अलिफ़ लैला
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अलिफ लैला या (फ़ारसी: हज़ारो यक शब, अरबी: अल्फ़ लैला व लैला, अंग्रेजी:अरेबियन नाइट्स) अरबी कहानी की किताब यह भी पढ़ें की कथाएं मूलतः विशेषकर बाल-साहित्य के क्षेत्र में। अधिकतर रचनाएं प्राचीन भारत, ईरान तथा अरब देशों की पौराणिक कथाओं का संग्रह है। कहानियाँ अति कल्पनाशील, तिलस्मी तथा जादुई घटनाओं से भरी हुई हैं। आलिफ लैला की प्रमुख कहानियों में - सिंदबाद की सात समुद्री यात्राएं, आलादीन और जादुई चिराग, अली बाबा और चालीस चोर, बोलने वाली चिड़ियाँ, ख़जूर की गुठली , मुरगे की सीख, परी का कोप, सुराही का जिन्न आदि प्रसिद्ध हैं।
भाषा | अरबी |
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शैली | कहानी, लोक कथा |
स्थित स्थान | मध्य युग |
छबिया
संपादित करेंकहानी
संपादित करेंअलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। 'अलिफ लैला' भारत में अपने अरबी नाम "अल्फ लैला" के प्रचलित बिगड़े हुए रूपके नाम से अधिक जाना जाता है। अरबी में अल्फ का अर्थ है एक हजार और लैला का अर्थ है रात यह हज़ार कहानियों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है, जिसमें प्रत्येक कहानियां एक फूल की तरह है। इन कहानियों में प्यार, सुख, दुःख, दर्द, धेखा, बेवपफाई, ईमानदारी, कर्तव्य, भावनाएं जैसे भावों का अद्भुत संतुलन है, जिसको पाठकों और श्रोताओं को हमेशा लुभाया है।
दसवीं शताब्दी ईस्वी के अरब लेखक और इतिहासकार मसऊदी के अनुसार अल्फ लैला की कथामाला का आधार फारसी की प्राचीन कथामाला 'हजार अफसाना' है। अल्फ लैला की कई कहानियाँ जैसे 'मछुवारा और जिन्न' 'कमरुज्जमा और बदौरा' आदि कहानियाँ सीधे 'हजार अफसाना' से जैसी की तैसी ली गई हैं।
अलिफ लैला एक ऐसी नवयुवती की कहानी है, जिसने एक ज़ालिम बादशाह से विवाह करने के बाद न केवल उसका हृदय परिवर्तित कर दिया, अपितु अनेक नवयुवतियों का जीवन भी बचा लिया। इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा। बादशाह के नफऱत से उत्पन्न नारी जाति के प्रति इस अत्याचार को रोकने के लिए बादशाह के वजीर की पुत्री शहरजाद उससे शादी कर लेती है। वह किस्से-कहानी सुनने के शौकीन बादशाह को विविध् प्रकार की कहानियां सुनाती है, जो हज़ार रातों में पूरी होती है। कहानी पूरी सुनने की लालसा में बादशाह अपनी दुल्हन का कत्ल नहीं कर पाता और उसे अपनी बेगम से प्यार हो जाता है। अपनी बेगम की बुद्धिमिता से प्रभावित बादशाह औरतों के प्रति अपने मन में उत्पन्न नफऱत को खत्म करने के अलावा अपनी प्रतिज्ञा भी तोड़ देता है और अंत में अपनी बेगम के साथ हंसी-खुशी रहने लगता है।
फ़िल्म और साहित्य में
संपादित करें- सन 1953 में अलिफ लैला पर आधारित फ़िल्म जारी की गई।
- सन 1993 में दूरदर्शन की चैनल डीडी नेशनल पर अलिफ लैला की कहानी पर आधारित टीवी सीरियल प्रसारित किया गया।
- 24 फरवरी 2020 में दूरदर्शन के सीरियल अलिफ लैला सीरियल पर आधारित पुनःनिर्माण करके दंगल टीवी पर प्रसारित किया गया।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- हिंदी बालसाहित्य : परंपरा एवं आधुनिक संदर्भ (ओमप्रकाश कश्यप)
- Interview with Claudia Ott: A New Chapter in the History of Arab Literature[मृत कड़ियाँ]
- 1001 Nights Archived 2010-01-02 at the वेबैक मशीन
- Journal of the 1001 Nights – An online blog resource for new and developing news, scholarship and info on the 1001 (aka The Arabian) Nights and their many manifestations.
- Craft and Malice of Women, or The Tale of the King, His Son, His Concubine and the Seven Wazirs Archived 2012-01-19 at the वेबैक मशीन
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