डी॰ के॰ रवि
डी॰ के॰ रवि (पूरा नाम दोड्डकोप्पलू करियप्पा रवि, १० जून १९७९ - १६ मार्च २०१५) भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी थे। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के कर्नाटक कैडर के २००९ समूह के अधिकारी थे।[1]
दोड्डकोप्पलू करियप्पा रवि | |
---|---|
जन्म |
१० जून १९७९ तुमकुर जिला, कर्नाटक, भारत |
मौत |
१६ मार्च २०१५ (३५ वर्ष की आयु में) बंगलौर, भारत |
मौत की वजह | अज्ञात |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपनाम | डी॰ के॰ रवि |
शिक्षा | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली |
प्रसिद्धि का कारण | भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी |
धर्म | हिन्दू |
जीवनसाथी | कुसुम |
एक कर्मठ और ईमानदार प्रशासक के रूप में उन्हें तब जनता के बीच में पहचान मिली जब कोलार ज़िले के उपायुक्त के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने ज़िले में सरकारी भूमि पर किये गए अतिक्रमण और बेरोकटोक रूप से चल रहे अवैध रेत खनन के विरुद्ध अभियान चलाया। कोलार ज़िले में लगभग चौदह माह के कार्यकाल के बाद अक्टूबर २०१४ में कर्नाटक सरकार द्वारा उन्हें बंगलौर में वाणिज्य कर (प्रवर्तन) के अतिरिक्त आयुक्त के पद पर स्थानान्तरित कर दिया गया।[2]
अतिरिक्त आयुक्त के रूप में पांच माह तक कार्य करते हुए वे १६ मार्च २०१५ को अपने आवास पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। अपने पांच माह के इस छोटे कार्यकाल में ही उनके द्वारा बीस से अधिक कर चोरी कर रही कम्पनियों, फर्मों और बिल्डरों पर की गयी छापेमारी, और इनसे की गयी करोड़ों रूपये की कर उगाही ने उनकी अचानक मृत्यु को संदेहास्पद बना दिया।[3]
प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा
संपादित करेंरवि का जन्म १० जून १९७९ को दक्षिण पश्चिम भारत के कर्नाटक राज्य के तुमकुर जिले में एक छोटे किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता करियप्पा और माता गौरम्मा की तीन संतानों में दो अन्य, पुत्र रमेश और पुत्री भारती हैं।
उन्होंने स्नातक की परीक्षा कृषि विज्ञान विषय में कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बंगलौर से उत्तीर्ण की। स्नातक के बाद उन्होंने नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से प्राणी विज्ञान में स्नाकोत्तर किया। इसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए कर्नाटक राज्य के आबकारी विभाग में उप निरीक्षक के पद पर कार्य किया। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा २००८ को अखिल भारतीय मेरिट सूची में ३४वें स्थान के साथ उत्तीर्ण किया।[4] इस परीक्षा में भारतीय प्रशासनिक सेवा को चुनते हुए उन्होंने अगस्त २००९ से अगस्त २०११ तक लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी से दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसके बाद उन्हें उनके गृह प्रदेश कर्नाटक का कैडर दिया गया।
करियर
संपादित करेंगुलबर्ग के सहायक आयुक्त
संपादित करेंरवि को प्रशासनिक अधिकारी के रूप में पहली नियुक्ति गुलबर्ग के सहायक आयुक्त के पद पर मिली। इस पद पर वे अगस्त २०११ से दिसम्बर २०१२ तक रहे।
कोलार ज़िले के उपायुक्त
संपादित करेंअगस्त २०१३ में प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें कोलार ज़िले का उपायुक्त बनाया गया, जहां उन्होंने अक्टूबर २०१४ तक कार्य किया।[5] इस दौरान रवि अपने जनोन्मुखी कार्यों और कई नवीन सुधारों जैसे राजस्व अदालतों को जिला मुख्यालय के बजाय गाँवों में लगाना, को लागू करने के कारण एक जाना पहचाना नाम बन गए। उन्होंने भू माफियाओं द्वारा सरकारी भूमियों में किये गए अतिक्रमण के विरुद्ध निर्भीक होकर अभियान चलाया। उनके द्वारा किये गए कई प्रयासों का ही नतीजा था का उनके समय में कोलार ज़िले में अवैध रेता बालू खनन पूरी तरह समाप्त हो गया। साथ ही उन्होंने सरकारी भवनों और सड़कों आदि के बनाने में प्रयोग होने वाली घटिया निर्माण सामग्री के खिलाफ़ औचक निरीक्षण का रास्ता भी अपनाया।
कार्य करने के उनकी इस शैली से कई भ्रष्ट बिल्डरों और खनन माफियाओं को नुकसान उठाना पड़ा। और कर्नाटक सरकार ने कथित रूप से दबाव में आकर रवि का स्थानान्तरण अक्टूबर २०१४ में बंगलौर कर दिया गया। लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता का आंकलन इस बात से किया जा सकता है कि उनके स्थानान्तरण आदेश से आक्रोशित लोगों ने इसके विरुद्ध कोलार में धरना और प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया।
वाणिज्य कर (प्रवर्तन) के अतिरिक्त आयुक्त
संपादित करेंरवि की नियुक्ति २९ अक्टूबर २०१४ को वाणिज्य कर के अतिरिक्त आयुक्त (प्रवर्तन) के तौर पर बंगलौर में हुई। नियुक्ति के बाद उन्होंने कर चोरी और कर बकाएदारों में से शीर्ष-५० की सूची तैयार करवाई और ₹१००० करोड़ के कर एकत्रित करने का लक्ष्य निश्चित किया। उन्होंने बंगलौर से छापेमारी प्रारम्भ की और कर्नाटक के कई हिस्सों तक गए। उन्होंने राज्य के कई जाने माने बिल्डरों, आभूषण कारोबारियों, जमीन-जायदाद कारोबारियों और यहाँ तक की एक अंतर्राष्ट्रीय बैंक में भी कर चोरी की शिकायत पर छापेमारी की। इन कर छापेमारियों से उन्होंने ₹१३८ करोड़ से अधिक की कर उगाही की। स्वाभाविक रूप से इन छापेमारियों के बाद से ही उनके कई दुश्मन बन गए थे और उन्हें कई प्रकार की धमकियां भी मिलने लगी थीं।
असामयिक मृत्यु
संपादित करें१६ मार्च २०१५ को रवि अपने बंगलोर स्थित आवास की छत से लटके पाए गए। १६ मार्च २०१५ की सुबह रवि अपने सास-ससुर के बंगलौर के पास के घर से अपने कार्यालय पहुंचे और दिन में ११:३० बजे कार्यालय से अपने आवास को चले गए। उसी शाम उनके द्वारा फोन का कोई जवाब नहीं जाने पर उनके परिवार के लोग आनन-फान में घर पंहुचे और उन्हें घर की छत के पंखे से लटकता हुआ पाया। [6]
मृत्यु पर प्रतिक्रिया
संपादित करेंरवि की अचानक मौत ने ने जनता और नागरिक समाज को सामान रूप से आक्रोशित तथा व्यथित किया। घटना के अगले ही दिन कर्नाटक के कई भागों में लोगों ने सड़कों पर आकर प्रदर्शन किया।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अधिकारी डीके रवि की संदिग्ध मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन, सीबीआई जांच की मांग" Archived 2015-07-24 at the वेबैक मशीन ज़ी न्यूज़ (Zee News), १७ मार्च २०१५
- ↑ "भू-माफिया के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले आईएएस रवि मृत पाए गए" Archived 2015-03-20 at the वेबैक मशीन राजस्थान पत्रिका, १७ मार्च २०१५
- ↑ "आईएएस रवि के परिजन बोले, न्याय चाहिए" Archived 2015-03-20 at the वेबैक मशीन राजस्थान पत्रिका, १८ मार्च २०१५
- ↑ "सिविल सेवा प्रधान परीक्षा परिणाम २००८" Archived 2015-04-02 at the वेबैक मशीन संघ लोक सेवा आयोग, ५ मई २००९
- ↑ "Executive Record Sheet Generator (IAS Officers)" Archived 2015-03-18 at the वेबैक मशीन persmin.nic.in, २२ मई २०१४
- ↑ "आईएएस डीके रवि की आत्महत्या पर कर्नाटक में उबाल" Archived 2015-04-02 at the वेबैक मशीन दैनिक जागरण, १७ मार्च २०१५