ग़ुलाम (फ़िल्म)
ग़ुलाम 1998 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन विक्रम भट्ट ने किया और मुख्य भूमिकाओं में आमिर ख़ान, रानी मुखर्जी और दीपक तिजोरी हैं। गुलाम का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन मध्यम रहा।[1] इसका संगीत मशहूर रहा खासकर "आती क्या खंडाला" विशेष रूप से लोकप्रिय हुआ था।
ग़ुलाम | |
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ग़ुलाम का पोस्टर | |
निर्देशक | विक्रम भट्ट |
लेखक | अंजुम राजबली |
निर्माता | मुकेश भट्ट |
अभिनेता |
आमिर ख़ान, रानी मुखर्जी, रजित कपूर, शरत सक्सेना, दीपक तिजोरी |
संगीतकार | जतिन-ललित |
प्रदर्शन तिथियाँ |
19 जून, 1998 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंसिद्धार्थ (आमिर ख़ान) एक शौकिया मुक्केबाज है जो काम नहीं करता है और उसे दोस्तों के साथ घूमना पसंद हैं। वो और उसका बड़ा भाई जय (रजत कपूर) एक आपराधिक डॉन, रौनक सिंह उर्फ रोनी के लिए काम करते हैं। लोगों में डर पैदा करके रौनक इस क्षेत्र पर हावी है और आसपास के क्षेत्र पर शासन करता है। वह व्यापारियों को आतंकित करता है और हफ्ता मांगता है। एक बच्चे के रूप में सिद्धार्थ ने अपने पिता, एक स्वतंत्रता सेनानी को आदर्श माना था। उसने उन्हें पुराने परिचितों से मिलने के बाद शर्म में आत्महत्या करते हुए देखा।
सिद्धार्थ एक मोटरसाइकिल गिरोह की सदस्य, अलीशा (रानी मुखर्जी) और एक सामाजिक कार्यकर्ता हरि से मिलता है। फिल्म सिद्धार्थ के अलीशा के साथ रोमांस और उसके सुधार की कहानी बताती है। एकमात्र आदमी जो रौनक के खिलाफ बात करने का फैसला करता है वह है सिद्धार्थ की प्रेमिका, अलीशा का भाई हरि। जब रौनक को पता चलता है कि हरि उसके खिलाफ गवाही देने के लिए अदालत में जा रहा है तो वह उसे मार देता है। सिद्धार्थ इस अपराध का चश्मदीद गवाह होता है। सिद्धार्थ ने अपने और अपने भाई के जीवन को खतरे में डालकर कानूनी कार्यवाही शुरू करके रौनक को कैद कराने का फैसला करता है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- आमिर ख़ान - सिद्धार्थ उर्फ सिद्धू
- रानी मुखर्जी - अलीशा
- रजित कपूर - जय
- दीपक तिजोरी - चार्ली
- शरत सक्सेना - रौनक "रॉनी" सिंह
- दलीप ताहिल - सिद्धार्थ के पिता
- मीता वशिष्ठ - सिद्धार्थ की वकील
- राजू खेर - अलीशा के पिता
- आशुतोष राणा - श्यामसुंदर अग्रवाल
संगीत
संपादित करेंग़ुलाम | ||||
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एल्बम जतिन-ललित द्वारा | ||||
लंबाई | 33:50 | |||
भाषा | हिन्दी | |||
लेबल |
टिप्स म्यूजिक | |||
जतिन-ललित कालक्रम | ||||
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सभी जतिन-ललित द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "आँखों से तूने ये क्या कह दिया" | समीर | कुमार सानु, अलका याज्ञिक | 5:05 |
2. | "आती क्या खंडाला" | नितिन राईक्वर | आमिर ख़ान, अलका याज्ञिक | 4:11 |
3. | "जादू है तेरा ही जादू" | समीर | अलका याज्ञिक, कुमार सानु | 7:42 |
4. | "अब नाम मोहब्बत के" | विनोद महेंद्र | उदित नारायण, अलका याज्ञिक | 5:18 |
5. | "साथ जो तेरा मिल गया" | इन्दीवर | उदित नारायण, अलका याज्ञिक | 5:26 |
6. | "तुझको क्या" | इन्दीवर | उदित नारायण, जोजो, सुरजीत | 6:08 |
रोचक तथ्य
संपादित करेंइस फिल्म में रानी मुखर्जी की आवाज अपनी नहीं बल्कि डबिंग कलाकार मोना घोष शेट्टी की है। निर्देशक को लगा था कि उनकी आवाज कर्कश है और उनके किरदार से मेल नहीं खाती।[2]
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1999 | आमिर ख़ान ("आती क्या खंडाला") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Box Office 1998". मूल से 17 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अप्रैल 2015.
- ↑ "Exclusive: आमिर की वजह से चली गई थी फिल्म गुलाम में रानी मुख़र्जी की 'आवाज़'". दैनिक जागरण. 20 फरवरी 2018. मूल से 22 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 सितम्बर 2018.