करौली
करौली (Karauli) भारत के राजस्थान राज्य के करौली ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह ज़िला बृज क्षेत्र में स्थित है।[1][2]
करौली Karauli | |
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कैलादेवी मंदिर, करौली | |
निर्देशांक: 26°30′N 77°01′E / 26.50°N 77.02°Eनिर्देशांक: 26°30′N 77°01′E / 26.50°N 77.02°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | करौली ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 82,960 |
भाषा | |
• प्रचलित | बृज भाषा, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 322241 |
विवरण
संपादित करेंकरौली की स्थापना 955 ई. के आसपास राजा विजय पाल ने की थी जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भगवान कृष्ण के वंशज थे।एक समय जैसलमेर व करौली राज्यों पर जादौन राज परिवारों का शासन रहा है। [3] 1818 में करौली राजपूताना एजेंसी का हिस्सा बना। 1947 में भारत की आजादी के बाद यहां के शासक महाराज गणेश पाल देव ने भारत का हिस्सा बनने का निश्चय किया। 7 अप्रैल 1949 में करौली भारत में शामिल हुआ और राजस्थान राज्य का हिस्सा बना।करौली का सिटी पेलेस राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। मदन मोहन जी का मंदिर देश-विदेश में बसे श्रृद्धालुओं के बीच बहुत लोकप्रिय है। अपने ऐतिहासिक किलों और मंदिरों के लिए मशहूर करौली दर्शनीय स्थल है। करौली की भूमि ब्रज क्षेत्र में आती है।
रजवाड़ा: करौली | |
क्षेत्र | डाँग |
ध्वज | |
स्वतंत्र: | करौली रजवाड़ा |
राज्य अस्तित्व: | 10 c./19 c.-1949 |
राजवंश | जादौन |
राजधानी | करौली |
मुख्य आकर्षण
संपादित करेंसिटी पेलेस
संपादित करेंयह महल करौली का मुख्य आकर्षण है। इसका निर्माण अर्जुन पाल ने 14वीं शताब्दी में कराया था। लेकिन इसका वर्तमान स्वरूप का श्रेय राजा गोपाल सिंह को जाता है जिन्होंने 18वीं शताब्दी में इसका पुन: निर्माण करवाया था। लाल बलुआ पत्थर से बने इस महल में सफेद पत्थरों का भी खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है। महल की छत से शहर का पूरा दृश्य देखा जा सकता है। दीवान-ए-आम की जालियां और रंग पहल के रंगीन कांच से बने झरोखे भी देखने लायक हैं। 1950 में यह महल मदन मोहन ट्रस्ट को सौंप दिया गया।
करौली पशु मेला
संपादित करेंफरवरी में होने वाले पशु मेले में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में मवेशी यहां लाए जाते हैं। इस मेले में पशु दौड़ का आयोजन किया जाता है। इस दौड़ का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ अच्छे जानवरों की बिक्री भी होता है। इस मेले में अनेक ऐसी चीजें भी मिलती हैं जो आमतौर पर करौली में नहीं होती जैसे नागौरी माला, जोधपुरी पीतल का सामान आदि। यह शहर के बाहर मेला द्वार के पास, भंवर विलास पेलेस होटल से एक किलोमीटर दूर स्थित है और दर्शकों के लिए सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला होता है।
मदन मोहन मंदिर
संपादित करेंमदन मोहन मंदिर सिटी पेलेस से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में और जयपुर के गोविंदजी और गोपीनाथ मंदिर में एक ही दिन दर्शन करना शुभ होता है। समय: गर्मियों में सुबह 4 बजे से 11.30 बजे तक, शाम 6.30 बजे से रात 9 बजे तक सर्दियों में सुबह 5 बजे से 12.30 बजे तक, शाम 5.30 बजे से रात 8 बजे तक। कोरोना काल में मदन मोहन मंदिर में ऑनलाईन लाईव दर्शन की शुरूआत भी की गई।
मन्दिर श्री कल्याणराय जी महाराज
संपादित करेंश्री कल्याण राय जी का मन्दिर सिटी पेलेस के सामने लाल नक्काशीदार पत्थरों से निर्मित है। !यह मंदिर भी भगवान विष्णु को समर्पित है। इसका निर्माण 955 ई. के आसपास राजा विजय पाल ने सिटी पेलेस के निर्माण से पहले चालू कर दिया था।बर्तमान करौली की नींव का पत्थर इसी मन्दिर से रखा गया था, इसी कारण करौली का नाम पूर्व मै कल्याणपुरी रखा गया था। इस मन्दिर के निर्माण के बहुत समय तक कोई दूसरा मन्दिर नहीं होने के कारण चतुर्वेदियों एवम अग्रवालों ने महाराज की अनुमति से क्रमशः (गोपाल जी - राधारानी) एवम (कृष्ण भगवान - राधारानी) की मूर्तियां स्थापित करवा दीं। आज भी चतुर्वेदियों एवम अग्रवालों के यहाँ कोई भी अच्छा - बुरा काम पड़ता है तो उस काम की शुरुआत व समाप्ती इसी मन्दिर से की जाती है। करौली दरवार के कुलदेवता का सम्मान भी इसी मन्दिर को प्राप्त है। ये तीनों आज भी किसी भी शुभकार्य मै ध्वजा चढाने आते हैं जिसमे (आटा,चावल,दाल,घी,गुड,चीनी और रुपया नारियाल )आता है एवम मातम कार्य मै भी पत्तल आती है जिसमे आटा,दाल,घी,बूरा,मिठाइयाँ व न्योछावर के रूपये आते हैं। इसी मन्दिर मै भगवान विष्णु के द्वार शापित , ग्यारिस माता की मूर्तियाँ भगवान ब्रह्मा,विष्णु एवम महेश के चरणों मै उलटी लटकी हुई हैं। प्रत्येक ग्यारिस को ग्यारिस का ब्रत रखने वाले चावल चढाने आते हैं। दर्शनलाभ का समय गर्मियों में सुबह 4.30 बजे से 11.30 बजे तक, शाम 6.00 बजे से रात 8.30 बजे तक एवं सर्दियों में सुबह 5.30 बजे से 12.00 बजे तक, शाम 6.00 बजे से रात 8.30 बजे तक होता है।
निकटवर्ती स्थल
संपादित करेंकैला देवी अभ्यारण्य
संपादित करेंयह अभ्यारण्य करौली से 23 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस अभ्यारण्य की सीमा कैलादेवी मंदिर के पास से शुरु होकर करन पुर तक जाती हैं और रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से भी मिलती हैं। कैला देवी अभ्यारण्य में नीलगाय, तेंदुए और सियार के अलावा किंगफिशर में मिलते हैं।
तिमनगढ़ किला
संपादित करेंतीमनगढ़ करौली से 40 किलोमीटर दूर है। इस किले का निर्माण 12वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। अपने समय में तिमनगढ़ स्थानीय सत्ता का केंद्र था। 1196 में यहां के राजा कुंवर पाल का हराकर मोहम्मद गौरी और उनके सेनापति कुतुबुद्दीन ने इस पर अपना कब्जा कर लिया था। इसके बाद राजा कुंवर पाल को रेवा के एक गांव में शरण लेनी पड़ी। किले के मुख्य द्वार पर मुगल स्थापत्य कला का प्रभाव दिखाई पड़ता है। लेकिन किले के आंतरिक हिस्सों पर यह प्रभाव नहीं है। इसकी दीवारें, मंदिर और बाजार अपने सही रूप में देखे जा सकते हैं। किले से सागर झील का विहंगम दृश्य भी देखा जा सकता है।
श्री कैला देवी मंदिर
संपादित करेंश्री कैला देवी जी मंदिर करौली से 23 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 1100 ई. में हुई थी। श्री कैला देवी पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों की आराध्य देवी हैं। प्रतिवर्ष करीब 60 लाख श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं। यह मंदिर देवी दुर्गा के 9 शक्तिपीठों में से एक है। चैत्र नवरात्रों में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। लांगुरिया गीत प्रसिद्ध है।
श्री महावीरजी मंदिर
संपादित करेंश्री महावीर जी करौली से 36 किलोमीटर दूर महावीरजी चांदनपुर गांव मे स्थित है। यह मंदिर जैन धर्म की आस्था का केन्द्र है। इस मन्दिर मे भगवान महावीर की प्रतिमा है, जोकि पद्मासन मे विराजित है। मंदिर के पास हि गम्भीर नदी बहती है। महावीरजी कि प्रतिमा को जमीन से खोद कर प्राप्त किया गया है, जिससे से सम्बन्धित कथा है कि एक ग्वाले की कामधेंनु गायें प्रतिदिन एक टीले पर जा कर अपना सारा दूध उस टीले पर फैला देती थीं। इस घटना से आश्चर्य चकित होकर ग्वाले व गाँव वालो ने उस टीले की खुदाई कि तो वहाँ से महावीरजी कि मूर्ति निकली। यहाँ प्रतिवर्ष महावीर जयंती (चैत्र शुक्ल त्रयोदशी) पर (अप्रैल माह मे) मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि पाँच दिनो तक चलता है। मेले के अंतिम दिन रथ यात्रा निकाली जाती है व कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं। देशभर से हजारों श्रद्धालु इसमे सम्मिलित होने आते हैं। यह मंदिर सांप्रदायिक सदभावना का केंद्र है।
चंबल नदी
संपादित करेंचंबल नदी, करौली जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर, तथा मंडरायल उपखंड से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके राजघाट पर पुल निर्माण कार्य जारी है। इससे पहले यहां प्रतिबर्ष अस्थाई तैरता हुआ पुल बनाया जाता रहा है, जिसे मानूसन के दौरान हटा लिया जाता है। निकट ही रहूंघाट नामक स्थान है, जो भ्रमण योग्य है।
मंडरायल किला
संपादित करेंमंडरायल किला, मंडरायल उपखंड का एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। वर्तमान में देखभाल और सार संभाल के अभाव के चलते यह क्षतिग्रस्त हो रहा है।
प्रमुख बांध
संपादित करेंपांचना बांध
संपादित करेंपांचना बांध करौली जिला मुख्यालय से ३ किमी दूर स्थित है। यह राजस्थान का एकमात्र मिट्टी से बना बांध है। यह करौली जिले का सबसे बड़ा बांध है जो पांच नदियों के (बरखेडा,भद्रावती,अटा,मांची,भैंसावट) के संगम पर स्थित है। इस बांध से एक नदी , जिसे गंभीर नदी के नाम से जाना जाता है, निकलती है। इस बांध पर करौली –हिंडोन मार्ग पर एक पुल बना हुआ है जिसे अंजनी का पुल के नाम से जाना जाता है क्योकि इस पुल के समीप पहाड़ी पर अंजनी माता का मंदिर है।
मामचारी बांध
संपादित करेंमामचारी बांध जिला करौली मुख्यालय से 10 किमी और कैलादेवी से 12 किमी दूर मामचारी गाँव में स्थित है I यह बांध पहाड़ो के बीच में बनाया गया है और की पल मिट्टी से बनी हुई है I बांध में मछली पालन भी होता है I बरसात के दिनों में लोग मामचारी बांध पर पिकनिक मनाने और घुमने के लिए जाते है I इसमें पानी किसी नदी से नहीं आकर पहाड़ो से बहकर आता है I
रानी का बांध
संपादित करेंयह बांध करौली के मासलपुर कस्बे के पास नारायणा ग्राम पंचायत में स्थित है जो अभी पिछले साल 2016 में हुई भारी बरसात के कारण टूट चूका था I इसकी दुरी करौली जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी है I इस बांध में बरसात के मोसम में भरे पानी का उपयोग गर्मियों के मौसम में पशुओ को पीने के लिये काम में आता है I डांग क्षेत्र होने के कारण पत्थर होने की वजह से गर्मियों में पशुओ के लिये काफी उपयोगी साबित होता है I
करौली उपखंड
संपादित करेंकरौली उपखंड करौली जिले के मध्य स्थित उपखंड है I यह उपखंड जिला मुख्यालय भी है I यह उपखंड रेलवे लाइन रहित है लेकिन गंगापुर से करौली होते हुए धोलपुर रेलवे लाइन के लिए सर्वे हो चूका है अतः यहाँ रेलवे की सुविधा भी उपलब्ध होने के आसार है I इसके बीच से धोलपुर से लालसोट तक जाने वाला राष्ट्रिय राजमार्ग 11B सड़क मार्ग गुजरता है जो आगे जाकर राष्ट्रिय राजमार्ग-11 में मिलता है I इस उपखंड में 46 ग्राम पंचायत है और यह 6 तहसील करौली और 1)मासलपुर 2)sapotra 3)todabhim 4)Hindaun city 5)madraal 6)nadoti में विभाजित है I इस उपखंड में एक सामान्य चिकित्सालय और एक सिटी डिस्पेंसरी भी स्थित है I शिक्षा के लिए एक राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय और एक राजकीय महाविधालय और काफी सारे निजी विधालय और महाविधालय है I इस उपखंड को रोडवेज बस डिपो की सोगात अभी मिली है I
उपखंड की ग्राम पंचायते
संपादित करेंकरौली उपखंड में 46 ग्राम पंचायत है I जो कि करौली उपखंड मुख्यालय से 60 किमी तक की दुरी में फैली हुई है जिनके नाम निम्न है:
क्र.सं. | ग्राम पंचायत का नाम | उपखंड मुख्यालय से दुरी |
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1 | अतेवा | 16.3 किमी |
2 | बीजलपुर | 17 किमी |
3 | भाँवली | 31 किमी |
4 | चैनपुर बर्रिया | 23.2 किमी |
5 | चैनपुर गाधोली | 15.5 किमी |
6 | डांडा | 58.1 किमी |
7 | फतेहपुर | 22.7 किमी |
8 | गैरई | 31.8 किमी |
9 | गुनेसरा | 9.6 किमी |
10 | गुडला | 9.8 किमी |
11 | गुवरेडा | 26.1 किमी |
12 | हरनगर | 15 किमी |
13 | जहांगीरपुर | 17.1 किमी |
14 | जमूरा | 45.2 किमी |
15 | कैलादेवी | 22.7 किमी |
16 | करसाई | 11.9 किमी |
17 | काशीपुरा | 26.1 किमी |
18 | खेडिया | 23.1 किमी |
19 | खोहरी | 21.5 किमी |
20 | खुबनगर | 17.7 किमी |
21 | खुंडा | 43.6 किमी |
22 | कोंडर | 9.6 किमी |
23 | कोटा मामचारी | 12.1 किमी |
24 | कोटा छाबर | 16.8 किमी |
25 | लोहर्रा | 25.6 किमी |
26 | महोली | 21.3 किमी |
27 | मामचारी | 9.8 किमी |
28 | मांची | 9.1 किमी |
29 | मासलपुर | 30.7 किमी |
30 | नारायणा | 30.5 किमी |
31 | परीता | 20.1 किमी |
32 | पिपरानी | 50.2 किमी |
33 | रघुवंशी | 13.9 किमी |
34 | राजौर | 15.4 किमी |
35 | रामपुर | 8.0 किमी |
36 | रतियापुरा | 19.8 किमी |
37 | रोंडकला | 15.6 किमी |
38 | रूधपुरा | 35.8 किमी |
39 | सांयपुर | 11.5 किमी |
40 | ससेडी | 11.3 किमी |
41 | सीलोती | 31.1 किमी |
42 | सेमरदा | 28 किमी |
43 | सेंगरपुरा | 15.8 किमी |
44 | कंचनपुर | 36.7 किमी |
45 | तुलसीपुरा | 12.9 किमी |
46 | कैलादेवी | 22.7 किमी |
शैक्षणिक संस्थान
संपादित करेंकरौली उपखंड शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी एवं निजी शैक्षणिक संस्थान स्थित है जो शिक्षा के क्षेत्र में अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहे है I करौली में स्कूली शिक्षा,कॉलेज शिक्षा,तकनिकी शिक्षा आदि के संस्थान स्थित है I करौली के कुछ मुख्य शिक्षण संस्थान निम्न है-
करौली के सरकारी शिक्षण संस्थान
संपादित करें- राजकीय स्नातकोत्तर महाविधालय
- राजकीय कन्या महाविधालय
- राजकीय ओधोगिक प्रशिक्षण महाविधालय
- राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय
- राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विधालय
इनके अलावा बड़ी ग्राम पंचायत स्तर पर उच्च माध्यमिक विधालय और जहा उच्च माध्यमिक विधालय नहीं है वहां माध्यमिक विधालय है I,इसके अलावा ग्राम स्तर पर उच्च प्राथमिक विधालय,प्राथमिक विधालय भी स्थित है I
करौली के निजी शिक्षण संसथान
संपादित करेंकरौली उपखंड में राजकीय शैक्षणिक संस्थाओ के अलावा निजी शिक्षण संसथान भी संचालित है जो शिक्षा के क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाये हुए है I निजी शिक्षण संस्थानों में विधालयो के साथ साथ महाविधालय भी शामिल है I निजी शिक्षण संस्थानों में वीणा मेमोरियल करौली उपखंड का बड़ा समूह है I कुछ निजी शैक्षणिक संसथान निम्न है
- वीणा मेमोरियल कॉलेज
- वीणा मेमोरियल शिक्षक प्रशिक्षण महाविधालय
- वीणा मेमोरियल पशुधन सहायक महाविधालय
- वीणा मेमोरियल पॉलिटेक्निक महाविधालय
- मंगलम् भारती आदर्श माध्यमिक विद्यालय,
कैलादेवी
- वीणा मेमोरियल पब्लिक स्कूल
- महात्मा ज्योतिबा फूले उच्च माध्यमिक विधालय
- शिवा एकेडमी स्कूल
- लोकहितकारी उच्च माध्यमिक विधालय
- बाल भारती उच्च माध्यमिक विधालय
- ज्ञानधारा उच्च माध्यमिक विधालय
- सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्यालय, कैलादेवी
इसके अतिरिक्त करौली उपखंड के कैलादेवी और मासलपुर कस्बो में भी निजी शिक्षण संसथान संचालित है I अतः करौली उपखंड में निजी शिक्षण संस्थान भी अच्छी तरह अपना काम कर रहे है I
आवागमन
संपादित करें- हवाई मार्ग
नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर विमानक्षेत्र यहां से 160 किलोमीटर दूर है।
- रेल मार्ग
नजदीकी रेलहेड हिण्डौन सिटी रेलवे स्टेशन, दिल्ली और मुंबई से गोल्डन टैंपल मेल और पश्चिम एक्सप्रैस से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग
करौली महुवा से केवल 64 किलोमीटर दूर है और आगरा और जयपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 23 पर स्थित है।
खरीदारी
संपादित करेंकरौली में चमड़े की जूतियां, चांदी के गहने और स्टील का सामान बहुत मशहूर है। इन्हें खरीदने के लिए सिटी पेलेस के पास के बाजार में जा सकते हैं। इसके अलावा मिट्टी से बनी भगवान की मूर्तियां और दूध की मिठाइयां भी लोगों का खूब पसंद आती हैं। इस बाजार में कोई बड़ा सामान मिलना मुश्किल है लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा बनाए जाने वाली लाख और कांच की चूडि़यां खरीदी जा सकती हैं। लकड़ी के खिलौने सैलानियों को लुभाते हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990
- ↑ https://books.google.co.in/books?id=FdPFkAsDJVgC&pg=PA7&dq=ahir+rajput+raja&hl=en&sa=X&redir_esc=y#v=onepage&q=ahir%20rajput%20raja&f=false