क्रियोल भाषा या सिर्फ़ क्रियोल (creole language) ऐसी स्थाई भाषा को कहते हैं जो दो या दो से अधिक भाषाओं के मिश्रण से पैदा हुई हो। इस कारण से इन्हें कभी-कभी खिचड़ी भाषाएँ भी कह दिया जाता है, हालाँकि यह किसी आम मिश्रण से बनी बोली से भिन्न होती हैं क्योंकि क्रियोलों के बोलने वाले इन्हें अपनी मातृभाषा के रूप में अपना लेते हैं और इनमें प्राकृतिक भाषाओं के लक्षण उपस्थित होते हैं। यह पिजिन से अलग होती हैं क्योंकि पिजिन बोलियाँ कई भाषा-समुदायों के एक साथ सम्पर्क होने पर भाषा-मिश्रण से अपसी तालमेल में प्रयोग होने लगती हैं उन्हें कोई भी समुदाय अपनी मातृभाषा के लिये प्रयोग नहीं करता।[1][2]

क्रियोल भाषाओं के शब्द उनकी जननी भाषाओं से आते हैं, जिनमें अक्सर एक या दो प्रमुख होती हैं, मसलन मॉरीशस में बोली जाने वाली क्रीयोल में अधिकतर फ़्रान्सीसी और भोजपुरी के शब्द हैं। देखा गया है कि बहुत से शब्दों के उच्चारण व अर्थ मूल भाषाओं से बदल जाते हैं। इसी तरह क्रियोल भाषाओं के व्याकरण में भी अक्सर कई नवीनताएँ होती हैं जो जननी भाषाओं से अलग होती हैं।[3]

इन्हें भी देखें

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  1. Hymes, D. H. (1971), Pidginization and Creolization of Languages, Cambridge University Press
  2. Anderson, Roger W., ed. (1983), Pidginization and Creolization as Language Acquisition, Rowley, MA: Newbury House
  3. McWhorter, John H. (1998), "Identifying the creole prototype: Vindicating a typological class", Language (Language, Vol. 74, No. 4) 74 (4): 788–818, doi:10.2307/417003, JSTOR 417003