अमर प्रेम (1972 फ़िल्म)

1972 की शक्ति सामंत की फ़िल्म

अमर प्रेम 1972 में प्रदर्शित हिन्दी भाषा की नाट्य रूमानी फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण शक्ति सामंत ने किया। यह फिल्म बंगाली फिल्म निशि पद्मा (1970) की रीमेक है, जिसका निर्देशन अरबिंद मुखर्जी ने किया था, जिन्होंने बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय की बंगाली लघु कहानी हिंगर कोचुरी पर आधारित दोनों फिल्मों के लिए पटकथा लिखी थी।

अमर प्रेम

अमर प्रेम का पोस्टर
निर्देशक शक्ति सामंत
लेखक रमेश पंत (संवाद)
निर्माता शक्ति सामंत
अभिनेता राजेश खन्ना,
शर्मिला टैगोर,
विनोद मेहरा,
अभि भट्टाचार्य,
मदन पुरी
संगीतकार आर॰ डी॰ बर्मन[1]
प्रदर्शन तिथियाँ
28 जनवरी, 1972
देश भारत
भाषा हिन्दी

फिल्म में शर्मिला टैगोर ने वेश्या की भूमिका निभाई है, जिसमें राजेश खन्ना अकेलेपन से ग्रस्त व्यवसायी की भूमिका में हैं और विनोद मेहरा युवा नंदू के रूप में है, जिसका ख्याल दोनों रखने लगते हैं। फिल्म आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा संगीत के लिए विख्यात है; जिसमें किशोर कुमार, आर॰ डी॰ बर्मन के पिता एस॰ डी॰ बर्मन और लता मंगेशकर जैसे प्रसिद्ध पार्श्व गायकों द्वारा गाए गए गीत हैं। गीत के बोल आनंद बख्शी के थे।

पुष्पा (शर्मिला टैगोर) को उसके पति और उसकी नई पत्नी ने घर से निकाल दिया। जब वह घर छोड़ने से इनकार करती है, तो उसका पति उसे पीटता है और उसे बाहर फेंक देता है। वह मदद के लिए अपनी माँ के पास जाती है, लेकिन उसकी माँ भी उसका परित्याग कर देती है। जब वह आत्महत्या करने की कोशिश करती है, तो उसे उसके गाँव के आदमी, नेपाल बाबू (मदन पुरी) द्वारा कलकत्ता के एक वेश्यालय में बेच दिया जाता है। वेश्यालय में उसके पहले दिन पर, एक व्यवसायी आनन्द बाबू (राजेश खन्ना), उसकी गायकी से आकर्षित होते हैं। आनन्द बाबू शादीशुदा तो है लेकिन अकेलेपन में है और वह उसका नियमित आगंतुक बन जाता है।

बाद में, अपने परिवार के साथ एक विधुर आदमी, पुष्पा के गाँव का ही, उसके स्थान के करीब के घर में आ जाता है। नए पड़ोसी का बेटा, नंदू को घर पर कोई प्यार नहीं मिलता है, क्योंकि उसके पिता हर समय काम करते हैं और उसकी सौतेली माँ (बिन्दू) उसकी परवाह नहीं करती है। नंदू के पिता (सुजीत कुमार) पुष्पा के नए जीवन के बारे में जान जाते हैं और उसे उसके और उसके परिवार के साथ बातचीत करने से मना करते हैं क्योंकि वह डरता है कि लोग क्या कहेंगे। हालाँकि, पुष्पा नंदू को अपना बेटा मानने लगती है जब उसे पता चलता है कि उसके साथ घर पर बदसलूकी की जाती है और वह अक्सर भूखा रह जाता है। नंदू भी पुष्पा से प्यार करने लगता है और उसे अपनी माँ मानने लगता है।

मुख्य कलाकार

संपादित करें

सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."कुछ तो लोग कहेंगे"किशोर कुमार4:19
2."चिंगारी कोई भड़के"किशोर कुमार5:19
3."रैना बीती जाये"लता मंगेशकर5:36
4."ये क्या हुआ"किशोर कुमार4:33
5."बड़ा नटखट है रे"लता मंगेशकर4:53
6."डोली में बिठाई के"एस॰ डी॰ बर्मन4:02

नामांकन और पुरस्कार

संपादित करें
प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति पुरस्कार वितरण समारोह श्रेणी परिणाम
राजेश खन्ना फिल्मफेयर पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार नामित
अरविंद मुखर्जी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पटकथा पुरस्कार जीत
आनंद बख्शी ("चिंगारी कोई भड़के") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार नामित
किशोर कुमार ("चिंगारी कोई भड़के") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार नामित
  1. मिश्र, यतींद्र (27 जून 2018). "संगीत परंपरा के विद्रोही संगीतकार आरडी बर्मन". बीबीसी हिन्दी. मूल से 24 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फरवरी 2019.

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें