अरविंद सुब्रमण्यन
अरविंद सुब्रमण्यन भारत के वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor) हैं।[1]
अरविंद सुब्रमण्यन | |
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भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार
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कार्यकाल अक्टूबर 2014 से | |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शैक्षिक सम्बद्धता | भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद, सेंट स्टीफंस कॉलेज |
वे सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक हैं तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के छात्र रह चुके हैं। वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में अर्थशास्त्री तथा जी-20 पर वित्त मंत्री के विशेषज्ञ समूह के सदस्य भी रहे हैं।
डॉ॰ अरविंद सुब्रमण्यम पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में डेनिस वेदरस्टोन सीनियर फेलो और वैश्विक विकास केन्द्र में सीनियर फेलो हैं। उनकी पुरस्कार विजेता पुस्तक ‘इक्लिप्स: लिविंग इन द शैडो ऑफ चाइनाज इकोनॉमिक डोमिनेंस’ सितंबर 2011 में प्रकाशित हुई थी और चार भाषाओं में इसकी 130,000 प्रतियां छापी गई हैं। ‘फॉरेन पॉलिसी’ नामक पत्रिका ने उन्हें वर्ष 2011 में विश्व के शीर्ष 100 वैश्विक चिंतकों में शुमार किया था। वर्ष 2011 में पत्रिका ‘इंडिया टुडे’ ने उन्हें पिछले तीस वर्षों के दौरान भारत के शीर्ष 30 ‘मास्टर्स ऑफ द माइंड’ में शामिल किया था।[2]
डॉ॰ सुब्रमण्यम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के शोध विभाग (1992-2013) में एवं उरुग्वे दौर की व्यापार वार्ताओं के दौरान गैट (1988-1992) में कार्यरत रहे थे।[2]
डॉ॰ सुब्रमण्यम ने भारत, विकास, व्यापार, संस्थानों, मदद, जलवायु परिवर्तन, तेल, बौद्धिक संपदा, डब्ल्यूटीओ, चीन और अफ्रीका पर काफी कुछ लिखा है। अमेरिकन इकोनॉमिक रिव्यू, जर्नल ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ एवं जर्नल ऑफ पब्लिक इकोनॉमिक्स जैसी कई जानी-मानी पत्रिकाओं में उनके बारे में काफी छपा है।[2]
‘आरईपीर्इसी’ रैंकिंग के मुताबिक, डॉ॰ सुब्रमण्यम को मौजूदा समय में अनुसंधान उद्धरण के लिहाज से विश्व के शीर्ष एक फीसदी विद्वान अर्थशास्त्रियों में शुमार किया जाता है।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अरविंद सुब्रमण्यन बने मुख्य आर्थिक सलाहकार". नवभारत टाईम्स. 16 अक्टूबर 2014. मूल से 2 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अक्टूबर 2014.
- ↑ अ आ इ ई "डॉ॰ अरविंद सुब्रमण्यम मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 16 अक्टूबर 2014. मूल से 20 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अक्टूबर 2014.