाँ स्वयंभू हैं और जागृत स्वरूप में हैं। सच्चे मन से यहाँ जो भी मन्नत माँगी जाती है, हमेशा पूरी होती है। इसके साथ ही देवास के संबंध में एक और लोक मान्यता यह है कि यह पहला ऐसा शहर है, जहाँ दो वंश राज करते थे- पहला होलकर राजवंश और दूसरा पँवार राजवंश। बड़ी माँ तुलजा भवानी देवी होलकर वंश की कुलदेवी हैं और छोटी माँ चामुण्डा देवी पँवार वंश की कुलदेवी।

टेकरी में दर्शन करने वाले श्रद्धालु बड़ी और छोटी माँ के साथ-साथ भेरूबाबा के दर्शन अनिवार्य मानते हैं। नवरात्र के दिन यहाँ दिन-रात लोगों का ताँता लगा रहता है। इन दिनों यहाँ माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

 
देवास कलेक्टरेट (पहले देवास जूनियर का लक्ष्मी निवास पैलेस)। देवास के नागरिकों के कड़े विरोध के बावजूद इसे मार्च 2023 में स्थानीय प्रशासन द्वारा अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया था।

देवास पहले ब्रिटिश भारत की दो रियासतों की राजधानी थी। मूल राज्य की स्थापना 18वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में तुकाजी राव (सीनियर/बड़ी पाती) और जीवाजी राव (जूनियर/छोटी पाति), पवार वंश मराठा द्वारा की गई थी। वे 1728 में मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के साथ मालवा में आगे बढ़े थे। भाइयों ने आपस में क्षेत्र का बंटवारा कर लिया; उनके वंशज परिवार की वरिष्ठ और कनिष्ठ शाखाओं के रूप में शासन करते थे। 1841 के बाद, प्रत्येक शाखा ने एक अलग राज्य के रूप में अपने हिस्से पर शासन किया, हालांकि प्रत्येक की भूमि आपस में जुड़ी हुई थी; देवास, राजधानी शहर में, मुख्य सड़क के दोनों किनारे अलग-अलग प्रशासन के अधीन थे और पानी की आपूर्ति और प्रकाश व्यवस्था की अलग-अलग व्यवस्था थी।

1901 में वरिष्ठ शाखा की जनसंख्या 62,312 थी, जबकि कनिष्ठ शाखा की जनसंख्या 54,904 थी।

देवास जूनियर (छोटी पाति) और देवास सीनियर (बड़ी पाती) दरबार में कई सरदार, मानकरी, ठाकुर, जागीरदार और इस्तमुरादार थे।

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, देवास के दोनों महाराजा (छोटी पाति और बड़ी पाती) भारत में शामिल हो गए, और उनके राज्य मध्य भारत में एकीकृत हो गए, जो 1950 में भारत का एक राज्य बन गया। बाद में, 1956 में, मध्य भारत को मध्य प्रदेश राज्य में मिला दिया गया।

कैसे पहुंचे

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देवास जूनियर स्टेट के तीन महाराजाओं की एक दुर्लभ तस्वीर।(बाएं से दाएं - महाराजा सदाशिव राव पवार, महाराजा यशवंत राव पवार और महाराजा मल्हार राव पवार)

हवाई मार्ग- यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा 'मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी' कहे जाने वाले इंदौर शहर में स्थित है।

सड़क मार्ग - यह शहर राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा-मुंबई से जुड़ा हुआ है। यह मार्ग माता की टेकरी के नीचे से ही गुजरता है। इसके निकटतम बड़ा शहर इंदौर है, जो यहाँ से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इंदौर से आप बस या टैक्सी लेकर देवास जा सकते हैं। माता के मन्दिर में दूर दुर से लोग आते है और सभी की मुरादे यहां पूरी होती है। "नवरात्री" में यहाँ आना शुभ माना जाता है।

रेलमार्ग - देवास शहर भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेलमार्गो के द्वारा जुड़ा हुआ है देवास जिले के मुख्य नगर - देवास, हाटपिपलिया, बागली, कन्नौद, हतनोरी, खातेगांव, सतवास, कांटाफोड, नेमावर, उदयनगर, पुंजापुरा, सोनकच्छ।

पर्यटन स्थल

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  • पहाडी पर स्थित मां चामुण्डा (छोटी माता) एवं तुलजा भवानी (बडी माता) माता का मंदिर अत्यन्त प्रसिद्ध है, इस स्थान को टेकरी भी कहा जाता है। टेकरी की ऊंचाई ३०० फिट है।[4]
     
    देवास रेल्वे स्टेशन
  • टेकरी की तलहटी पर मौजुद शीलनाथ धूनी गोरखनाथ सम्प्रदाय के संत शीलनाथ महाराज के अनुयायियों के लिये श्रद्धेय स्थान है।[4]
  • पंवार छत्री एवं मीठा तालाब - मीठा तालाब के पास मौजुद पंवार छत्रीयां इतिहास में देवास नगर में मराठा साम्राज्य की उपस्थिती दर्शाति है।
  • ग्राम रोजड़ी में स्थित तजकेश्वर घाट

जनसंख्या

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भारत की जनगणना की अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में देवास की जनसंख्या 289,550 है। 2024 में देवास शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 409,000 है | [5]

बाहरी कड़ियाँ

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बैंक नोट प्रैस

देवास मे नोट छापने का कारखाना है ।यह पर 100, 200,500,2000 रुुपये के नोट छापे जाते है ।

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 फ़रवरी 2017.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2018.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 फ़रवरी 2017.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2017.
  5. "Dewas Population 2024".