जैवगतिशील कृषि या बायोडायनामिक कृषि छद्म वैज्ञानिक और गूढ़ अवधारणाओं पर आधारित वैकल्पिक कृषि का एक रूप है। इसे रुडोल्फ स्टीनर (1861-1925) द्वारा 1924 में विकसित किया गया था।[1] इसे जैविक कृषि आंदोलनों में से एक माना जाता था। बायोडायनामिक अन्य जैविकों से काफ़ी मिलता-जुलता है।

जैवगतिशील कृषि में गोबर तथा कूड़े से बनी खाद के उपयोग पर जोर दिया जाता है। इस कृषि के अंतर्गत मिट्टी और पौधों पर कृत्रिम (सिंथेटिक) उर्वरकों, कीटनाशकों और शाकनाशी का उपयोग नहीं किया जाता है।

बायोडायनामिक कृषि में खाद योजकों के लिए विभिन्न हर्बल और खनिज योजकों का उपयोग किया जाता है। इन्हें ऐसे तरीकों का उपयोग करके तैयार किया जाता है जो कृषि विज्ञान की तुलना में सहानुभूतिपूर्ण जादू के समान है, जैसे- गाय के सींग में जमीन में भरे क्वार्ट्ज को दफनाना, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह "मिट्टी में ब्रह्मांडीय शक्तियों" का उत्पादन करता है।

सिद्धांत की उत्पत्ति

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बायोडायनामिक पहली आधुनिक जैविक कृषि थी। इसका विकास 1924 में जर्मनी के सिलेसिया (अब पोलैंड में कोबिएरज़ीस) में श्लॉस कोबरविट्ज़ में दार्शनिक रुडोल्फ स्टीनर द्वारा दिए गए कृषि पर आठ व्याख्यानों की एक शृंखला के साथ शुरू हुआ था।[2] ये व्याख्यान, जैविक कृषि की पहली ज्ञात प्रस्तुति थी। ये व्याख्यान, उन किसानों के अनुरोध के जवाब में आयोजित किए गए थे जिन्होंने रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के परिणामस्वरूप खराब मिट्टी की स्थिति और फसलों और पशुधन के स्वास्थ्य और गुणवत्ता में गिरावट देखी थी।

इन्हें भी देखें

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  1. कृषि
  2. जैविक खेती
  1. रॉल, लेजानो (2013). द पावर ऑफ़ नेरेटिव इन एनवायरनमेंटल नेटिव. द एमआईटी प्रेस. पृ॰ 155. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780262519571.
  2. जॉन, पॉल (2013). "कोबरविट्ज़ (कोबीरज़ीस); रुडोल्फ स्टीनर के नक्शेकदम पर" (PDF). जर्नल ऑफ़ बायो-डायनामिक्स तस्मानिया (109 (शीत ऋतु)): 7–11. अभिगमन तिथि 2 फरवरी 2024.

बाहरी कड़ियाँ

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