चाचा चौधरी

कॉमिक्स बुक के पात्र

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चाचा चौधरी
कॉमिक पात्र चाचा चौधरी और राकेट
प्रकाशन सूचना
प्रकाशकडायमण्ड कॉमिक्स
प्रारूपongoing
प्रकाशन तिथि1971
मूल पात्रचाचा चौधरी, साबू और राकेट
रचनात्मक टीम
लेखकसैयद नाहिद मियाँ
कला/चित्र-कारप्राण कुमार शर्मा

चाचा चौधरी एक बेहद लोकप्रिय भारतीय कॉमिक्स पुस्तक के चरित्र हैं, जिसकी रचना दिवंगत कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा ने की थी। [1] उनकी कॉमिक्स हिंदी एवं अंग्रेज़ी समेत अन्य दस भारतीय भाषाओं के साथ प्रकाशित होती है और दस करोड़ से अधिक प्रतियों की बिक्री होती है। यह यकीनन भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कॉमिक्स पुस्तक है। "चाचा चौधरी" आधारित बने दूरदर्शन धारावाहिक पर इसके ६०० से अधिक एपीसोड तक एक प्रमुख चैनल पर दिखाए गए, जिसे अभिनेता रघुवीर यादव ने इसकी शीर्षक भूमिका को चरितार्थ किया था।[2]

"चाचा चौधरी" का आगमन १९७१ की प्रकाशित हिन्दी पत्रिका लोटपोट से हुआ था। जिसने जल्द ही बच्चों एवं बड़ों के बीच भरपूर लोकप्रियता हासिल की। डायमण्ड कॉमिक्स की प्रेस रिलीज बाद, १० से १३ उम्र के भारतीय बच्चों के समूह द्वारा सबसे अधिक मान्यता प्राप्त लोकप्रिय कॉमिक्स पुस्तक किरदारों में से एक माना गया। [3]

उन्हें डायमंड कॉमिक्स श्रंखला के अन्य किरदारों जैसे बिल्लू, पिंकी एवं रमन में मेहमान भूमिका भी दी गई।

"चाचा चौधरी" को एक आम मध्यमवर्गीय भारतीय के रूप में दिखाया गया है, यद्यपि कृशकाया होने के बावजूद वह बेहद विलक्षण बुद्धि के बुजुर्ग आदमी माने जाते रहे हैं। चुंकि चाचा को आमतौर पर अंग्रेजी में अंकल कहा जाता है, वहीं "चौधरी" शब्द को भारतीय सामाजिक धारणा में किसी बड़े जमींदार अथवा गाँव या शहर के बहुत सम्मानिय व्यक्ति के रूप में संबोधित किया जाता है। चाचा चौधरी को अमूमन उनको लाल पगड़ी, एक लकड़ी की छड़ी, एक वेस्टकोट जिनकी दोनों ओर जेबें हो, और एक जेबघड़ी लिए हुए दिखाया जाता हैं। प्रारंभिक कुछेक कॉमिक्स कथा में उन्हें पारंपरिक धोती-कुर्ते में दिखाया जाता रहा, जिसे बाद में आधुनिक परिवेश का हवाला देते हुए पैंट और कमीज पहने दिखाया गया। अपनी घरेलू पहचान स्वरूप उन्हें उनकी धर्मपत्नी बीनी (चाची), राकेट नामक एक वफादार एवं साधारण कुत्ता और एक भीमकाय शरीर के मालिक जुपिटरवासी साबू के साथ उनको दिखाया जाता। चाचा चौधरी अक्सर चटखारे भर तरबूज खाते नजर आते पर आम उनकी खासी कमजोरी है, पर घर में जब भी उनकी पत्नी उनपर भड़कती तो वह साबू या फिर राकेट संग घुमने निकल पड़ते। जब कभी वह अपनी पगड़ी उतारते, तो दिखाया जाता है कि वह पूरी तरह गंजे हैं।

शहर के सभी लोगों को ज्ञात है कि चाचा चौधरी जब भी अपने परिवार के साथ बाहर जाते हैं, वे अपने घर का दरवाजा कभी बंद नहीं करते; लेकिन आजतक कोई उनके घर पर चोरी करने में सफल नहीं रहा है। हालाँकि, कुछेक कहानियों में, जब चाची (उनकी धर्मपत्नी) ने घर पर ताला लगाते दिखाया गया है। जिसके कुछ समय बाद उनके सर पर या नाक पर खुजली मचती तो समझा जाता कि उनके घर कुछ अनहोनी हो रही है। अपने युवा समय के दौरान चाचा चौधरी को एक पेशेवर मुक्केबाज के रूप में उल्लेख देखने मिलता है जिन्हें उनकी अनूठे रणनीति और कुशल मुक्केबाजी के चलते तब अविजित माना जाता था।

चरित्रांकन

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जब इस सिरिज के प्रेरणा के विषय पर पुछा गया, तो प्राण साहब ने कहा, "हरेक परिवार में कोई एक बुद्धिमान बुजुर्ग होते हैं। वह अपने सामान्य विवेक से उनके मुश्किलें हल कराते हैं, मगर एक परिहास भरे अंदाज में। और यही हास्य मेरे बनाए कार्टूनों की बुनियाद है।"[3]

विशिष्ट तौर पर चाचा चौधरी को अन्य कॉमिक्स सुपरहीरो की तरह ना तो बलिष्ठ शरीर का दिखाया है, और ना ही कभी उन्हें असाधारण शक्तियों या आधुनिक गैजेटों का प्रयोग करते देखा गया। बजाय इनके, वह अपने "दिमाग को किसी भी सुपर-कंप्यूटर से ज्यादा पैनी अथवा तेज बताते" (जिसे बतौर लोकोक्ति में कहा जाता रहा है कि चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है ![4] ), और एक लकड़ी की छड़ी रखते, जिसे मुसीबत में वह उद्दंड बदमाशों की पिटाई कर डालते।

चाचा चौधरी के चरित्रांकन की तरह, प्राण साहब ने अन्य चरित्रों को, १९७० व १९८० के दशक के भारतीय उपनगरों के मध्यमवर्गीय परिवारों की तरह रखा है। तथा उनके खलपात्र भी सामान्य तौर पर भ्रष्ट सरकारी तंत्र के लोग, चोर, राह किनारे गुंडे एवं बदमाश, चालबाज तथा ठगबाज और स्थानीय ठग ही होते हैं। वह ना सिर्फ उनसे लड़ता है बल्कि आमजन की सहायता भी करता है साथ ही वह उन्हें नैतिक पाठ और अच्छे व्यवहार का भी सबक देता है। कई घटनाओं के अंत में ज्यादातर बदमाश उनस त्रस्त भी खाते हैं। सामान्य मध्यमवर्गीय जन की तरह उन्हें भी दैनिक समस्याओं से जुझना पड़ता है। पर इस बारे में भी प्राण साहब उनकी समस्याओं को चुटकी के साथ हल करते हुए उन्हें प्रसन्नचित चेहरों जैसे चमकदार आंखों या मुस्कान के साथ विदा कराते।

सहयोगी किरदार

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साबू दरअसल एक परग्रही है जो सुदूर जुपिटर ग्रह का वासी है, वह चाचा का बेहद विश्वसनीय साथी है और अपनी ताकत का प्रदर्शन वक्त पड़ने पर ही दिखाता है। वह बेहद विशाल और मजबूत शरीर का स्वामी है, जिसका कद १५ फीट से ज्यादा बताया जाता। हालाँकि अधिकांश कॉमिक्स सिरिजों में उसके अप्रत्याशित आकार-प्रकार को लेकर हमेशा से असंगत तर्क दिया जाता रहा है। पर कुछ कॉमिक्स में अपना कद सामान्य से कहीं ज्यादा सिकोड़ दिया गया था। जैसा कि कुछ कहानियों में उसे चाचा चौधरी द्वारा (कुछ हद तक अलादिन की तरह) चिराग से घिसकर निकालते हुए उल्लेख किया गया है। आमतौर पर वह महज पहलवानों का कच्छा (जांघियां), एक जोड़ी कान के कुंडल और एक जोड़ी गम-बूट पहने दिखाया जाता। मगर बाद के कुछ काॅकॉमिक्स उसे आरामदायक हरे रंग के पायजामे पहने भी दर्शाया गया है। साबू द्वारा आजन्म पृथ्वी पर चाचा के साथ रहने का तब निश्चय करता है जब वह पृथ्वी से विदा होने दौरान चाची के बनाये पराठों और हलवा जैसे स्वादिष्ट व्यंजन के मोह में पड़ जाता है। साबू का एक जुड़वा भाई दाबू भी है और साबू को वह बतौर दानव सरीखी कान की बालियां तोहफा देता है जिसे उसकी माँ ने दिया था जब वह जुपिटर को त्याग देता है।

काॅकॉमिक्ससार, जब कभी साबू को गुस्सा आता है, तो दूर कहीं एक ज्वालामुखी फटता है (जिसका वर्णन काॅमिकॉमिक्सल में बने चित्र में फटते हुए ज्वालामुखी को इंगित करते, यह कहा जाता है कि, "जब साबू को गुस्सा आता है, तो दूर जुपिटर में ज्वालामुखी फटता है !")। जब कभी वह अपनी महान ताकत का प्रदर्शन करता, तो मुँह से उसके "हु-हुबा!" के बोल फुटते। कुछ समय बाद उसे "जय बजरंग बलि" कहते दिखाया गया, जिसे मोटे तौर पर "जय हनुमान" (हिंदू पौराणिक गाथाओं के एक लोकप्रिय देवता) का ही अनुवाद कहा जाता है। वहीं कुछ काॅकॉमिक्स उसे १०८ चपातियां, १२ किलो हलवा और तकरीबन २० लीटर का भोजन करते बताया जाता जो उसकी दिनभर की खुराक है। उसने विवाह भी नहीं किया, और इस मुद्दे पर हमेशा दूरी ही रखी।

साबू, अपने चाचा की तरह, ना अधिक बुद्धिमान है, और ना बहुत ज्ञानी और चतुर बजाय इसके वह अपनी शारीरिक ताकत पर बहुत निर्भर है। हालाँकि, सजग रूप में काफी चुस्त है और कई बार उसने चाचा की जान बचाने के लिए अपनी विराट ताकत और बिजली जैसी फुर्ती का परिचय भी दिया है, अक्सर जब बदमाश चाचा को मारने पहुँचते तो अंतिम क्षण में उनके बीच कूद पड़ता। कुछेक कहानियों में, साबू कभी कभार समझदारी के काम कर जाता, वैसा ही जैसा चाचा करते ( जैसे किसी भगोड़े कैदी को वापस जेल पहुँचाना या अपनी बड़ी छतरी को डूबते लोगों पर फेंककर उन्हें बचाने का कारनामा इत्यादि)। साबे का अब तक का सबसे बड़ा दुश्मन "राका" है, उसी के कद और ताकत में बराबर, जोकि संयोगवश पुलिस से पीछा छुड़ाने की जल्दबाजी में एक विशेष आयुर्वेदिक अर्क को विष समझकर पी जाता है और अजर-अमर हो जाता है।

चाची (बीनी)

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चाचा चौधरी की पत्नी बीनी, भारी शरीर की एक आम गृहिणी है, एक ऐसी महिला जिसकी घर पर उनकी ही हुकूमत चलती है और चोर-उचक्कों की धुनाई अपने घरेलू बेलन (रोटी बेलने वाला लकड़ी का औजार) का इस्तेमाल करती। उन्हें अक्सर पोल्का बिंदी वाली छपाईदार साड़ी पहने दिखाया जाता और हेयरस्टाईल १९७० के दशक की हिंदी फ़िल्म अभिनेत्रियों की तरह रखा जाता। यद्यपि उनके कोमल दिल के बावजूद अपनी तनुकमिजाजी के लिए खासी प्रसिद्धि है मगर साथ ही वह काफी ख्याल रखनेवाली पत्नी भी है, वह अक्सर चाचा से उनके लिए सोने के कंगन दिलाने की या फिर कहीं बाहर ना घुमाने की शिकायत करती, और अधिकतर उनका वक्त साबू के लिए काफी सारा खाना बनाती बावजूद वह साबू का वह माँ की तरह ख्याल रखती। एक काॅमिकॉमिक्स उनको साबू का भोजन बनाने के लिए बड़ी हांडी में कलछी दिखाया गया और जिसे वह बाद में चाचा से भी ज्यादा स्नेह से उसका खाना परोसती।

वहीं एक काॅकॉमिक्सनी में चाची बीनी के इतिहास का उल्लेख मिलता है कि वह अपने जमाने में कैसी रहती थी। दरअसल वह कभी भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हुआ करती थी जिन्होंने चाचा चौधरी से विवाह करने तब निश्चय किया जब चाचा ने उनकी जान कुछ बदमाशों से बचाई जिन्होंने उनके जेवर लूटने के लिए जान की धमकी दी थी।

छज्जू चौधरी

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इस रहस्य को लेकर काॅमिकॉमिक्सकई किरदार अनभिज्ञ है कि चाचा चौधरी का कोई जुड़वा भाई, छज्जू चौधरी भी है, लेकिन वह चाचा की तरह गुणी नहीं हैं। कई कहानियों में वे उसे गुप्त हथियार की तरह बेईमान एवं बदमाशों के विरुद्ध उनको भ्रमित करते। एक समय मंगलवासियों ने उसे चाचा चौधरी की समझकर गलतफहमी में ले गए थे।

राॅकेट (राकेट)

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राकेट उनका पालतू कुत्ता है। जिन्हें वह आवरा कुत्तों की तरह ही पाया और चाचा ने उसे शरण दिया, हालाँकि उनकी पत्नी उससे खासा नाराज थी, जिन्होंने तब साबू को भोजन खिलाने बाद उन्हें मुट्ठी भर खाना मुनासिब होता है। मगर बाद में घर में घुसे एक चोर पर हमला करने की घटना बाद वह उसे अपना लेती है। इस तरह उसका नामकरण "राकेट" पड़ता है। काॅकॉमिक्स राकेट कुत्ते के विशेषता पर इतना ही कहा जाता है कि "चाचा चौधरी का कुत्ता स्लर्प स्लर्प दुध पीता है" अथवा ऐसा कहा जाता कि पूरे विश्व वही ऐसा कुत्ता है जोकि शाकाहारी है। राकेट ने कई अवसरों स्वयं को साबित किया है, जब उसे उसके दुश्मन पर झपटने को कहा जाए।

टिंगु मास्टर

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एक नाटे कद का अनाथ और बेरोजगार युवक, जो चाचा को अपना गुरु मान लेता हैं। साबू की तरह कद-काठी ना सही मगर इसी नाटेपन और चाचा की सिखाई तरकीबें से कई मुश्किलें आसान करा देता। मगर अफ्रीका देश के कांगो की यात्रा दौरान यही नाटापन उसके लिए मुसीबत बन जाती है, जिसे चाचा तथा साबू बड़ी मुश्किल से उसे बचा पाते हैं।

  1. Pilcher, Tim; Brad Brooks (2005). The Essential Guide to World Comics. Collins & Brown. OCLC 61302672. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-84340-300-5.
  2. "Raghubir Yadav interview on Rediff". मूल से 24 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2016.
  3. Lent, John A., संपा॰ (2001). Illustrating Asia: Comics, Humor Magazines, and Picture Books. University of Hawai'i Press. पृ॰ 55. OCLC 45661703. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8248-2471-6.