आशारानी व्होरा
आशारानी व्होरा (जन्म: ७ अप्रैल १९२१[1] - मृत्यु: २१ दिसम्बर २००९[2]) ब्रिटिश भारत में झेलम जिले[3] में जन्मी एक हिन्दी लेखिका थीं जिन्होंने सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की। जीवन की अन्तिम साँस तक वह निरन्तर लिखती रहीं। ८८ वर्ष की आयु में उनका निधन नई दिल्ली में अपने बेटे डॉ॰ शशि व्होरा के घर पर हुआ। आशारानी को अपने जीवन काल में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति एक ट्रस्ट बनाकर नोएडा स्थित सूर्या संस्थान को दान कर दी।
आशारानी व्होरा | |
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जन्म | ७ अप्रैल १९२१ ग्राम: दुलहा, तहसील: चकवाल, जिला: झेलम, अविभाजित हिन्दुस्तान |
मौत | २१ दिसम्बर २००९ नई दिल्ली, भारत |
पेशा | स्वतन्त्र लेखन, पूर्णत मसिजीवी |
भाषा | हिन्दी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | बीसवीं शताब्दी |
विधा | गद्य, पद्य, इतिहास व राजनीति |
विषय | गीत, रेखाचित्र, संस्मरण व निबन्ध |
आंदोलन | नारी स्वालम्बन एवं राष्ट्रीय चेतना |
उल्लेखनीय कामs | स्वाधीनता सेनानी लेखक-पत्रकार, मेरे ये आदरणीय और आत्मीय, स्त्री-सरोकार, उडान और आसमान के बीच |
आशारानी व्होरा: एक सार्थक रचना-यात्रा विष्णु प्रभाकर |
संक्षिप्त जीवनी
संपादित करेंआशारानी व्होरा का जन्म अविभाजित हिन्दुस्तान के जिला झेलम की तहसील चकवाल स्थित उनकी ननिहाल के ग्राम दुलहा[4] में ७ अप्रैल १९२१ को हुआ। उनका वास्तविक नाम शकुन्तला था। बालिका शकुन्तला का बचपन ग्वालियर रियायत के सामन्ती माहौल में बीता किन्तु विवाह के बाद आशारानी का शेष जीवन संघर्ष और साधना की भट्टी में निरन्तर तपता रहा। विवाह से पूर्व मिडिल तक की शिक्षा स्कूल से प्राप्त की। शेष शिक्षा यदा-कदा प्राइवेट परीक्षायें देकर पूरी की। हिन्दी प्रभाकर के बाद उन्होंने समाज शास्त्र में स्नातकोत्तर (एम॰ए॰) किया और कला-शिल्प की औपचारिक शिक्षा ग्रहण की।
सरिता से लेखन प्रारम्भ
संपादित करेंवे १९४६ से हिन्दी मिलाप (लाहौर) सरस्वती (प्रयाग) जैसी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखती रहीं किन्तु पहली बार उन्हें १९६४ में दिल्ली से प्रकाशित होने वाली प्रमुख पत्रिका सरिता के सम्पादकीय विभाग में कार्य करने का अवसर मिला। उसके बाद उन्होंने देश की ख्यात-अख्यात सभी पत्र-पत्रिकाओं में छपना शुरू किया जो मरते दम तक जारी रहा। धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान व कादम्बिनी जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं से लेकर हिन्दुस्तान (हिन्दी-दैनिक), दैनिक जागरण, स्वदेश, पंजाब केसरी, पान्चजन्य व अमर उजाला सरीखे समाचार-पत्रों में उनके लेख धारावाहिक रूप से छपते रहे।
साहित्य के साथ समाज-सेवा भी
संपादित करेंजीवन के आरम्भिक दौर से ही वे समाज-सेवा से जुड़ गयीं थीं। उन्होंने 'नारी रक्षा समिति' (१९४६ - पंजाब), 'महिला शिल्प कला केन्द्र' (१९४७ - ग्वालियर), 'आशा कला केन्द्र' (महू - मध्य प्रदेश), तथा 'सूर्या संस्थान' (१९९२ - नोएडा) जैसी सामाजिक संस्थाओं[5] की न केवल स्थापना की अपितु उनका कुशल संचालन भी करती रहीं। इन संस्थाओं को सामाजिक राजनीतिक संरक्षण भले ही न मिला हो परन्तु आशाजी के जुझारूपन को देखते हुए राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री, व हिन्दी प्रेमियों का सानिध्य बरावर मिलता रहा।
सारी रचनाएं
संपादित करेंआशा जी ने समाज सेवा के साथ-साथ स्वतन्त्र पत्रकारिता, लेखन-कार्य, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के करीब ४० विशेषांकों का संयोजन-सम्पादन तो किया ही, महिला-विषयक, व्यावहारिक समाज-शास्त्र, स्वास्थ्य, किशोरोपयोगी, संस्मरण-साक्षात्कार, बालोपयोगी, काव्य-संग्रह जैसे विविध विषयों पर बहुत बड़ी संख्या में पुस्तकों की रचना भी की[6]। उनकी प्रमुख विषयों पर लिखी पुस्तकों की संख्या का वर्गीकरण[7][8] इस प्रकार है:
- महिला उपलब्धियों के क्षेत्र में (१२ पुस्तकें)
- महिलाओं की स्थिति: विशेष अध्ययन (५ पुस्तकें)
- व्यावहारिक समाजशास्त्र (४ पुस्तकें)
- स्वास्थ्य (३ पुस्तकें)
- किशोरोपयोगी (४ पुस्तकें)
- संस्मरण और साक्षात्कार (५ पुस्तकें)
- महिला तकनीकी प्रशिक्षण (१७ पुस्तकें)
- विविध (६ पुस्तकें)
- प्रौढ़ व नवसाक्षरोपयोगी (९ पुस्तकें)
- बालोपयोगी (२६ पुस्तकें)
- काव्य-संग्रह (५ पुस्तकें)
- कहानी-संग्रह (१ पुस्तक)
- स्वतन्त्रता संग्राम सम्बन्धी (७ पुस्तकें)
प्रमुख पुरस्कार-सम्मान
संपादित करेंआशा जी को अपने जीवन काल में बहुत बड़ी संख्या में पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए जिनमें से प्रमुख-प्रमुख का विवरण[9][10] इस प्रकार है:
- रचना पुरस्कार कलकत्ता १९८५,
- अम्बिकाप्रसाद दिव्य पुरस्कार भोपाल १९८७,
- कृति पुरस्कार हिन्दी अकादमी, दिल्ली १९८७,
- साहित्य भूषण उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ १९९२,
- फिल्म-आलेख प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली १९९२,
- साहित्य वाचस्पति (सर्वोच्च मानद उपाधि) हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग १९९४,
- गणेशशंकर विद्यार्थी पुरस्कार मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार १९९८,
- साहित्य सम्मान हिन्दी अकादमी, दिल्ली १९९९,
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार २०००,
- अवन्तीबाई पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ २००३
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश (दूसरा भाग) पृष्ठ पृष्ठ ४२
- ↑ सूर्या (स्मारिका -८) पृष्ठ १
- ↑ समन्वय (परिचय खण्ड) पृष्ठ ५
- ↑ साहित्य संचेतना पृष्ठ १७
- ↑ सूर्या (स्मारिका -८) मृदुला सिन्हा का लेख "अवसान एक कलमजीवी लेखनी का"
- ↑ समन्वय (परिचय खण्ड) पृष्ठ ५
- ↑ आशारानी व्होरा: एक सार्थक रचना-यात्रा पृष्ठ ५५१ से ५५४ तक
- ↑ सूर्या बसन्त बल्लभ पन्त का लेख (अद्यतन संख्या) के लिये
- ↑ आशारानी व्होरा: एक सार्थक रचना-यात्रा पृष्ठ ५५१ से ५५४ तक
- ↑ साहित्य संचेतना पृष्ठ १८
- डॉ॰ गिरिराज शरण अग्रवाल एवं डॉ॰ मीना अग्रवाल हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश (दूसरा भाग) २००६ हिन्दी साहित्य निकेतन, बिजनौर (उ०प्र०) ISBN 81-85139-29-6
- समन्वय सम्पादक उमाशंकर मिश्र १९९६ युवा साहित्य मण्डल गाजियाबाद २०१००१
- आशारानी व्होरा स्वाधीनता सेनानी लेखक-पत्रकार २००४ प्रतिभा प्रतिष्ठान नई दिल्ली ११०००२ ISBN 81-88266-23-X
- साहित्य संचेतना (संकलन) २००५ श्रीराम पब्लिकेशन्स, जी-४२, सेक्टर ३ नोएडा २०१३०१ भारत
- सूर्या (स्मारिका -८) सम्पादक: डॉ॰ रामशरण गौड़ सूर्या संस्थान जेड १३५-१३८ सेक्टर १२ नोएडा २०१३०१ भारत