अमर अकबर अॅन्थनी
अमर अकबर अॅन्थनी 1977 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन हास्य फिल्म है। यह मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित और निर्मित है।[1] फिल्म में विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर मुख्य भूमिका निभाते हैं और इनके विपरीत क्रमशः शबाना आज़मी, परवीन बॉबी और नीतू सिंह हैं। कहानी बचपन में अलग हुए तीन भाइयों पर केन्द्रित है जिन्हें विभिन्न धर्मों के तीन परिवारों - हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई द्वारा अपनाया जाता है। एक पुलिसकर्मी बनता है, दूसरा गायक और तीसरा देसी शराब बार का मालिक होता है।
अमर अकबर अॅन्थनी | |
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अमर अकबर अॅन्थनी का पोस्टर | |
निर्देशक | मनमोहन देसाई |
लेखक | कादर ख़ान (संवाद) |
पटकथा | प्रयाग राज |
कहानी | जीवनप्रभा देसाई |
निर्माता | मनमोहन देसाई |
अभिनेता |
अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर, नीतू सिंह, परवीन बॉबी, शबाना आज़मी, निरूपा रॉय, प्राण, जीवन |
छायाकार | पीटर परेरा |
संपादक | कमलाकर करखानिस |
संगीतकार |
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल आनंद बख्शी (गीत) |
प्रदर्शन तिथियाँ |
27 मई, 1977 |
लम्बाई |
175 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संगीत को लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित किया गया था और गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखे गए थे। यह फिल्म 27 मई 1977 को रिलीज़ हुई थी और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। धार्मिक सहिष्णुता के बारे में यह फिल्म बॉलीवुड मसाला फिल्मों में एक ऐतिहासिक फिल्म बन गई। इसका लोक संस्कृति पर स्थायी प्रभाव पड़ा। इसने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ संपादन सहित 25वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में कई पुरस्कार जीते।
संक्षेप
संपादित करेंकिशनलाल (प्राण) कई सालों के बाद जेल से छूटता है। कई साल पहले वो रोबर्ट (जीवन) के यहाँ गाड़ी चलाने का काम करता था, पर एक दिन रोबर्ट किसी को गाड़ी से उड़ा देता है और वो किशन से गुनाह अपने सर लेने को कहता है और बदले में उसके परिवार की देखरेख करने का वचन देता है। लेकिन जब किशनलाल जेल से छूटकर आता है तो उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी, भारती (निरूपा रॉय) और उसके तीन बच्चों का बहुत बुरा हाल है। वो रोबर्ट से मदद मांगने जाता है, पर वो उसे बेइज्जत कर अपने आदमियों को उसे मारने का आदेश दे देता है। किसी तरह किशन वहाँ से कार लेकर निकल जाता है, उस कार में सोना भरा हुआ होता है।
किशनलाल जब अपने घर आता है तो उसे अपनी बीवी नहीं, बल्कि ख़ुदकुशी का जिक्र किया एक कागज दिखता है। वो 15 अगस्त के दिन जब गुंडे उसका पीछा करते हैं, तब वो अपने तीन बच्चों को महात्मा गांधी के मूर्ति के पास रख कर गुंडों को अपने ओर ले जाता है। उसकी गाड़ी की टक्कर हो जाती है और पुलिस के अनुसार किशनलाल अब मर चुका है। हालांकि अब तक वो जीवित है, लेकिन उसके आने से पहले ही उसके बच्चों को तीन अलग अलग लोग गोद ले लेते हैं। वहीं भारती ख़ुदकुशी करने की कोशिश करती है, वो नाकाम रहती है और अपनी आँखों की रोशनी खो बैठती है।
- कुछ साल बाद
उन तीनों बच्चों में से सबसे बड़ा बेटा, अमर खन्ना (विनोद खन्ना) अब पुलिस अफसर बन चुका है। उनका दूसरा बेटा अॅन्थनी गोंजाल्विस (अमिताभ बच्चन) शराब का व्यापारी है, और सबसे छोटा बेटा, अकबर इलाहाबादी (ऋषि कपूर) कव्वाली गायक है। वे तीनों एक दिन सड़क दुर्घटना में घायल एक औरत की जान बचाने के लिए खून देते हैं। वे तीनों इस बात से अनजान रहते हैं कि वो उनकी माँ, भारती है, जो फूल बेचने का काम करती है।
अकबर को एक डॉक्टर सलमा अली (नीतू सिंह) से प्यार हो जाता है। पर उसके पिता, तैयब अली को अकबर बिलकुल भी पसंद नहीं आता है। लेकिन एक बार घर में आग लगने पर वो उन लोगों को घर की आग से बचा लेता है, और इस घटना के बाद से वो उसे पसंद करने लगता है। अमर को लक्ष्मी (शबाना आज़मी) से प्यार हो जाता है, जो अपनी सौतेली माँ के अत्याचारों की शिकार होती है। अमर उसके सौतेली माँ को गिरफ्तार कर उसकी दादी और उसे घर में वापस ले आता है। अॅन्थनी को जैनी (परवीन बॉबी) से प्यार हो जाता है, जो लंदन से भारत आई है।
भारती को आँखों की रोशनी चमत्कारिक ढंग से मिल जाती है और वो अकबर को अपने सबसे छोटे बेटे के रूप में पहचान लेती है। रोबर्ट, जेनी का अपहरण कर लेता है, वहीं लक्ष्मी को भी रोबर्ट के लिए काम करने वाला उसका भाई, रंजीत अपहरण कर ले जाता है। रोबर्ट से बदला लेने से पहले किशनलाल और भारती के साथ साथ वे तीनों भाई भी मिल जाते हैं। अमर, अकबर और अॅन्थनी तीनों मिल कर अलग अलग हुलिये में रोबर्ट के अड्डे में सलमा के साथ कदम रखते हैं। जैनी और लक्ष्मी को सलमा छुड़ा लेती है। वहीं रोबर्ट और उसके गुंडों को तीनों भाई मार कर पुलिस के हवाले कर देते हैं। अपने पुराने अपराधों के कारण किशनलाल को फिर से सजा हो जाती है, पर वो भारती से कहता है कि अब उसके तीनों बच्चे एक हो चुके हैं और यही महत्त्व रखता है। इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- विनोद खन्ना - अमर खन्ना
- ऋषि कपूर - अकबर इलाहाबादी
- अमिताभ बच्चन - ॲन्थनी गोंजासल्विस
- शबाना आजमी - लक्ष्मी
- नीतू सिंह - सलमा
- परवीन बाबी - जैनी
- निरुपा रॉय - भारती
- प्राण - किशनलाल
- जीवन - रॉबर्ट
- कमल कपूर - सुपरइंटेंडेंट खन्ना
- शिवराज - श्री. इलाहाबादी
- नासिर हुसेन - फादर गोंजाल्वेस
- युसूफ खान - जेबिसको
- रंजीत बेदी - रंजीत
- मुकरी - तैयाब अली
- मूलचंद - पेड्रॉ
संगीत
संपादित करेंसभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "ये सच है कोई कहानी नहीं" | मोहम्मद रफी | 2:22 |
2. | "माय नेम इस अॅन्थनी गोंजाल्विस" | अमिताभ बच्चन, किशोर कुमार | 5:32 |
3. | "हमको तुमसे हो गया है प्यार" | किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मुकेश, मोहम्मद रफी | 7:33 |
4. | "तैयब अली प्यार का दुश्मन" | मोहम्मद रफी | 4:40 |
5. | "पर्दा है पर्दा" | मोहम्मद रफी | 7:59 |
6. | "अमर अकबर अॅन्थनी" | किशोर कुमार, महेन्द्र कपूर, शैलेन्द्र सिंह | 5:52 |
7. | "शिरडी वाले साईं बाबा" | मोहम्मद रफी | 5:52 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1978 | अमिताभ बच्चन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | जीत |
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | जीत | |
मनमोहन देसाई | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित | |
मनमोहन देसाई | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
मोहम्मद रफी ("पर्दा है पर्दा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित | |
आनंद बख्शी ("पर्दा है पर्दा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "'अमर अकबर एंथनी' के 41 साल: फिल्म में हुई थीं ये बड़ी गलतियां". आज तक. 28 मई 2018. मूल से 3 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 दिसम्बर 2018.