दुर्बल अन्योन्य क्रिया
दुर्बल अन्योन्य क्रिया (अक्सर दुर्बल बल व दुर्बल नाभिकीय बल के नाम से भी जाना जाता है) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य चार अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और प्रबल अन्योन्य क्रिया हैं। यह अन्योन्य क्रिया, उप-परमाणविक कणों के रेडियोधर्मी क्षय और नाभिकीय संलयन के लिए उत्तरदायी है। सभी ज्ञात फर्मिऑन (वे कण जिनका स्पिन अर्द्ध-पूर्ण संख्या होती है) यह अन्योन्य क्रिया करते हैं।
कण भौतिकी मेंमानक प्रतिमान के अनुसार दुर्बल अन्योन्य क्रिया Z अथवा W बोसॉन के विनिमय (उत्सर्जन अथवा अवशोषण) से होती है और अन्य तीन बलों की भांती यह भी अस्पृशी बल माना जाता है। बीटा क्षय रेडियोधर्मिता का एक उदाहरण इस क्रिया का सबसे ज्ञात उदाहरण है। W व Z बोसॉनों का द्रव्यमान प्रोटोन व न्यूट्रोन की तुलना में बहुत अधीक होता है और यह भारीपन ही दुर्बल बल की परास कम होने का मुख्य कारण है। इसे दुर्बल बल कहने का कारण इस बल का अन्य दो बलों विद्युत चुम्बकीय व प्रबल की तुलना में इसका मान का परिमाण की कोटि कई गुणा कम होना है। अधिकतर कण समय के साथ दुर्बल बल के अधीन क्षय होते हैं। क्वार्क फ्लेवर परिवर्तन भी केवल इस बल के अधीन ही होता है।
गुणधर्म
संपादित करेंनिम्न कारक दुर्बल अन्योन्य क्रिया को अद्वितीय बनाते हैं :
- यह एक मात्र अन्योन्य क्रिया है जो क्वार्क का फ्लेवर बदलने में सक्षम है।
- यह एक मात्र अन्योन्य क्रिया है जिसमें समता उल्लंघन होता है और आवेश-समता उल्लंघन होता है।
- इस अन्योन्य क्रिया के वाहक कण (जो कि गेज बोसॉन के नाम से जाने जाते हैं।) द्रव्यमान सहित होते हैं, यह असामान्य गुण मानक प्रतिमान में हिग्स प्रक्रिया द्वारा समझाया गया है।
विशाल द्रव्यमान (लगभग ९० गीगा इलेक्ट्रोन वोल्ट प्रति वर्ग c[1]) के कारण W व Z बोसॉन नामक बल वाहक कम आयु वाले होते हैं। इनकी आयुकाल १×१०-२४ सैकण्ड से भी कम होता है।[2]
दुर्बल आयसो-स्पिन व दुर्बल हायपर आवेश
संपादित करेंप्रथम पीढ़ी | द्वितीय पीढ़ी | तृतीय पीढ़ी | ||||||
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फर्मियान | प्रतीक | दुर्बल आयसो-स्पिन |
फर्मियान | प्रतीक | दुर्बल आयसो-स्पिन |
फर्मियान | प्रतीक | दुर्बल आयसो-स्पिन |
इलेक्ट्रॉन | म्यूऑन | टाऊ | ||||||
इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो | म्यूऑन न्यूट्रिनो | टाऊ न्यूट्रिनो | ||||||
अप क्वार्क | चार्म क्वार्क | टॉप क्वार्क | ||||||
डाउन क्वार्क | विचित्र क्वार्क | बॉटम क्वार्क | ||||||
सभी वाम-हस्थ प्रतिकण शून्य दुर्बल आयसो स्पिन रखते हैं। दक्षिण-हस्थ प्रतिकणों का आयसो-स्पिन विपरीत होता है। |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ W.-M. Yao et al. (Particle Data Group) (2006). "Review of Particle Physics: Quarks" (PDF). Journal of Physics G. 33: 1. arXiv:astro-ph/0601168. डीओआइ:10.1088/0954-3899/33/1/001. बिबकोड:2006JPhG...33....1Y. मूल (PDF) से 25 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2013.
- ↑ Peter Watkins (1986). Story of the W and Z. Cambridge: Cambridge University Press. पृ॰ 70. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-31875-4. मूल से 14 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2013.
- ↑ जॉन सी. बैज और जॉन हुएर्टा; Huerta (2009). "द अलजेब्रा ऑफ़ ग्रैंड यूनिफाइड थ्योरीज (विशाल एकीकृत सिद्धांतों की बीजगणित)". बुल.ऍम.मैथ.सोक. 0904: 483–552. arXiv:0904.1556. बिबकोड:2009arXiv0904.1556B. मूल से 14 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मार्च 2011 नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (मदद);|work=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)