एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स

सर एड्विन्स लैंडसीयर लूट्यन्स, OM, KCIE,PRA,FRIBA,LLD (29 मार्च 18691 जनवरी 1944) बीसवीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार थे, जिन्हें अपने युग की आवश्यकताओं के अनुसार परंपरागत शैली को कल्पनापूर्वक अपनाने के लिये याद किया जाता है। इन्होंने कई इंग्लिश भवन बनाये, व मुख्यतः इन्हें भारत की तत्कालीन राजधानी नई दिल्ली की अभिकल्पना के लिये जाना जाता है। इनका जन्म व मृत्यु लंदन में ही हुई। इनका नाम इनके पिता के एक मित्र, एक शिल्पकार, एड्विन लैण्डसियर के नाम पर रखा गया था। इन्हें महानतम ब्रिटिश वास्तुकार कहा जाता है।[1]

एड्विन्स को पारम्परिक वास्तुशिल्पीय शैलियों को अपने समय की ज़रूरतों के अनुसार ढ़ालने के लिए जाना जाता है। वे कई अंग्रेज़ी कन्ट्री घरों के निर्माता थे। लुट्यन्स को “सबसे महान ब्रिटिश शिल्पकार”[2] बुलाया गया है। वे दिल्ली महानगर के हिस्से, नई दिल्ली, की रूपरेखा बनाने के लिए मशहूर हैं।[3] इसके निर्माण में उनके योगदान के कारण नई दिल्ली को लुट्यन्ज़ दिल्ली (या लुट्यन्स की दिल्ली) भी बुलाया जाता है। सर हर्बर्ट बेकर के साथ, वे नई दिल्ली के कई स्मारकों के मुख्य शिल्पकार थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं इण्डिया गेट और वाइसरॉय हाउस, जिसे अब राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है।[4][5]

इन्होंने रॉयल कालिज ऑफ आर्ट्स, लंदन से 1885 से 1887 तक वास्तु कला (आर्किटेक्चर) की शिक्षा ली। यहीं इनका परिचर प्रथम बार सर हर्बर्ट बेकर से हुआ था।

निजी अभ्यास

संपादित करें

१८८८ में इन्होंने निजि अभ्यास आरम्भ किया। फिर इन्होंने उद्यान अभिकल्पक जर्ट्र्यूड जैकिल के साथ कार्य शुरु किया।

इनके कार्य

संपादित करें
 
Thumb

आरम्भ में इनकी शैली कलात्मक रही, परन्तु १९०० के आरम्भ तक, इन्होंने परंपरागत शैली अपना ली। इनके द्वारा लंदन में हैम्स्टीड गार्डन सबर्ब, तथा कैसल ड्रोगो, ड्र्यूस्टिंग्न्टन बनाये गये हैं। इसके साथ ही, इन्होंने भारत की नयी राजधानी दिल्ली की योजना में प्रधान वास्तुकार की भूमिका निभायी। इनके साथ हर्बर्ट बेकर व अन्य भी रहे। यहां, इन्होंने स्थानीय स्थापत्य के घटक भी अपनी शैली में जोड़े। इन्होंने ही राष्ट्रपति भवन के मुगल उद्यान में, नयी योजना डाली। फिर इन्होंने हैदराबाद के निजाम के लिये दिल्ली में महल रूप में, हैदराबाद हाउस भी बनवाया।

मार्श कोर्ट, हैम्प्शायर में इन्होंने एक चॉकपत्थर की इमारत भि अभिकल्पित की।

 
The Cenotaph, Whitehall

द्वितीय विश्व युद्ध के अन्त तक, इन्हें इम्पीरियल वार ग्रेव्स आयोग के तीन में से एक प्रधान वास्तुकार का पद मिला रहा। तब इन्होंने युद्ध में काम आये सैनिकों हेतु, कई स्मारक बनवाये। इन स्मारकों में से मुख्य हैं: सीनोटॅफ, वेमिनिस्टर, थीप्वाल युद्ध स्मारक। इन्हें 1918 में नाइट बनाया गया[6] and was elected a Fellow of the Royal Academy in 1921[7]. In 1924, he was appointed a member of the newly created Royal Fine Art Commission,[8] जिस पर पर ये, मृत्यु पर्यन्त रहे। नई दिली में अपने कार्य के साथ ही, इन्हें लंदन की कई वाणिज्यिक इमारतें, व वाशिंग्टन डी.सी. में ब्रिटिश दूतावास की इमारत का कार्य भी मिला। 1929 में, लिवरपूल में इन्हें रोमन कैथोलिक गिरिजाघर (कैथेद्रल) का कार्य मिला। इन्होंने 510 फीट के गुम्बद के साथ एक विशाल इमारत की अभिकल्पना की, व कार्य आरम्भ भी हो गया, परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध के कारण रुक गया। युद्ध के बाद, पूंजी के अभाव में, यह इमारत केवल एक तहखाना मात्र बनी।[9][10].

1945 में, नकी म्रुत्योपरांत, "ए प्लैन फॉर द सिटि एण्ड काउंटी ऑफ किंग्स्टन अपॉन हिल" प्रकाशित हुई। लूत्यन्स इसके सह-सम्पादक रहे थे।

नई दिल्ली

संपादित करें

लूट्यन्स द्वारा लगभग बीस वर्षों में बनी, नई दिल्ली को कलकत्ता के स्थान पर नयी राजधानी चुनना 1912 में तय हुआ। यह परियोजना आधिकार्तिक रूप से 1929 में पूर्ण हुई, व 1931 में उद्घाटित हुई।


Many of the garden-ringed villas in the Lutyens Bungalow Zone (LBZ) that were part of Lutyens' original scheme for New Delhi are under threat due to the constant pressure for development in Delhi. The LBZ was placed on the 2002 World Monuments Fund Watch List of 100 Most Endangered Sites.

आयरलैंड में कार्य

संपादित करें

विवाह एवं आगे का जीवन

संपादित करें

]</ref>

  1. Edith Mary Lutyens (1908-1999); a stockbroker Anthony Rupert Herbert Franklin Sewell. They had issue, one daughter. She married 2ndly 1945 the art historian and royal furrier J.G. Links (d. 1997).[11] -->

जीवन के अंतिम दिनों में, उन्हें निमोनिया का आघात हुआ। आरम्भिक 1940 के दशक में, उन्हें कैंसर पता चला। 1 जनवरी,1944 को उन्होंने ने अंतिम सांसें ली। उनका स्मारक उनके मित्र व सह-वास्तुकार विलियम कर्टिस ग्रीन ने बनवाया, जो लंदन के सेंट पाउल गिरिजाघर के क्रिप्ट में स्थित है।

लूट्यन्स के कार्य की दीर्घा

संपादित करें

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  1. "The Memorial to the Missing of the Somme" 2006. Gavin Stamp
  2. "The Memorial to the Missing of the Somme" 2006. Gavin Stamp.
  3. Architecture, power, and national ... – Google Books. Books.google.com. मूल से 2 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 March 2011.
  4. European cities & technology ... – Google Books. Books.google.com. मूल से 2 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 March 2011.
  5. A history of interior design – Google Books. Books.google.com. मूल से 2 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 March 2011.
  6. You must specify date= when using {{London Gazette}}.
  7. Having previously been an Associate of the Academy
  8. You must specify date= when using {{London Gazette}}.
  9. The Very Greatest Building that was never Built Archived 2008-05-11 at the वेबैक मशीन (sourced from Findarticles.com)
  10. Transcript of audio download of 'Lutyen's Cathedral' talk Archived 2007-09-27 at the वेबैक मशीन by Paul O'Keeffe
  11. This gives Links' death date.
  • Edwin Lutyens & Charles Bressey, The Highway Development Survey, Ministry of Transport, 1937
  • Edwin Lutyens & Patrick Abercrombie, A Plan for the City & County of Kingston upon Hull, Brown (London & Hull), 1945.
  • Lutyens Abroad: The Work of Sir Edwin Lutyens Outside the British Isles, edited by Andrew Hopkins and Gavin Stamp. London: British School at Rome, 2002 (paperback, ISBN 0-904152-37-5).
  • Petter, Hugh. Lutyens in Italy: The Building of the British School at Rome. London: British School at Rome, 1992 (paperback, ISBN 0-904152-21-9).

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें
Honorary titles
पूर्वाधिकारी
सर विलियम लेवलिन
प्रेसीडेंट ऑफ रॉयल अकेडमी
1938–1944
उत्तराधिकारी
सर एल्फ्रेड मिन्निंग्स

ब्रिटिश वास्तुकार|लूट्यन्स, एड्विन भवन