कोही लिपि
कोही एक प्राचीन लिपि थी जिसका उपयोगतीसरी शताब्दी ईसापूर्व से लेकर ८वीं शताब्दी तक गान्धार और मध्य एशिया में होता था। पाकिस्तान के पुरातत्वविद एम नसीम खान ने इस अज्ञात लिपि में एक अभिलेख की सर्वप्रथम खोज की थी। उन्होने ही इस लिपि का नाम 'कोही' दिया। सन १९९९ से वे इस लिपि के इतिहास का पता लगाने एवं इसके वाचन (decipherment ) के लिए प्रयासरत हैं। उन्होने पता लगा लिया है कि इस लिपि का वास्तविक नाम पुष्करसारी है जिसका उल्लेख अनेक ग्रन्थों में हुआ है। [1]
यह लिपि ब्राह्मी और खरोष्टी से बहुत कुछ समान है। कुछ चीनी वर्णों से भी यह बहुत समानता रखती है।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Nasim Khan, M. (2016) Kohi or Pushkarasari. The Story of an Un-deciphered Script from Gandhara. International Conference on Buddhist Archaeology in China and South Asia: 232-241. Conference held in Beijing in November 2016
- ↑ Kohi script from Gandhara, Discovery of Another Ancient Indian Writing System, by M. Nasim Khan, Gandharan Studies, volume 1, pages 89-101