सांवरिया जी मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।[1] यह श्री सांवलिया सेठ के नाम से भी जाना जाता है।[2] किंवदंती यह है कि वर्ष 1840 में, भोलाराम गुर्जर नाम के एक ग्वाला ने बागुंड गाँव के छापर में तीन दिव्य मूर्तियों को भूमिगत दफनाने का सपना देखा था; साइट को खोदने पर, भगवान कृष्ण की तीन सुंदर मूर्तियों की खोज की गई, जैसा कि सपने में दिखाया गया था। मूर्तियों में से एक को मंडफिया ले जाया गया, एक को भादसोड़ा और तीसरा बागुंड गाँव के छापर में, उसी स्थान पर जहां यह पाया गया था। तीनों स्थान मंदिर बन गए। ये तीनों मंदिर 5 किमी की दूरी के भीतर एक-दूसरे के करीब स्थित हैं। सांवलिया जी के तीन मंदिर प्रसिद्ध हुए और तब से बड़ी संख्या में भक्त उनके दर्शन करने आते हैं। इन तीन मंदिरों में मंडफिया मंदिर को सांवलिया जी धाम (सांवलिया का निवास) के रूप में मान्यता प्राप्त है।

सांवलिया जी
साँवलिया सेठ
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
शासी निकाययह मंदिर राजस्थान सरकार के अधिग्रहित है
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिसांवलिया जी- मंडफिया
ज़िलाचित्तौड़गढ़
राज्यराजस्थान
भौगोलिक निर्देशांक24°40′N 74°24′E / 24.66°N 74.40°E / 24.66; 74.40
वेबसाइट
https://shrisanwariyaseth.org/

यहाँ राजस्थान,मध्य प्रदेश,गुजरात से सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते है।

चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41किमी. व डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी. पर स्थित मंडपिया अब श्री सांवलिया धाम (भगवान कृष्ण का निवास) के रूप में जाना जाता है और वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों के लिए श्री नाथद्वारा के बाद दूसरे स्थान पर है।[3]

बाहरी कड़िया

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  1. "राजस्थान का सांवलिया सेठ मंदिर: यहां भगवान हैं बिजनेस पार्टनर, जानिये क्या है पूरा इतिहास". News18 हिंदी. अभिगमन तिथि 2021-11-28.
  2. "Shri Sanwaliya ji Mandir Mandal, Mandphiya, Dist- Chittorgarh Rajasthan". shrisanwaliyaseth.org. अभिगमन तिथि 2024-03-15.
  3. dinesh. "राजस्थान का अद्भुत मंदिर जहां लोग जितना चढ़ाते हैं उससे कई गुणा ज्यादा पाते हैं". Patrika News. अभिगमन तिथि 2021-11-28.