गन्धर्व वेद
गंधर्व वेद चार उपवेदों में से एक उपवेद है। अन्य तीन उपवेद हैं - आयुर्वेद, शिल्पवेद और धनुर्वेद। गन्धर्ववेद के अन्तर्गत भारतीय संगीत, शास्त्रीय संगीत, राग, सुर, गायन तथा वाद्य यन्त्र आते हैं। गन्धर्व वेद सामवेद का उपवेद है। गन्धर्व वेद में ध्वनि के मूल तत्व को प्रदर्शित किया गया है। प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है कि सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति नाद यानी ध्वनि से उत्पन्न हुई है एक है आहत नाद एव दूसरा है अनाहत नाद उसी ध्वनि या नाद को गन्धर्व कहा गया है अर्थात गन्धर्व से सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति हुई है।
गन्धर्ववाद के अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति गन्धर्व अर्थात ध्वनि से हुई है जो कि प्राचीन वैदिक शास्त्र में भी स्पष्ट वर्णित है। आज विज्ञान का युग है जँहा सृष्टि की उत्पत्ति के विषय में अनेक सिद्धान्त प्रतिपादित की गई है जिसमें एक सिद्धांत सृष्टि की उत्पत्ति ध्वनि तरंग से हुई है कहता है ।
परिचय
संपादित करेंभारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्पत्ति वेदों से मानी जाती है। सामवेद में संगीत के बारे में गहराई से चर्चा की गई है। भारतीय शास्त्रीय संगीत गहरे तक आध्यात्मिकता से प्रभावित रहा है, इसलिए इसकी शुरुआत मनुष्य जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति के साधन के रूप में हुई। संगीत की महत्ता इस बात से भी स्पष्ट है कि भारतीय आचार्यों ने इसे 'पंचम वेद' या गंधर्व वेद की संज्ञा दी है। भरत मुनि का नाट्यशास्त्र पहला ऐसा ग्रंथ था जिसमें नाटक, नृत्य और संगीत के मूल सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है।
बाहरी कड़ियाँ
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