गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति
गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति (अंग्रेजी: Ochre Coloured Pottery Culture या OCP ) उत्तर भारत में गंगा के मैदान में पनपी एक कांस्य युग की संस्कृति थी, जिसकी तारीख करीब 2000- 1500 ईसा पूर्व मानी जाती हैँ। इस संस्कृति का क्षेत्र पूर्वी पंजाब से पूर्वोत्तर राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।[1][2][3]
भौगोलिक विस्तार | उत्तर भारत |
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काल | काँस्य युग |
तिथियाँ | c. 2000–1500 इसापूर्व |
मुख्य स्थल | Ahichchhatra Bahadrabad Bargaon Bisauli Fatehgarh Hastinapur Hulas Jhinjhana Katpalon Kausambi Mitathal Red fort सिनौली |
विशेषताएँ | ताम्र के औज़ार कब्रों में बर्तन और ताम्र हथियार रखने का रीवाज़। |
पूर्ववर्ती | Neolithic |
परवर्ती | Black and red ware Painted Grey Ware culture |
इस संस्कृति की कलाकृतियाँ में उत्तर हड़प्पा संस्कृति और वैदिक संस्कृति दोनों की साथ समानताएं दिखाती हैं।[4][5] पुरातत्वविद् अकिनोरी उसुगी इसे हड़प्पा बारा संस्कृति के संस्कृतिक वारिस के तौर पर मानते हैं, जबकि परपोला के अनुसार, इस संस्कृति में गाड़ियों की खोज भारत उपमहाद्वीप में आर्य प्रवास को दर्शाती है, जो कि उत्तर हड़प्पियों के संपर्क में थी।[5] गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति ने उत्तर भारतीय कांस्य युग के अंतिम चरण को चिह्नित किया और उसके बाद पेंटेड ग्रे वेयर संस्कृति और फिर उत्तरी काले पॉलिश बर्तन संस्कृति आए।[6]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Benedetti, Giacomo. "The Chronology of Puranic Kings and Rigvedic Rishis in Comparison with the Phases of the Sindhu–Sarasvati Civilization" (अंग्रेज़ी में). पृ॰ 224.
- ↑ Singh 2008, पृ॰ 216.
- ↑ Kumar 2017, पृ॰प॰ 83–85.
- ↑ Gupta & Mani 2017.
- ↑ अ आ Parpola 2020.
- ↑ "Chronological order of poetry".