कान्हाचट्टी
कान्हाचट्टी, झारखण्ड के चतरा जिले का एक सामुदायिक विकास खंड है। यही वही प्रखंड है जहां कभी खरवार राजा का गढ़ था।
कान्हाचट्टी | |
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सामुदायिक विकास केन्द्र | |
निर्देशांक: 24°17′15″N 85°2′0″E / 24.28750°N 85.03333°Eनिर्देशांक: 24°17′15″N 85°2′0″E / 24.28750°N 85.03333°E | |
देश | India |
राज्य | झारखण्ड |
जिला | चतरा जिला |
ब्लॉक | कान्हाचट्टी |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 227.49 किमी2 (87.83 वर्गमील) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 63,012 |
• घनत्व | 280 किमी2 (720 वर्गमील) |
Languages | |
• Official | हिन्दी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
PIN | 825401 (चतरा) |
Telephone code | 06541 |
वाहन पंजीकरण | JH-13 |
साक्षरता | 62.88% |
वेबसाइट | chatra |
अफीम की खेती को लेकर कान्हाचट्टी प्रखंड चर्चे में रहता है। आए दिनों इस प्रखंड में अफीम व गांजा की खेती नष्ट किए जाने की खबर आती रहती है । यह क्षेत्र उग्रवाद को लेकर भी सुर्खियों में रहता है।
कैंडीनगर
संपादित करेंकान्हाचट्टी प्रखंड मुख्यालय से थोड़ी ही दूर पर स्थित है- कैंडीनगर। कैंडीनगर परगना में खरवार राजा का शासन था। खरवारों के प्रसिद्ध शासक रोहतास गढ़ के राजा प्रताप धवल देव के वंशज कैंडी परगना के राजा थे। ये रामगढ़ राज के रिश्तेदार भी थे।खरवारों ने इस परगना में लगभग 200 वर्षों तक शासन किया।
कैंडीनगर पर कभी नहीं हुआ हमला : कैंडी परगना में कभी हमला नहीं हुआ। छोटी सल्तनत होने के कारण यह महफूज रहा। अब इस परिवार का कोई वंशज नहीं है। कभी हमेशा रोशन रहने वाला राजा गढ़ में अब कोई दिया जलाने वाला नहीं है। सल्तनत तो कब की बिखर चुकी है।
इस राज परिवार के बारे में ग्रामीणों में एक कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि केड़ीनगर के खरवार राजा पगड़ी बांधने व सजने- संवरने के शौकीन थे। इसके लिए वे दूर-दूर तक मशहूर थे। उन्हें राज विस्तार पर होने वाले एक अहम बैठक में शामिल होने के लिए पदमा किला जाना था। वहां कई राजाओं का जुटान था। लेकिन पगड़ी के शौकीन कैंडीनगर राजा ने पगड़ी संवारने में ही रात बिता दी। इसके कारण वे समय से पदमा नहीं पहुंच पाए। जब पहुंचे तो काफी देर हो चुकी थी। इसका फायदा रामगढ़ राजा को मिला। केड़ीनगर राजा को भारी क्षति हुई। इसके बाद खरवार राजा की सल्तनत मात्र 10 कोस में सिमटकर रह गई। तारकेश्वर सिंह राज परिवार के अंतिम वंशज थे।
एक बड़े टीले में राजा का गढ़ था जो अब खंडहर में बदल गया है।
सन्दर्भ
संपादित करें* Kanhachatti News - the rule of the khawaras was never ... - Bhaskar