कोका सुब्बा राव (15 जुलाई 1902 - ) भारत के एक न्यायाधीश तथा पूर्व मुख्य न्यायधीश थे। वे 30 जून 1966 को अमल कुमार सरकार के सेवानिवृत्त होने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके एक वर्ष के भीतर ही पद त्यगकर राजनीति में आ गये। उस समय उनकी सेवानिवृत्ति के 3 महीने का समय बचा था। सन १९६७ के भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में जाकिर हुसैन के विरुद्ध वे चुनाव मैदान में उतरे थे।[1]

कोका सुब्बा राव

के एस राव

कोका सुब्बा राव का सन १९५५ का एक छायाचित्र


कार्यकाल
30 जून 1966 – 11 अप्रैल 1967
द्वारा नियुक्त सर्वेपल्ली राधकृष्णन
पूर्व अधिकारी अमल कुमर सरकार
उत्तराधिकारी कैलास नाथ वाँचू

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश
कार्यकाल
1956 – 1958
पूर्व अधिकारी Nawab Alam yar jung Bahadur
उत्तराधिकारी P. Chandra Reddy

जन्म 15 जुलाई 1902
Rajahmundry, Madras Presidency, British India
मृत्यु 6 मई 1976(1976-05-06) (उम्र 73 वर्ष)
कोका सुब्बा राव का 1955 का एक फ़ोटो

सुब्बाराव ने भारत का मुख्य न्यायधीश बनने के कुछ महीने के भीतर ही ‘गोकुलनाथ मामले’ में प्रसिद्ध निर्णय दिया। उन्होंने कहा कि संसद के पास संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों को छीनने का कोई अधिकार नहीं है। यह निर्णय एक प्रकार से सरकार की हार कही गई।

श्री के0 सुब्बाराव का जन्म 15 जुलाई 1902 को हुअ थ। उनकी शिक्षा गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज, राजमुंदरी और लॉ कॉलेज, मद्रास में हुई। सन् 1926 से मद्रास उच्च न्यायालय में वकालत आरम्भ की। मार्च 1948 से जुलाई 1954 से मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। 5 जुलाई, 1954 से 31 अक्टूबर, 1956 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। पुनः 1 नवंबर, 1956 से जनवरी 1958 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। 31 जनवरी 1958 से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। 30 जून 1966 को भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुये। 11 अप्रैल 1967 को सेवानिवृत्त हुये।