आनंद (स्थविर)
आनंद (स्थविर) बौद्ध धर्म की मान्यताओं के अनुसार बुद्ध के चेचेर भाई थे जो बुद्ध से दीक्षा लेकर उनके निकटतम शिष्यों में माने जाने लगे थे। वे सदा भगवान् बुद्ध की निजी सेवाओं में तल्लीन रहे। वे अपनी तीव्र स्मृति, बहुश्रुतता तथा देशनाकुशलता के लिए सारे भिक्षुसंघ में अग्रगण्य थे। बुद्ध के जीवनकाल में उन्हें एकांतवास कर समाधिभावना के अभ्यास में लगने का अवसर प्राप्त न हो सका। महापरिनिर्वाण के बाद उन्होंने ध्यानाभ्यास कर अर्हत् पद का लाभ किया और जब बुद्धवचन का संग्रह करने के लिए वैभार पर्वत की सप्तपर्णी गुहा के द्वार पर भिक्षुसंघ बैठा तब स्थविर आनंद अपने योगबल से, मानो पृथ्वी से उद्भूत हो, अपने आसन पर प्रकट हो गए। बद्धोपदिष्ट धर्म का संग्रह करने में उनका नेतृत्व सर्वप्रथम था।
Venerable, the Elder (Thera) आनंद | |
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Head of Ānanda, once part of a limestone sculpture from the northern Xiangtangshan Caves. Northern Qi dynasty, 550साँचा:En dash577 CE. | |
धर्म | Buddhism |
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ | |
जन्म |
5thसाँचा:En dash4th century BCE Kapilavatthu |
निधन |
20 years after the Buddha's death On the river Rohīni near Vesālī, or the Ganges |
पिता | Śuklodana[*], Amritodana[*] |
पद तैनाती | |
उपदि | Patriarch of the Dharma (Sanskrit traditions) |
Consecration | Mahākassapa |
पूर्वाधिकारी | Mahākassapa |
उत्तराधिकारी | Majjhantika or Sāṇavāsī |
धार्मिक जीवनकाल | |
गुरु | The Buddha; Puṇṇa Mantānīputta |
शिष्य | Majjhantika; Sāṇavāsī, etc. |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Witanachchi 1965, पृ॰ 529.