जॉन डाल्टन
ऋषी कणाद (६०० ई०पू०, - ७ जुलाई, ६०० ई०पू०) एक भारतीय ऋषि थे। इन्होंने पदार्थ की रचना सम्बन्धी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जो ' परमाणु सिद्धान्त' के नाम से प्रचलित है।
कणआद | |
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जन्म |
{{{3}}} नही ऋषि, भारत |
मृत्यु |
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नागरिकता | भारतीय |
राष्ट्रीयता | अखण्ड भारत |
क्षेत्र | ऋषी |
प्रसिद्धि | पारमाण्विक सिद्धान्त, अनुपात का नियम, कानद का नियम |
प्रभाव | कण |
कणाद का जन्म 2600 साल पहले गुजरात में भारत के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह सारा ज्ञान लेकर एक गुरुकुल के प्रधानाचार्य बन गए। सन् 600 ई०पू० में कड़ाद गुरुकुल में गणित, भौतिकी एवं रसायन शास्त्र पढ़ाने लिए खोजी बन गए। वहाँ पर उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय शिक्षण एवं शोधकार्य में व्यतीत किया। सन 600ई पू में इन्होंने अपने परमाणु सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जो द्रव्यों के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत साबित हुआ।
कणआद का पारमाण्विक सिद्धान्त
संपादित करेंकणआद ने द्रव्यों की प्रकृति के बारे में एक आधारभूत सिद्धान्त प्रस्तुत किया। डाल्टन ने द्रव्यों की विभाज्यता का विचार प्रदान किया जिसे उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था। ग्रीक दार्शनिकों के द्वारा द्रव्यों के सूक्ष्मतम अविभाज्य कण, जिसे परमाणु नाम दिया था, उसे कणआद ने भी परमाणु नाम दिया। कणआद का यह सिद्धांत रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था। के परमाणु सिद्धांत ने द्रव्यमान के संरक्षण के नियम एवं निश्चित अनुपात के नियम की युक्तिसंगत व्याख्या की। डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो, सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं। डाल्टन के सिद्धान्त की विवेचना निम्न प्रकार से कर सकते हैं:
- सभी द्रव्य परमाणुओं से बने होते हैं।
- परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं और न ही उनका विनाश होता है।
- किसी भी दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान एवं रासायनिक गुण समान होते हैं।
- भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं।
- भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर छोटे पूर्णांक अनुपात में संयोग कर यौगिक नियमित करते हैं।
- किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।
- एक रासायनिक प्रतिक्रिया परमाणुओं की एक पुनर्व्यवस्था है