डा0 श्री प्रकाश बरनवाल का कहना है कि चिकित्सा शास्त्र आयुर्विज्ञान का एक क्षेत्र है। यह क्षेत्र अस्वस्थ्य मनुष्य को स्वस्थ्य बनाने से सम्बन्धित है। इस शास्त्र में अस्वस्थ्य मनुष्य का ब्याधि वा रोग का अध्ययन किया जाता है, उसके बाद उस ब्याधि को डायगनोज करके उसका निवारण किया जाता है। यह क्षेत्र मानव और रोग का ज्ञान और उस का प्रयोजन दोनों से सम्बन्धित है।

चिकित्सा सेवा चिकित्सक और चिकित्सा से सम्बन्धित व्यक्ति (जैसे - नर्स, फार्मासिस्ट आदि) रोग से ग्रस्त लोग को देते हैं। यह एक बहुत ही संवेदनशील शास्त्र है। कुछ शताव्दी पहले चिकित्सक को चिकित्सा करने के लिये विद्यावारिधि (डाक्टरेट) करना जरुरी था। इसीलिये चिकित्सक को डाक्टर भी कहते हैं। यह क्षेत्र बहुत संवेदनशील है। इसी लिये संसार के विभिन्न राष्ट्र में चिकित्सा सेवा से सम्बद्ध अनगिनत विधानों के होने के वावजजूद भी नये विधान निर्माण होते रहते हैं।

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आयुर्विज्ञान

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