उपयोगितावाद
उपयोगितावाद (Utilitarianism) एक आचार सिद्धांत है जिसकी एकांतिक मान्यता है कि आचरण (action) एकमात्र तभी नैतिक है जब वह अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख की अभिवृद्धि करता है। राजनीतिक तथा अन्य क्षेत्रों में इसका संबंध मुख्यत: बेंथम (1748-1832) तथा जान स्टुअर्ट मिल (1806-73) से रहा है। परंतु इसका इतिहास और प्राचीन है, ह्यूम जैसे दार्शनिकों के विचारों से प्रभावित, जो उदारता को ही सबसे महान गुण मानते थे तथा व्यक्तिविशेष के व्यवहार से दूसरों के सुख में वृद्धि ही उदारता का मापदंड समझते थे।
उपयोगितावाद के संबंध में प्राय: कुछ अस्पष्ट ओछी धारणाएँ हैं। इसके आलोचकों का कहना है कि यह सिद्धांत, सुंदरता, शालीनता एवं विशिष्टता की उपेक्षा कर केवल उपयोगिता को महत्त्व देता है। पूर्वपक्ष का इसपर यह आरोप है कि यह केवल लौकिक स्वार्थ को महत्त्व देता है। किंतु ऐसी आलोचना सर्वथा समुचित नहीं कही जा सकती। ड
परिचय
संपादित करेंउपयोगितावाद अनेक सापेक्ष विचारों को महत्त्व देता है। जैसे, आनंद ही सबसे वांछनीय वस्तु है और यह जितना अधिक हो उतना ही श्रेयस्कर है। इसका एक भ्रामक निष्कर्ष यह है कि दु:ख ही सबसे अवांछनीय वस्तु है और यह जितना कम भोगना पड़े उतना ही अच्छा है। इससे यह निर्दिष्ट है कि नैतिक अभिकर्ता का किसी भी परिस्थिति में ऐसा ही आचरण सदाचार माना जाएगा जो स्वेच्छया किया गया हो, जो संबंधित लोगों के लिए महत्तम सुख की सृष्टि करता हो अथवा कर सकने की
संभावना रखता हो और जहाँ पर दु:ख अवश्यंभावी है वहाँ उसे यथासंभव कम-से-कम करने का प्रयत्न करता हो।
ऐसे विचारों में निहित भावों की विवेचना एकपक्षीय नहीं हो सकती, फिर भी आनंद भी तुच्छ तथा दु:ख भी महान हो सकता है और कोई यह सिद्ध नहीं कर सकता कि आनंद नित्य श्रेय तथा दु:ख नित्य हेय है। यह भी स्पष्ट है कि "सुख" की ठीक-ठीक परिभाषा करना, यदि असंभव नहीं तो, कठिन अवश्य है। जर्मन दार्शनिक नीत्शे ने एक बार प्रसिद्ध घोषणा की कि "सुख कौन चाहता है? केवल अंग्रेज।" अधिकांश भारतीय विचारों में जोर निराशक्ति पर ही दिया गया है, जिससे आनंद की माप क्षणस्थायी एवं सुख कुछ नि:सार प्रतीत होता है। वास्तव में उपयोतिगतावाद का पूर्णत: तर्कसम्मत एवं स्थायी अनुयायी होना कुछ सरल नहीं, फिर भी सिद्धांत तथा व्यवहार में सामंजस्य स्थापित करने के प्रयत्न के कारण और जीवतत्व के लिए स्वस्थ तथा नैतिक अच्छाई का मार्ग निर्दिष्ट करनेवाले आनंद को मनुष्य के स्वाभाविक मार्गदर्शन के रूप में प्रतिष्ठित करने के कारण उपयोगितावाद कुछ आकर्षण रखता है और एतदर्थ सामान्य भी है।
बेंथम ने लिखा है, "प्रकृति ने मनुष्य को दो प्रभुओं सुख एवं दु:ख, के शासन में रखा है। केवल इन्हीं को यू सूचित करने की शक्ति प्राप्त है कि हमें क्या करना चाहिए तथा हम क्या करेंगे। इनके सिंहासन के एक ओर उचितानुचित निर्धारण का मान बँधा है, दूसरी ओर कार्य कारण का चक्र।" कोई भी इस कथन में त्रुटि निकाल सकता है। वस्तुत: उपयोगितावादियों की सबसे बड़ी त्रुटि उनकी दार्शनिक पकड़ की कमजोरी में ही रही है। परंतु उनके द्वारा वास्तविक सुधारों को जो महत्त्व दिया गया, तत्कालीन परिस्थितियों में वह सामाजिक चिंतन के क्षेत्र में निस्संदेह नया कदम था। दूरदर्शी तथा कुशल व्यवस्थापकों द्वारा ही समाजकल्याण संपन्न हो सकता है, ऐसी कल्पना की गई। बेंथम के शब्दों में, व्यवस्थापक ही बुद्धि तथा विधि (कानून) द्वारा सुख रूपी पट बुन सकता है।
बेंथम ने न केवल इंग्लैंड वरन् यूरोप के अन्य देशों के विचारों को भी अत्यंत प्रभावित किया। जेलों में सुधार में, न्यायव्यवहार को सरल करने में, अमानुषिक परिणामहीन दंड व्यवस्था हटाने में, बेंथम से बड़ी सहायता प्राप्त हुई। जब उसे निश्चय हो गया कि संसदीय सुधार के बिना वैधानिक सुधार असंभव है तब वह उस ओर आकर्षित हुआ। उपयोगितावाद के आर्थिक उद्देश्यों का निरूपण, जो मुख्यत: निर्बंध व्यापार पर वैधानिक नियंत्रणों की समाप्ति से संबंधित है, रिकार्डों के साहित्य में अत्यंत सुंदर ढंग से हुआ है। सिद्धांत निरूपण की अपेक्षा, जो उपयोगितावादियों का विशेष इष्ट कभी न रहा, आजकल राजनीतिक कार्यक्रमों को अधिक महत्त्व दिया जाने लगा है। किंतु इस दर्शन की स्थायी देन नैतिकता तथा सामाजिक अंगों के कार्य में प्रत्यक्ष संबंध का सिद्धांत है। (
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- The English Utilitarians, Volume l by Sir Leslie Stephen
- The English Utilitarians, Volume ll by Sir Leslie Stephen
- Utilitarian Philosophers Large compendium of writings by and about the major utilitarian philosophers, both classic and contemporary.
- Utilitarian Resources Collection of definitions, articles and links.
- Felicifia Currently the web's only Utilitarianism forum.
- Felicifia Utilitarianism blogs.
- Charity International
- Primer on the Elements and Forms of Utilitarianism A convenient summary of the major points of utilitarianism.
- Consequentialism From the Stanford Encyclopedia of Philosophy.
- A Critique of Utilitarianism (PDF) Bernard Williams' criticism of utilitarianism.
- Utilitarianism as Secondary Ethic A concise review of Utilitarianism, its proponents and critics.
- Utilitarisme the web's only Utilitarian forum in French
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (नवम्बर 2023) स्रोत खोजें: "उपयोगितावाद" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |