अमृत नाहटा
अमृत नाहटा (16 मई 1928 – 26 अप्रैल 2001) एक भारतीय राजनीतिज्ञ, जो तीन बार लोक सभा के लिए चुने गये, तथा फ़िल्म निर्माता थे। वो दो बार बाड़मेर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। यद्दपि उन्होंने आपातकाल के पश्चात कांग्रेस को छोड़ दिया और 1977 में विवादास्पद फ़िल्म किस्सा कुर्सी का बनाने चले गये। उन्होंने एक बार दुबारा जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में पाली निर्वाचन क्षेत्र से पर्चा भरा और लोकसभा में अपनी सेवायें दी।
अमृत नाहटा | |
---|---|
जन्म |
16 मई 1928 जोधपुर, राजस्थान |
मौत |
26 अप्रैल 2001 | (उम्र 72 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | राजनीतिज्ञा, फ़िल्म निर्माता |
पूर्व जीवन और शिक्षा
संपादित करेंनाहटा का जन्म जोधपुर, राजस्थान में 16 मई 1928 को हुआ। उन्होंने जसवंत कॉलेज, जोधपुर से कला संकाय में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।[1]
वृत्ति
संपादित करेंसाहित्यिक वृत्ति
संपादित करेंनाहटा ने अपने करियर शिक्षक और अनुवादक के रूप में आरम्भ किया; अपने पूर्ण करियर के दौरान उन्होंने मैक्सिम गोर्की, जोसेफ़ स्टालिन, व्लादिमीर लेनिन, माओ त्से-तुंग और लीउ शओची के कार्यों सहित अंग्रेजी से हिन्दी में बारह पुस्तकों को अनुवादित कर प्रकाशित किया।[1]
राजनीतिक वृत्ति
संपादित करेंबाद के दिनों में नाहटा राजनीति कि मैदान में उतरे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हाथ थामा, वो चौथी लोक सभा (1967-70) और पाँचवीं लोक सभा (1971-77) के लिए बाड़मेर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने। आपातकाल के पश्चात उन्होंने राजनीति का मैदान छोड़ा और 1977 में एक विवादास्पद फ़िल्म किस्सा कुर्सी का बनायी तथा जनता पार्टी में शामिल हो गये। अगले आम चुनाव में वो पाली निर्वाचन क्षेत्र से छठी लोक सभा में पहुँचे।[1]
फ़िल्में में
संपादित करेंउन्होंने फ़िल्मों में भी अपना भाग्य आजमाया, उन्होंने तीन फ़िल्मों में निर्माता और निर्देशक का कार्य किया: जिनमें प्रथम संत ज्ञानेश्वर जो एक धार्मीक जीवनी- चलचित्र था 1965 में प्रदर्शित किया। 1967 में उन्होंने अपनी दूसरी रहस्यमय फ़िल्म रातों का राजा का निर्माण किया। 1977 में उन्होंने राजनीति पर आधारित फ़िल्म किस्सा कुर्सी का का निर्माण सम्पन्न किया। यह फ़िल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी पर व्यंग्य थी जिसे आपातकाल की अवधि के दौरान प्रतिबंधित कर दिया, प्रमाणन बोर्ड के कार्यालय से सभी मुद्रित प्रतियाँ ले ली गयी जिसके बाद उन्होंने गुड़गांव में मारुति कारखाना खोला जहाँ जलने की घटना घटित हुई, इसके अनुवर्ती जाँच के लिए शाह आयोग स्थापित किया गया। नहाटा ने अन्य किसी फ़िल्म का निर्माण नहीं किया।[2][3]
26 अप्रैल 2001 को दिल्ली में एस्कॉर्ट्स अस्पताल में एक ऑपरेशन के दौरान, 74 वर्ष की आयु में उनका देहान्त हो गया। वो अपने परिवार में अपनी पत्नी सहित, दो बेटे और एक पुत्री को छोडकर चले गये।[1][4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ ई "6th Lok Sabha: Members Bioprofile" (अंग्रेज़ी में). लोक सभा. मूल से 15 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2013.
- ↑ "1978- Kissa Kursi Ka: Celluloid chutzpah : Cover Story". इण्डिया टुडे. 24 दिसम्बर 2009. मूल से 3 जून 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2013.
- ↑ "30 greatest stories revisited: Sanjay Gandhi and 'Kissa Kursi Ka' film lampooning him : Cover Story" (अंग्रेज़ी में). इण्डिया टुडे. 18 दिसम्बर 2006. मूल से 28 जुलाई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2013.
- ↑ "Producer of Kissa Kursi Ka passes away" (अंग्रेज़ी में). Rediff.com, Movies. 27 अप्रैल 2001. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2013.