कामरूपी लोकगीत लोक संगीत का लोकप्रिय रूप है जो कामरूपी लोगों के विचारों और भावनाओं को व्यक्त करता है।[1] कामरूपी लोकगीत की भाषा असमिया की विभिन्न बोलियाँ और पैतृक रूप हैं, जिनमें प्रारंभिक असमिया, कामरूपी बोलियाँ और मानक असमिया शामिल हैं। इस लोकगीत में असमिया भाषा की विभिन्न बोलियाँ शामिल हैं जिनमें प्रारंभिक असमिया, कामरूपी बोलियाँ और मानक असमिया आदि विद्यमान हैं।

तानपुरा बजाते हुए महिला

ये गीत कामरूप क्षेत्र के लोगों द्वारा अनादि काल से गाए जाते रहे हैं। इसके अलावा दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को जोड़ने वाले गीत भी लोकप्रिय हैं, जैसे विवाह गीत (बियार गीत), वर्तमान में खेलर (नाव दौड़) गीत, महा खेड़ा (मच्छर भगाना) गीत, बालक्रीड़ा गीत, मछली पकड़ने वाला गीत, लोरी गीत तथा फसल उत्सव संबंधी गीत आदि। यह लोकगीत विनम्र डोलर और डागर (या खंजरी) के साथ गाया जाता है, जो कि अत्यधिक जटिलता को प्रदर्शित करता है।[2] यह संगीत विधाओं की समृद्धि के लिए जाना जाता है।[3]

इन्हें भी देखें

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  1. Bīrendranātha Datta (1999), Folkloric Foragings in India's North-East, p.31. p.p.240
  2. Dhaneswar Kalita (1991), Traditional performances of South Kamrup, p.57, p.p82, Gian Pub. House
  3. Sangeet Natak Akademi (1974), Sangeet natak: Issues 31-34