आरक्षण (2011 फ़िल्म)
आरक्षण एक भारतीय बॉलीवुड फ़िल्म है, जिसका निर्देशन प्रकाश झा और निर्माण सैफ़ अली ख़ान व दिनेश विजन ने किया है। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन, सैफ़ अली ख़ान, दीपिका पादुकोण, मनोज बाजपेयी, तन्वी आज़मी और प्रतीक बब्बर ने मुख्य किरदार निभाया। यह फ़िल्म 12 अगस्त 2011 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई।[1]
आरक्षण | |
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निर्देशक | प्रकाश झा |
निर्माता | सैफ़ अली ख़ान व दिनेश विजन |
अभिनेता |
अमिताभ बच्चन, सैफ़ अली ख़ान, दीपिका पादुकोण, मनोज बाजपेयी, तन्वी आज़मी, प्रतीक बब्बर, यशपाल शर्मा, मुकेश तिवारी, सौरभ शुक्ला, हेमामालिनी, एस एम ज़हीर, विनय आप्टे, |
प्रदर्शन तिथियाँ |
12 अगस्त, 2011 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | 9370000.00 |
निर्देशक: प्रकाश झा
संपादित करेंप्रकाश झा का जन्म २७ फ़रवरी १९५२ को हुआ था। वे एक निर्माता, निर्देशक और लेखक है। वे राजनीतिक और सामाजिक चलचित्र के लिए प्रसिद्ध है। दामूल (१९८४), गंगाजल (२००३), अपहरण (२००५) और उनकी बहु अभिनीत फिलमे जैसे राजनीती (२०१०), आरक्ष्ण (२०११), चक्रव्यु (२०१२) और सत्याग्रह (२०१३) जैसी फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर हिट रही है। उन्के वृतचित्र "फेसस आफ़टर स्टार्म" (१९८४) और सोनल (२००२) को नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया है। अब वे फिल्म प्रोडक्श्न हाउस "प्रकाश झा प्रोडक्श्न" चलाते है।
उनका बचपन बारहवरा, बितिहा, पश्चिम चम्पारन, बीहार में गुज़रा। वे सैनिक पाठशाला तिलाया, कोड़रमा जिल्हा और केन्द्रिया विद्यालय, बोकारो स्टीमल सिटी, झारखण्ड के छात्र रहे हैं। उन्होने बी०एस०सी, ऑनर्स भौतिक शास्त्र, दिल्ली के रामजस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से किया, लेकिन एक साल बाद उन्होने पढाई छोडदी और मुंबै जाने का फैसला किया और वे एक चित्रकार बन गए। जे०जे० स्कूल ऑफ आर्टस में दाखले की तैयारी कर रहे थे तभी उन्होने धर्मा फिल्म कि शूटिन्ग देखी तभी से वे फिल्म बनाने कि ओर खीन्चे गए।
तुरन्त उन्होने एफ०टि०आइ० पूने में १९७३ में एडिटिऺग के कोर्स में प्रवेश लिया परंतु विध्यार्थि के आंदोलन के कारण संस्था बंद थी। इस दरमियान वे काम की तलाश में मुंबै आए और कभी वापस हि नहीं गए।
वे अपने कोर्स के दरमियान स्वतंत्र रूप से एक वृतचित्र " अंडर द ब्लु" बनाई और आठ साल तक इसपर काम कर रहे थे। इस दरमियान इन्होंने कई राजनीति संबंधित वृतचित्र बनाए जैसे "बीहार शरीफ रायट्स", "फेसस ऑफ्टर स्टार्म"(१९८४)। इन् वृतचित्रो ने काफी ध्यान आकरशित किया जिससे कुछ हि दिनो में प्रतिबंधित किया गया था। [2]
संक्षेप
संपादित करें२००८ में दीपक कुमार को एक समृद्ध स्कूल में विद्यापक के पद के लिए साक्षात्कार में अस्वीकार कर दिया जाता है क्योंकि वह एक नीच जाति क है। वह जब यह बात अपने प्रतिपालक ड० प्रभाकर आनन्द को व्याख्यान करता है, तो वह उसे अपने एस०टी०एम काॅलेज में एक अन्तर्रिम शिक्षक नियुक्त कर लेते हैं। बाबुराम के निक्म्मे भाँजे को डॉ॰ आनंद काॅलेज में पद देने से अस्वीकार कर देते हैं। इस बात पर नाराज़ होकर वह अपने चेले मिथलेश सिंह को एस०टी०एम काॅलेज बोर्ड पर नियुक्त कर देते हैं -पैसे कमाना। इसी बीच में सुप्रीम कोर्ट पिछ्डे वर्ग को आरक्षण दे देते हैं। इसका जश्ण मनाने बडी संख्या में पिछ्डे वर्ग को छात्र एक्त्र होकर ह्ंगामा मचाते है। उसको रोकने के लिए सुशांत कुछ ऊच्च वर्ग के छात्रों को लेकर पहुंचता है। इसको लेकर दीपक और सुशांत में अनबन हो जाती है और दीपक, डॉ॰ आन्ंद की अपेक्षा कर देता है। प्रेस को डॉ॰आन्ंद अपना विचार व्यक्त करते हैं और बोलते है कि आर्थिक और राजनितिक व्यवस्ता से मुक्त आरक्षण उचित हैं। एस०टी०एम बोर्ड यह सुनकर उखड जाता है और मिथलेश को नया प्रधानाचार्य नियमित कर लेता है। डॉ॰ आन्ंद अहिंसा के द्वारा मिथलेश का विरोध करने का निश्चय करता है और कुछ छात्रों को लेकर एक गौशाला में शीक्षा देना शुरु कर देता है। दीपक और सुशांत डॉ॰आन्ंद का हाथ बटाने वापस आ जाते हैं। गौशाला के छात्र बाकि छात्रों से बहतर परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं। मिथलेश गौशाला को तबाह करने कि कोशिश करता है पर्ंतु शकुंतला ताइ (जिंहोने एस०टी०एम इंस्टिट्ञूश्ंन आर्ंभ किया था) समय पर आकर बचा लेती है। मिथलेश को बरखास्य कर दिया जाता है और डॉ॰ आन्ंद को वापस एस०टी०एम रेमेडियल सेंटर का आजीवन प्राचार्य बनाया जाता है।[3]
चरित्र
संपादित करें- समीक्षक के अनुसार से आरक्षण को पुणता अमिताब बच्चन की फिल्म कहा जा सकता है। बच्चन जी का अभिनय हमेशा की तरह उतकृषट और सर्वोत्त्म् है।
- उनकी भिन्न भावनाओ की अभिव्यक्ति और मुखाकृति अति दिलकश एव्ं मनोहर है।
- सेंफ अली खान अपनी भुमिका में काफी उत्त्सुक और जोशीले लगते है पर अपना किरदार को उचित तरीके से नहीं निभा पाए।
- दीपिका आकर्षक लगती हैं पर उनका योगदान बहुत ही कमतर है। प्रतीक बब्बर अपना अभिनय निभाने में निश्फल रहता है।
- मनोज वाजपाइ बालिवुड का प्रसिध अभिनेत्रा होकर अपने आपको इस फिल्म में बचा लेते हैं पर्ंतु समीक्षक के हिसाब से उनहोने इस्से बहतर फिल्मों किया है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- अमिताभ बच्चन - प्रभाकर आनन्द
- सैफ़ अली ख़ान - दीपक कुमार
- दीपिका पादुकोण - पूर्बी आनन्द
- मनोज बाजपेयी - मिथिलेश सिंह
- तन्वी आज़मी - प्रभाकर आनन्द की पत्नी / पूर्बी की माँ
- प्रतीक बब्बर - सुशांत सेठ
- यशपाल शर्मा - शंभू यादव
- मुकेश तिवारी - पुलिस इंस्पेक्टर
- सौरभ शुक्ला - मंत्री बाबूराव
- हेमामालिनी - शकुन्तला
- एस एम ज़हीर - सेवानिवृत प्रोफेसर
- विनय आप्टे - नेता भिशम्बर
दल
संपादित करेंसंगीत
संपादित करेंरोचक तथ्य
संपादित करेंपरिणाम
संपादित करेंबौक्स ऑफिस
संपादित करेंआरक्षण एकसाथ १०८५ सिनेमा घरो में प्रदरशित कि गई। पच्चास से सत्तर प्रतिशत दर्शक पहले दिन उसे देखने आए। जबकी दिल्ली में साठ से सत्तर प्रतिशत लोगोने उसका आवलोकन किया। पंजाब, उ०पी और एम०पी में प्रतिबंध लगाने से फिल्म की व्यापारिक कमाई काफी प्रभवित हुई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अधिक कमाई नहीं हुई। आरक्षण में अच्छे कलाकार होने पर भी कथा भारी पड गई जिससे उसकी प्रसिधी नहीं हो पाई। [4]
समीक्षाएँ
संपादित करेंआरक्षण फिल्म हमारी शिक्षा प्रणाली की मौजूदा स्थिति को विस्तृत परंतु एक उतावलेपन के साथ दर्शाया गया है। यह हिल्म शैक्षित आरक्षण के मसले को लेकर आरंभ होती है। पहले भाग में दिलचस्प लगती है परंतु कथानक में कई थोडे मोड कि वजह से अंत तक निराश लगने लगती है। संवाद काफी गहरे थे और अभिनय विशेष् नहीं था। कुछ हद तक हिल्म क कथा सार आरक्षण जैसे राजनीतिक मुद्दो पर जंता का ध्यान केंद्रित करने में सफल रहा।
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 मार्च 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 फ़रवरी 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 जनवरी 2014.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 जनवरी 2014.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 जनवरी 2014.