कोटा राज्य

भारत के स्वतन्त्र होने के पहले एक रियासत थी जिसका केन्द्र कोटा था।

कोटा राज्य या कोटाह राज्य[1] भारत के स्वतन्त्र होने के पहले एक रियासत थी जिसका केन्द्र कोटा था।

कोटा रियासत
कोटा राज्य
देसी राज्य of ब्रिटिशकालीन भारत
१७वीं शताब्दी–1949
Flag of कोटाह
Flag
Coat of arms of कोटाह
Coat of arms

Kota State in the Imperial Gazetteer of India
Area 
• 1931
14,828 कि॰मी2 (5,725 वर्ग मील)
Population 
• 1931
685,804
History 
• Established
१७वीं शताब्दी
1949
परवर्ती
भारत
Today part ofराजस्थान, भारत

इतिहास

कोटा पहले बूंदी राज्य का भाग हुआ करता था किन्तु १७वीं शताब्दी में यह अलग राज्य बन गया। यहाँ हाड़ा चौहान का शासन था। शाहजहाँ के समय 1631ई. में बॅूदी नेरश राव रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह को कोटा का पृथक राज्य देकर उसे बूंदी से स्वतंत्र कर दिया। तभी से कोटा स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। माधोसिंह के बाद उसका पुत्र यहाॅ का शासक बना जो औरंगजेब के विरूद्ध धरमत के उत्तराधिकार युद्ध में मारा गया।

कोटा पहले कोटिया भील के नियंत्रण में था जिसे बूंदी के चौहान वंश के राजा जैतसिंह के पौत्र ने कोटिया भील को मारकर अपने अधिकार में कर लिया। कोटिया भील के कारण इसका नाम कोटा पड़ा।

झाला जालिमसिंह

झाला जालिमसिंह (1769-1823 ई.) कोटा के मुख्य शासक एवं फौजदार थे। वे बड़े कूटनीतिज्ञ एवं कुशल प्रशासक थे। मराठों, अंग्रेजो एवं पिंड़ारियों से अच्छे संबंध होने के कारण कोटा इनसे बचा रहा । दिसम्बर,1817ई. में यहाँ के फौजदार जालिमसिंह झाला ने कोटा राज्य की और से ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि कर ली।

18387ई. मे कोटा से अलग करके झालावाड़ एक स्वतत्र रियासत बनी। यह राजस्थान में अंग्रेजो द्वारा बनाई गई आखरी रियासत थी। इसकी इसकी राजधानी झालावाड़ रखी गई।

1947 में भारत के स्वतन्त्र होने पर मार्च, 1948 में कोटा का राजस्थान संघ में विलय हो गया और कोटा महाराव भीमसिंह इसके राजप्रमुख बने एवं कोटा राजधानी। बाद में इसका विलय वर्तमान राजस्थान में हो गया।

सन्दर्भ

  1.   Kotah”ब्रिटैनिका विश्वकोष (11th) 15। (1911)। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस।