एक सपेरा एक लुटेरा
एक सपेरा एक लुटेरा 1965 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें फ़िरोज़ ख़ान एवं कुमकुम मुख्य कलाकार हैं। संगीत उषा खन्ना द्वारा है और गीतों के बोल असद भोपाली ने लिखें हैं। यह फिल्म फ़िरोज़ ख़ान की शुरुआती हिट फिल्मों में से एक है।[1]
एक सपेरा एक लुटेरा | |
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फिल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | नरेश कुमार |
निर्माता | विष्णु मेहरोत्रा |
संगीतकार | उषा खन्ना |
प्रदर्शन तिथि |
1965 |
लम्बाई |
मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंसुंदरगढ़ के लालची राजकुमार ने अपने पिता को मार डाला ताकि वह सिंहासन को पा सके। उसने अपने पुत्र को शाप दिया कि वह भी अपने बेटे के हाथों मारा जाएगा। राजकुमार को ताज पहनाया जाता है, उसकी शादी हो जाती है और उसकी पत्नी गर्भवती हो जाती है। वह अपने बच्चे की हत्या करने की योजना बनाता है, ताकि उसके पिता के अभिशाप को खत्म किया जा सके। उसकी पत्नी जुड़वाँ बच्चों को जन्म देती है, जिनमें से एक को उसके साथ छोड़ दिया जाता है और दूसरे को जंगली जानवरों द्वारा खाये जाने के लिये छोड़ दिया जाता है। महल में बड़ा हुआ बच्चा विजय प्रताप सिंह (फ़िरोज़ ख़ान) बनता है। जंगल में छोड़ा गया व्यक्ति को सपेरों द्वारा बचाया जाता है और उसका नाम मोहन है।
जहां विजय बिगड़ैल और दमनकारी बन जाता है, मोहन ईमानदार है और गांव की लड़की राधा से प्यार करता है। दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन राधा के माता-पिता उसकी शादी कहीं और तय कर देते हैं और दोनों भाग के शादी करने का फैसला करते हैं। ग्रामीण मोहन के साथ राधा को देख लेते हैं, लेकिन वह इस बात से इनकार करता है और उसे समुदाय से भगा दिया जाता है। वह सुंदरगढ़ की ओर जाता है, जहां उसे पता चलता है कि राजकुमार उसका हमशक्ल है और यह विजय ही था जिसने राधा का अपहरण किया था। तरह-तरह के भेस ग्रहण करते हुए, वह उसे विजय के चंगुल से मुक्त करता है। लेकिन ऐसे वो पकड़ा जाता है, उसे पीटा जाता है, यातना दी जाती है और भूमिगत दफन कर दिया जाता है। वह भागने में सफल होता है और राधा से संपर्क करता है। लेकिन उसे झटका लगता जब वह विजय की पत्नी होने का दावा करती है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- फ़िरोज़ ख़ान — मोहन / विजय प्रताप सिंह
- कुमकुम — राधा / प्रेम प्यारी
- सुन्दर — बदलूराम
- टुन टुन — बिन्दू
- इंदिरा बंसल — इंदू चौधरी
- मुमताज़ बेगम — राजमाता
- रशीद ख़ान — चौधरी
संगीत
संपादित करेंसभी गीत असद भोपाली द्वारा लिखित; सारा संगीत उषा खन्ना द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "एक सपेरा एक लुटेरा" | सुमन कल्याणपुर, मोहम्मद रफी | 6:20 |
2. | "हम तुम से जुदा होके" | मोहम्मद रफी | 5:17 |
3. | "मेरा बन जाये कोई" | मोहम्मद रफी | 3:27 |
4. | "मेरा सनम तू जो नहीं" | लता मंगेशकर | 5:42 |
5. | "तेरा भी किसी पे दिल आये" | मोहम्मद रफी | 3:53 |
6. | "उठाओ जाम चलो दोनों साथ साथ" | सुमन कल्याणपुर | 4:04 |
7. | "ये दिल फरेब सूरत" | मन्ना डे, उषा खन्ना | 5:58 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "जनता के जानशीन, फिरोज खान की 21 बातें..." आज तक. मूल से 12 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 दिसम्बर 2019.