ग़ज़वा ए तबूक
गजवा-ए-तबूक या उसरा का अभियान (अंग्रेज़ी: Expedition of Tabuk) इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद का सैन्य अभियान था जिसे अक्टूबर 630 सीई (एएच 9) में हुआ था। 30,000 सैनिकों के साथ उत्तर से ताबुक तक, अक़ाबा की खाड़ी के पास, वर्तमान उत्तर-पश्चिमी सऊदी अरब में एक सैन्यबल का नेतृत्व किया।[3][4]
ग॒जवा-ए-तबूक | |||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|
अरब-बाइज़ेन्टाइन युद्ध का भाग | |||||||
Tabuk, Saudi Arabia locator map.png Tabuk, en:Saudi Arabia | |||||||
| |||||||
योद्धा | |||||||
Muslims | en:Byzantine Empire | ||||||
सेनानायक | |||||||
Muhammad | en:Heraclius | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
30,000[1][2] | Unknown |
गज्वए तबूक के दूसरे नाम
संपादित करें"तबूक" मदीना और शाम के दरमियान एक मक़ाम का नाम है जो मदीने से चौदह मन्जिल दूर है। बाज़ मुअर्रिखीन का क़ौल है कि "तबूक" एक कल्ए का नाम है और बाज़ का क़ौल है कि "तबूक" एक चश्मे का नाम है। मुमकिन है यह सब बातें मौजूद हों!
यह गुज्वा सख्त कहत के दिनों में हुवा। तवील सफ़र, हवा गर्म, सुवारी कम, खाने पीने की तकलीफ़, लश्कर की तादाद बहुत ज़ियादा, इस लिये इस गुज्वे में मुसलमानों को बड़ी तंगी और तंग दस्ती का सामना करना पड़ा। येही वजह है कि इस गज्वे को "जैशुल उसरह" (तंग दस्ती का लश्कर) भी कहते हैं और चूंकि मुनाफ़िकों को इस गज्वे में बड़ी शरमिन्दगी और शर्मसारी उठानी पड़ी थी। इस वजह से इस का एक नाम "गुज्वए फ़ाज़िहा" (रुस्वा करने वाला गुज्वा) भी है। इस पर तमाम मुअरिखीन का इत्तिफाक है कि इस गुज्वे के लिये हुजूर माहे रजब सि. 9 हि. जुमा 'रात के दिन रवाना हुए। [5]
अभियान
संपादित करेंमुहम्मद और उनकी सेनाओं ने अक्टूबर 630 (रजब एएच 9) में अकाबा की खाड़ी के पास उत्तर की ओर तबुक की ओर मार्च किया। यह उनका सबसे बड़ा और आखिरी सैन्य अभियान था। अली इब्न अबी तालिब , जिन्होंने मुहम्मद के कई अन्य अभियानों में भाग लिया, मुहम्मद के निर्देश पर मुहम्मद के तबुक अभियान में भाग नहीं लिया, क्योंकि उन्होंने मदीना में कमान संभाली थी। तबुक पहुंचने और वहां डेरा डालने के बाद, मुहम्मद की सेना ने बीजान्टिन आक्रमण का सामना करने के लिए तैयार किया। मुहम्मद ने तबुक में बीस दिन बिताए, क्षेत्र की छानबीन करते हुए, स्थानीय प्रमुखों के साथ गठजोड़ किया। बीजान्टिन सेना के कोई संकेत नहीं मिलने के कारण उसने मदीना लौटने का फैसला किया। "बल के इस प्रदर्शन ने मक्का से सीरिया तक कारवां मार्ग के उत्तरी भाग के नियंत्रण के लिए बीजान्टिन को चुनौती देने के अपने इरादे का प्रदर्शन किया।
सराया और ग़ज़वात
संपादित करेंअरबी शब्द ग़ज़वा [6] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[7] [8]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ George F. Nafziger; Mark W. Walton (2003), Islam at War: A History, Praeger Publishers, पृ॰ 13
- ↑ "Muḥammad". The Oxford Encyclopedia of the Islamic World। (2009)। Oxford University Press।
- ↑ Safiur Rahman Mubarakpuri, en:Ar-Raheeq Al-Makhtum -en:seerah book. "The invasion of Tabuk". पृ॰ 563.
- ↑ सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "ग॒जवा-ए-तबूक". पृ॰ 873. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
- ↑ "गज्वए तबूक, पुस्तक 'सीरते मुस्तफा', पृष्ट 487". Cite journal requires
|journal=
(मदद) - ↑ Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
- ↑ siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
- ↑ ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ), पैगंबर की जीवनी (प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक), हिंदी (Pdf)