टाटा नैनो
टाटा नैनो टाटा मोटर्स के द्वारा निर्मित सबसे नवीन कार है। यह विश्व की सबसे सस्ती कार है जिसका दाम १ लाख भारतीय रुपये है। मीडिया ने इसे लखटकिया कार नाम से ज़्यादातर संबोधित किया। इसकी बिक्री जून २००८ से प्रारंभ होगी। रतन टाटा ने जनता की कार ‘ नैनो ’ को पेश करते हुए आश्वासन दिया कि इस कार की कीमत वादे के मुताबिक एक लाख रुपए ही होगी साथ ही यह सभी प्रकार के सुरक्षा और प्रदूषण स्तरों को पूरा करती है।[2] टाटा ने मारुति ८०० को अपनी परियोजना के लिए निशाना बनाया जिसने करीब दो दशक तक भारतीय बाजार पर राज किया और उन्होंने ऐसी कार बनाई जो लंबाई में आठ फीसदी छोटी लेकिन अंदर से २१ फीसदी ज़्यादा जगह वाली है। [3]
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निर्माता | टाटा मोटर्स |
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अन्य नाम | लखटकिया कार |
उत्पादन | २००९–२०१८ |
श्रेणी | छोटी नगरीय कार, टियर ० |
बॉडी शैली(याँ) | ४ दरवाजे़ |
खाका | आर आर लेआउट |
इंजन | २ सिलेडंर, ६२३ सी सी |
ट्रांस्मिशन | ४ गीयर सिन्क्रोमेश |
en:Wheelbase पहिये का व्यास | २,२३० मीली मीटर |
लंबाई | ३,१०० मीली मीटर |
चौड़ाई | १,५०० मीली मीटर |
ऊंचाई | १,६०० मीली मीटर |
ईंधन क्षमता | १५ लीटर |
अभिकल्पना | गिरीश वाघ, जसटिन नोरेक, पियरे कासटिन[1] |
टाटा नैनो की विशेषतायें[4]
संपादित करेंकंपनी प्लांट बंद
संपादित करेंपश्चिम बंगाल के सिंगुर में चल रहे विवाद को देखते हुए टाटा मोटर्स ने वहाँ नैनो प्लांट का काम फ़िलहाल रोकने का फ़ैसला किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि पिछले कई दिनों से हिंसक तरीके से कर्मचारियों को काम पर आने से रोका जा रहा था और कर्मचारियों और मज़दूरों की सुरक्षा को देखते हुए ये फ़ैसला लिया गया है। टाटा मोटर्स के मुताबिक नैनो प्लांट को वैकल्पिक स्थान पर ले जाने के बारे में विचार चल रहा है। कंपनी की ओर से ये भी कहा है कि पश्चिम बंगाल के कई लोग नैनो प्लांट में काम कर रहे थे और कोशिश की जाएगी कि उन्हें दूसरी जगह भी नौकरी पर रखा जाए।" टाटा मोटर्स के एक प्रवक्ता ने कहा, "नैनो प्लांट के आस-पास स्थिति ठीक नहीं है। जब तक माहौल माकूल नहीं बनता हमें समर्थन नहीं मिलता, प्लांट का काम सुचारू रूप से नहीं चल सकता। हम पश्चिम बंगाल ये सोचकर आए थे कि राज्य में रोज़गार के साधन उपलब्ध करवा सकेंगे और समृद्धि ला सकेंगे।
विवाद
संपादित करेंपिछले कुछ समय से सिंगुर में नैनो प्लांट किसी न किसी मुश्किल में घिरा रहा है। २८ अगस्त २००८ के बाद से प्लांट पर कोई काम नहीं हो पाया है। तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता प्लांट के विरोध में लगातार आंदोलन कर रहे हैं और पुलिस के साथ उनकी झड़प भी होती रही है। प्रदर्शनकारियों ने उन सब मार्गों को अवरुद्ध कर रखा था जहाँ से फ़ैक्ट्री में प्रवेश किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल सरकार ने एक हज़ार एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण करके उसे टाटा मोर्टस को सौंप था जहाँ वह एक लाख रूपए मूल्य वाली 'जनता कार' का उत्पादन करने वाली थी। लेकिन योजना का विरोध करने वालों का कहना है कि सिंगुर में चावल की बहुत अच्छी खेती होती है और वहाँ के किसानों को इस परियोजना की वजह से विस्थापित होना पड़ा है। टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि अगर सिंगुर में हिंसा और तनाव का माहौल जारी रहा तो वे नैनो परियोजना को कहीं और ले जाएँगे। सिंगुर में काम जनवरी २००७ में शुरू हुआ था। पश्चिम बंगाल में हिंदुस्तान मोटर्स के बाद ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में यह दूसरा बड़ा निवेश था। राज्य सरकार और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी माकपा कहती रही है कि लंबे अरसे बाद राज्य में ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में बड़ा निवेश हुआ है जिसे इसे रोकने से औद्योगिक हलकों में गलत संकेत जाएगा और इसके दूरगामी नतीजे होंगे। लेकिन तृणमूल कांग्रेस २००६ से ही इस परियोजना का विरोध करती आई है।
चित्र दीर्धा
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "टाटा नैनो विवरण". cardesignnew. http://www.cardesignnew.com/site/home/auto_shows/view_related_story/store4/item109152/.
- ↑ "टाटा की नन्ही सी 'नैनो' में बड़े-बड़े गुण" (एचटीएमएल). नवभारत टाइम्स. मूल से 17 जनवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १० जनवरी २००८.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "प्रतिद्वंद्वियों को भी किया चित" (एचटीएमएल). जागरण. अभिगमन तिथि १० जनवरी २००८.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "हर कोई बन जाए कारवाला - आवरण कथा" (एचटीएमएल). इंडिया टुडे. अभिगमन तिथि २० जनवरी २००८.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ]