गंज बासौदा
गंज बासौदा (Ganj Basoda), जिसे केवल बसौदा (Basoda) भी कहा जाता है, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा ज़िले में स्थित एक नगर व तहसील है। यह भोपाल से ९६ किमी उत्तर दिल्ली-मुम्बई मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। यहाँ की मण्डी और पत्थर का व्यापार प्रसिद्ध है। यहां मुख्यतः हिंदू,जैन व मुस्लिम समुदाय निवास करते हैं। यहाँ बोलचाल की भाषा हिन्दी एवं बुंदेलखंडी है।[1][2]
गंज बासौदा Ganj Basoda बासौदा | |
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निर्देशांक: 23°51′N 77°56′E / 23.85°N 77.93°Eनिर्देशांक: 23°51′N 77°56′E / 23.85°N 77.93°E | |
देश | भारत |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | विदिशा ज़िला |
शासन | |
• सांसद | शिवराज सिंह चौहान |
• विधायक | हरीसिंह रघुवंशी |
• महापौर | श्रीमती शशि अनिल यादव |
ऊँचाई | 416 मी (1,365 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 78,289 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, बुंदेली |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 464221 |
दूरभाष कोड | +91-7594 |
वाहन पंजीकरण | MP-40 |
उदयपुर नील कण्ठेश्वर मन्दिर
संपादित करेंनील कंठेश्वर शिव मंदिर मध्यप्रदेश स्थित विदिशा जिले के गंजबासौदा तहसील के उदयपुर ग्राम में स्थित है जहाॅं पहुॅंचने के लिए निकटतम रेल्वे स्टेशन गंजबासौदा में और सड़क मार्ग से भोपाल-सागर मार्ग में भोपाल-विदिशा ग्यारसपुर होते हुए उदयपुर और विदिशा से गंजबासौदा होते हुए उदयपुर पहॅंचा जा सकता है। निकटतम हवाई हड्डा भोपाल में स्थित है। जिला मुख्यालय विदिशा से मंदिर लगभग 54 किमी की दूरी पर स्थित है।
मंदिर का निर्माण परमार राजा उदयादित्त द्वारा कराया गया था। मंदिर संवत् 1116 में प्रारंभ हुआ था और संवत् 1137 में निर्माण पूर्ण हुआ था और संवत 1137 में में शिखर पर ध्वजारोहण किया गया था, जिसका उल्लेख शिलालेख में है। मंदिर लाल बलुआ पत्थर से भूमिज शैली में निर्मित है और मंदिर के चारों ओर पत्थर की दीवाल बनाई गई है। मंदिर में प्रवेश के चार द्वार थे वर्तमान में केवल प्रवेश के लिये एक द्वारा उपलब्ध है। विशाल पत्थर से निर्मित जगती पर मंदिर का निर्माण किया गया है। मुख्य मंदिर व अन्य मंदिर जगती (पत्थर निर्मित चबूतरा) पर बने हुये है और सम्पूर्ण मंदिर निर्माण स्थल पत्थर की दीवाल से चारों ओर से घिरा हुआ है। मुख्य मंदिर मध्य में स्थित है और उसके चारों प्रत्येक कोने पर छोटे मंदिर का निर्माण किया गया था, और छोटे मंदिरों के मध्य में भी यज्ञशाला जैसे धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया था। वर्तमान में सभी छोटे मंदिर मूल स्वरूप में उपलब्ध नहीं है केवल उनके भग्नावेश उपलब्ध है। मंदिर का निर्माण खुजराहों के मंदिरों के निर्माण से समरूप और पंचायत शैली के समरूप है। मंदिर के शिखर पर एक मानव मूर्ति निर्मित है। आर्य शैली के शिखर मंदिरों में उपरोक्त मंदिर महत्वपूर्ण है। मुख्य मंदिर के पृष्ठ भाग पर निर्मित छोटे मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। जो वर्तमान में मंदिर प्रांगण में उपलब्ध है।
आज भी सूर्य की पहली किरण महादेव जी पर अवतरित होती है, मंदिर की प्रतेक्य कला में भिन्नता है कोई भी कला एक जैसी नही है, प्रत्येक महाशिवरात्रि पर हर वर्ष पांच दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है इस पवन अवसर पर लाखो भक्त शिव जी के दर्शन करने आते हैं और धर्म लाभ लेते हैं। महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है।
यहाँ पर पहुचने के लिए भक्त स्यंव वाहन, बस के द्वारा भी पहुच सकते हैं।
हिजरी 737 और 739 के दो शिलालेखों में मुहम्मद तुगलक के काल में और हिजरी 856 में इस्लामशाह सूरी के शासनकाल में मसूखाँ द्वारा और हिजरी 894 के शिलालेख में मांडू के मुहम्मद शाह खिलजी के समय में मस्जिद का निर्माण किये जाने का उल्लेख है। मुख्य नीलकंठेश्वर मंदिर की बाह्य दीवालों पर उत्कीर्ण देवी देवताओं के वास्तुशिल्प मुस्लिम शासन के शासकों के समय के दौरान तोड़ा गया है जिसके अवशेष मंदिर प्रागंण वर्तमान में उपलब्ध है।
मुख्य मंदिर मध्य मे निर्मित किया गया है और उसमें प्रवेश के तीन द्वार है। गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है जिसमें सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही उगते हुए सूरज की किरणें पड़ती है। मुख्य मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग का आकार लगभग 8 फुट का है जिस पर पीतल का आवरण चढ़ा हुआ है जो कि केवल शिवरात्रि के दिन ही उतारा जाता है। वर्तमान में भगवान शिव की पूजा अर्चना मंदिर पर की जाती है। शिवलिंग का निर्माण भोपाल के पास स्थित भोजपुर शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग के समरूप है।
मंदिर के बाह्य दीवाल पर विभिन्न देवी-देवताओं के मूर्तियाॅं पाषाण पर उत्कीर्ण की गई है, अधिकांश मूर्तियाॅं भगवान शिव के विभिन्न रूपों से सुसज्जित है महत्वपूर्ण मूर्ति शिल्प में स्त्रीगणेश, भगवान शिव की नृत्यरत् नटराज मूर्ति में महषासुर मर्दिनी, कार्तिकेय, आदि की मूर्तियाॅं है और इसके अतिरिक्त स्त्री सौन्दर्य को प्रदर्शित करती है।
विशेष
संपादित करेंतारण तरण दिगंबर जैन समाज के सर्वाधिक घर गंजबासोदा में हैं।नौलखी मंदिर विदिशा जिले का सबसे बड़ा मंदिर है। यहां दर्शनीय स्थलों में शीतला शक्ति धाम, रामदेव मंदिर, मंशापूर्ण हनुमान मंदिर आदि हैं।मई २०१८ को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गंजबासोदा को मिनी स्मार्टसिटी बनाने की घोषणा की।इसके अंतर्गत नगर में कई विकास कार्य किए जाने हैं।
शिक्षण संस्थान
संपादित करेंमहाविद्यालय
संपादित करें- कृषि महाविद्यालय
- सुभद्रा कुमारी कन्या महाविद्यालय
- संजय गांधी स्मृति महाविद्यालय
- चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय
- लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय
- आईटीआई कालेज
- राजीव गांधी महाविद्यालय
- मीडिया कालेज
विद्यालय
संपादित करें- केन्द्रीय विद्यालय गंज बासौदा
- सेंट एस आर एस पब्लिक हाइयर सैकंडरी स्कूल
- नवांकुर विद्यापीठ
- श्री तारण तरण जैन उत्कृष्ट विद्यालय
- डॉल्फिन द स्कूल आफ विज्डम
- भारत माता कान्वेंट
- सैंट जोसेफ पब्लिक स्कूल
- दिल्ली पब्लिक स्कूल
- स्कालर पब्लिक स्कूल
- न्यू स्कालर पब्लिक स्कूल
- शासकीय कन्या मंडी शाला
- गुरु विद्या वेली हाई स्कूल
- शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय
- राजीव मेमोरियल स्कूल
- राइजिंग पब्लिक स्कूल
- श्रीमती रतनबाई जैन स्कूल
- स्पंदन अकेडमी
- इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल
- जैनम् पब्लिक स्कूल
- सरस्वती शिशु मंदिर
- माॅडल पब्लिक स्कूल
- स्कूल ऑफ एक्सीलेंस
- वृन्दावन पब्लिक स्कूल
- सम्राट अशोक को.एड.अकेडमी
- विदिशा ज़िला
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293