सर आर्थर स्ट्रैची (Sir Arthur Strachey; 5 दिसंबर 1858 – 14 मई 1901) ब्रिटिश भारतीय न्यायाधीश थे। वो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।

आर्थर स्ट्रैची का जन्म कलकत्ता में सर जॉन स्ट्रैची और कैथरीन जेन बैटन के यहाँ हुआ था। उन्होंने उपिंघम और चार्टरहाउस में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 1880 में ट्रिनिटी हॉल, कैम्ब्रिज से लॉ ट्राइपोज़ (Law tripos) में द्वितीय श्रेणी के साथ स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1883 में उन्हें इनर  टेम्पल (Inner Temple) से बार में आमन्त्रित किया गया।

भारत लौटने के बाद स्ट्रैची ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू कर दी। 1892 में वह प्रांतीय सरकार के लोक अभियोजक और स्टैन्डिंग काउन्सल नियुक्त हुए। 1895 में स्ट्रैची बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए। उन्होंने 1897 में बाल गंगाधर तिलक के विरुद्ध चलने वाले राजद्रोह मामले के पहले मुकदमे की सुनवाई की थी।

1899 में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के  मुख्य  न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

उन्हें  30 जनवरी 1899 को नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया।