झिल्ली (membrane) दो स्थानों, दिकों, अंगों, पात्रों या खंडो के बीच स्थित एक पतली अवरोधक परत होती है जो कुछ चुने पदार्थों, अणुओं, आयनों या अन्य सामग्रियों को आर-पार जाने देती है लेकिन अन्य सभी को रोकती है। जीव-शरीरों में ऐसी कई झिल्लियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें जैवझिल्लियाँ कहा जाता है। इनका कोशिका झिल्ली और कई ऊतकों को ढकने वाली झिल्लियाँ उदाहरण हैं। इनके अलावा मानवों ने कई कृत्रिम झिल्लियों का निर्माण भी करा है, जिनके प्रयोग से अलग-अलग रसायनों और पदार्थों को अलग करा जाता है। मसलन रिवर्स ऑस्मोसिस (आर ओ) नामक जल-स्वच्छिकरण यंत्र में जल को एक कृत्रिम झिल्ली से निकालकर उस से कई हानिकारक पदार्थों और सूक्ष्मजीवियों को हटाकर पीने योग्य बनाया जाता है।[1][2]

एक अर्धपारगम्य (semipermiable) झिल्ली, जो छोटे कणों को बाहर जाने दे रही है लेकिन बड़ों को रोक रही है

इन्हें भी देखें

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  1. Mulder, Marcel (1996). Basic principles of membrane technology (2 ed.). Kluwer Academic: Springer. ISBN 0-7923-4248-8.
  2. I.-J. Kang; C.-H. Lee; K.-J. Kim (2003). "Characteristics of microfiltration membranes in a membrane coupled sequencing batch reactor system". Water Res. 37: 1192–1197. doi:10.1016/s0043-1354(02)00534-1