दाऊजी बल्देव का हुरंगा

रिपोर्ट- दलबीर सिह विद्रोही

यह स्थान मथुरा जनपद में ब्रजमंडल के पूर्वी छोर पर बलदेव (दाऊजी) शहर मैं स्थित है। मथुरा से 21 कि॰मी॰ दूरी पर एटा-मथुरा मार्ग के मध्य में स्थित है। मार्ग के बीच में गोकुल एवं महावन जो कि पुराणों में वर्णित 'वृहद्वन' के नाम से विख्यात है, पड़ते हैं। यह स्थान पुराणोक्त 'विद्रुमवन' के नाम से निर्दिष्ट है। इसी विद्रुभवन में भगवान श्री बलराम जी की अत्यन्त मनोहारी विशाल प्रतिमा तथा उनकी सहधर्मिणी राजा ककु की पुत्री ज्योतिष्मती रेवती जी का विग्रह है। यह एक विशालकाय देवालय है जो कि एक दुर्ग की भाँति सुदृढ प्राचीरों से आवेष्ठित है। मन्दिर के चारों ओर सर्प की कुण्डली की भाँति परिक्रमा मार्ग में एक पूर्ण पल्लवित बाज़ार है।

विश्व प्रसिद्ध हुरंगा

दाऊजी मंदिर का हुरंगा पुरे विश्व में प्रसिद्ध है जो होली के एक दिन बाद मनाया जाता है जिसको देखने के लिए देश-विदेश से भक्तजन आते है इस हुरंगे में पांडेय समाज के लोग ही सम्मिलित होते है जो इस मंदिर के पुजारी भी है हुरंगे के लिए खासतौर पर गुलाल बनाया जाता है और टेशू के फूल मंगाए जाते है कई दिनों पहले से ही हुरंगे की तैयारी मंदिर परिसर में शुरू हो जाती है हुरंगे के दिन सुबह ५ बजे मंदिर खुल जाता है सुबह से ही भक्तो की भीड़ बढ़ती जाती है और दर्शन करने के बाद सभी भक्त हुरंगा देखने के लिए मंदिर की छत पर बैठते जाते है हुरंगा दोपहर में १२ बजे शुरू होता है हुरंगे में भाभी अपने देवर के कपड़ो को फाड़ती है और उसी कपडे को पानी में भिगोकर प्यार से अपने देवर के शरीर पर मारती है। इस मार को खाने और सहन करने के लिये सभी गोप (पुरुष) सुबह से ही भांग पीते है और ब्रिज की वेशभूषा में सज धज कर आते है