आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री (५ फरवरी १९१६ - ०७ अप्रैल, २०११) हिंदीसंस्कृत के कवि, लेखक एवं आलोचक थे। उन्होने २०१० में पद्मश्री सम्मान लेने से मना कर दिया था। इसके पूर्व १९९४ में भी उन्होने पद्मश्री नहीं स्वीकारी थी।

बिहार-जन्म स्थान्

वे छायावादोत्तर काल के सुविख्यात कवि थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित किया था। आचार्य का काव्य-संसार बहुत ही विविध और व्यापक है।वे थोड़े-से कवियों में रहे हैं, जिन्हें हिंदी कविता के पाठकों से बहुत मान-सम्मान मिला है। प्रारंभ में उन्होंने संस्कृत में कविताएँ लिखीं। फिर महाकवि निराला की प्रेरणा से हिंदी में आए।

शास्त्रीजी का जन्म बिहार के [इमामगंज के नजदीक मैगरा|गया जिले]] के मैगरा गाँव में हुआ था।

कविता के क्षेत्र में उन्होंने कुछ सीमित प्रयोग भी किए और सन् ४० के दशक में कई छंदबद्ध काव्य-कथाएँ लिखीं, जो 'गाथा` नामक उनके संग्रह में संकलित हैं। इसके अलावा उन्होंने कई काव्य-नाटकों की रचना की और 'राधा` जैसा सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य रचा। परंतु शास्त्री की सृजनात्मक प्रतिभा अपने सर्वोत्तम रूप में उनके गीतों और ग़ज़लों में प्रकट होती है।

इस क्षेत्र में उन्होंने नए-नए प्रयोग किए जिससे हिंदी गीत का दायरा काफी व्यापक हुआ। वैसे, वे न तो नवगीत जैसे किसी आंदोलन से जुड़े, न ही प्रयोग के नाम पर ताल, तुक आदि से खिलवाड़ किया। छंदों पर उनकी पकड़ इतनी जबरदस्त है और तुक इतने सहज ढंग से उनकी कविता में आती हैं कि इस दृष्टि से पूरी सदी में केवल वे ही निराला की ऊंचाई को छू पाते हैं।

२६ जनवरी २०१० को भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया किन्तु इसे शास्त्रीजी ने अस्वीकार कर दिया। सात अप्रैल २०११ को मुजफ्फरपुर के निराला निकेतन में जानकीवल्लभ शास्त्री ने अंतिम सांस ली।

छायावाद के अंतिम स्तम्भ माने जाने वाले आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री का गुरुवार रात मुजफ्फरपुर में निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। उनके निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं कई साहित्यकारों ने शोक जताया है।

साहित्य सर्जना

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काव्य संग्रह - बाललता, अंकुर, उन्मेष, रूप-अरूप, तीर-तरंग, शिप्रा, अवन्तिका, मेघगीत, गाथा, प्यासी-पृथ्वी, संगम, उत्पलदल, चन्दन वन, शिशिर किरण, हंस किंकिणी, सुरसरी, गीत, वितान, धूपतरी, बंदी मंदिरम्‌

महाकाव्य - राधा

संगीतिका - पाषाणी, तमसा, इरावती

नाटक - देवी, ज़िन्दगी, आदमी, नील-झील

उपन्यास - एक किरण : सौ झांइयां, दो तिनकों का घोंसला, अश्वबुद्ध, कालिदास, चाणक्य शिखा (अधूरा)

कहानी संग्रह - कानन, अपर्णा, लीला कमल, सत्यकाम, बांसों का झुरमुट

ललित निबंध - मन की बात, जो न बिक सकीं

संस्मरण -अजन्ता की ओर, निराला के पत्र, स्मृति के वातायन, नाट्य सम्राट पृथ्वीराज कपूर, हंस-बलाका, कर्म क्षेत्रे मरु क्षेत्र, अनकहा निराला

समीक्षा - साहित्य दर्शन, त्रयी, प्राच्य साहित्य, स्थायी भाव और सामयिक साहित्य, चिन्ताधारा

संस्कृत काव्य - काकली

ग़ज़ल संग्रह - सुने कौन नग़मा

बाहरी कड़ियाँ

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