चम्पत राय जैन

जैन विद्वान (1867-1942)

चम्पत राय जैन (१८६७-१९४२) २०वीं सदी के एक प्रभावशाली जैन लेखक और तुलनात्मक धर्म के विद्वान थे। उन्होने कई यूरोपी देशों का दौरा किया और जैन धर्म और तुलनात्मक धर्म पर भाषण दिए। इन्हें भारत धर्म मंडल ने "विद्या वरिधि", की सम्मानजनक उपाधि प्रदान की।

विद्या वरिधि
चम्पत राय जैन
जन्म६ अगस्त १८६७
दिल्ली
मौत2 जून १९४२(१९४२-06-02) (उम्र 74 वर्ष)
भारत
दूसरे नामबैरिस्टर सी. आर. जैन
भाषाअंग्रेज़ी, हिंदी, उर्दू
विषयजैन धर्म, तुलनात्मक धर्म
उल्लेखनीय कामs"धर्म रहस्य", "द की आउफ़ नॉलेज"
खिताबजैन दर्शन दिवाकर

चम्पत राय जैन का जन्म ६ अगस्त १८६७ को दिल्ली में हुआ था। [1] १३ वर्ष की आयु में उनका विवाह तय कर दिया गया था।[1] १९८२ में वह बैरिस्टर की पढ़ाई करने इंग्लैंड चले गए।[2] २ जून, १९४२ को इनका निधन हो गया था। वह एक सक्षम बैरिस्टर-एट-लॉ, प्रभावी वक्ता, प्रभावशाली लेखक और महान सुधारवादी और दार्शनिक थे। [3][4][5][6]

पुस्तकें

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चम्पत राय जैन ने अपने समय की तीन मुख्य भाषाओं में पुस्तकें लिखी: अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू.[7]

अंग्रेजी

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  • थे की आउफ़ नॉलेज (कुंजी ज्ञान की) (१९१५, १९१९, १९२८)[8]
  • गृहस्थ धर्म (1917): जैन ग्रन्थ, रत्नकरण्ड श्रावकाचार का अंग्रेजी अनुवाद[9]
  • प्रैक्टिकल धर्म (1929)- अंग्रेजी पुस्तक "प्रैक्टिकल पाथ" का दूसरा संस्करण[10]
  • असहमत संगम (१९२९)[11]
  • जैन कानून (१९२६) [12][13]
  • न्याय - सोचने का विज्ञान (1916, 1924)[14]
  • जैन धर्म, ईसाई धर्म और विज्ञान (इलाहाबाद, 1930)[6]
  • Gems of Islam (जवाहरात ए इस्लाम) (1931)[15]
  • प्रैक्टिकल धर्म (1929)
  • ऋषभदेव - जैन धर्म के संस्थापक (1929, 1935)[16]
  • सन्यास धर्म (1926)
  • Sacred Philosophy. 1920.
निबंध और पते
  • जैन धर्म क्या है (निबंध और पते - I)
  • जैन धर्म और दुनिया की समस्याएँ (निबंध और पते - II)
  • हृदय का परिवर्तन (निबंध और पते - III)
  • जैन कानून
  • धर्म रहस्य
  • असहमत संगम
  • ज्ञान, दर्शन, और चरित्र
  • सनातन जैन धर्म
  • जवाहरात-ए-इस्लाम

कुंजी ज्ञान की

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द की आउफ़ नॉलेज किताब का कवर

चम्पत राय जैन द्वारा लिखी एक पुस्तक "द की आउफ़ नॉलेज" (कुंजी ज्ञान की) प्रथम बार १९१५ में प्रकाशित हुई थी। यह विद्वानों के बीच व्यापक रूप से प्रशंसित हुई थी। [11]

सन्दर्भ सूची

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  1. Kumar 1996, पृ॰ 98.
  2. Kumar 1996, पृ॰ 205.
  3. Indian Book Industry. 1976. पृ॰ 8.
  4. Jain, Vijay K (2006). From IIM-Ahmedabad to Happiness. पृ॰ xi. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788190363907.
  5. Farhadian, Charles E. (2015). Introducing World Religions: A Christian Engagement. Baker Academic. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781441246509. अभिगमन तिथि 26 October 2015.
  6. Jaini 2000, पृ॰ 33.
  7. Pruthi 2004, पृ॰ 123.
  8. Jain, Champat Rai (1919). The Key Of Knowledge. Internet Archive (Second संस्करण). Allahabad: The Central Jaina Publishing House. अभिगमन तिथि 17 November 2015.
  9. Jain, Champat Rai (1917). "The Ratna Karanda Sravakachara". Internet Archive. The Central Jaina Publishing House.
  10. Jain, Champat Rai (1929), The Practical Dharma, Allahabad: The Indian Press Ltd., मूल से पुरालेखित 4 मार्च 2016, अभिगमन तिथि 23 मई 2016सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)
  11. Jain 1921.
  12. Jain, Champat Rai (1926), The Jaina Law, Devendra printing & publishing Company, Limited
  13. Flügel, Peter (2006), Studies in Jaina History and Culture: Disputes and Dialogues, Routledge, पृ॰ 424, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781134235520
  14. Jain, Champat Rai (1916). "Nyaya- The Science Of Thought". Internet Archive. The Central Jaina Publishing House. अभिगमन तिथि 17 November 2015.
  15. "The Lifting Of The Vell or The Gems Of Islam". Internet Archive. मूल से पुरालेखित 4 मार्च 2016. अभिगमन तिथि 23 मई 2016.सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)
  16. Champat Rai Jain (1935). Risabha Deva - The Founder of Jainism. Internet Archive. The Jain Mitra Mandal.