अशोक कामटे
भारतीय पुलिस अधिकारी
इस लेख में अन्य लेखों की कड़ियाँ कम हैं, अतः यह ज्ञानकोश में उपयुक्त रूप से संबद्ध नहीं है। (जनवरी 2017) |
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2014) स्रोत खोजें: "अशोक कामटे" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
उनका संबंध पुणे में सांघवी क्षेत्र के रश्कनगर से था और वह १९८९ बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। कामटे अपने बैच के सबसे काबिल अधिकारियों में से एक थे और उनमें चुनौतियों से लड़ने का गजब का माद्दा था। उन्होंने बंधकों की रिहाई के लिए आतंकवादियों से बातचीत का विशेष प्रशिक्षण लिया था और यही वजह थी कि उन्हें मुम्बई की इमारतों में लोगों को बंधक बनाकर छिपे आतंकवादियों से बातचीत के लिए देर रात तलब किया गया।
२६ नवम्बर २००८ को उन्हें मेट्रो सिनेमा के पास आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसे अंजाम देते हुए उन्होंने शहादत दे दी। २८ नवम्बर २००८ को मुंबई के वैकुंठ श्मशान घाट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।